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भारतीय बैंकों द्वारा व्यक्तिगत ऋणों पर करीबी नजर

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मुंबई , रविवार, 19 अगस्त 2007 (19:16 IST)
अमेरिका में बैंकों द्वारा मध्यमवर्ग को दिए गए गृह ऋणों की वापसी में आई भारी गिरावट के असर से विश्व भर के बाजार धराशायी हो रहे हैं। ऐसे में भारतीय बैंकों ने भी अपने व्यक्तिगत ऋणों पर नजदीकी नजर रखना प्रारंभ कर दिया है।

भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा की वजह से बैंकों द्वारा व्यक्तिगत ऋणों का वितरण बढ़ता जा रहा है, परंतु उसी गति से चूककर्ताओं की संख्या भी बढ़ रही है। हालाँकि भारत में व्यक्तिगत ऋण बाजार उदीयमान अवस्था में ही है, परंतु यह सबसे अधिक तेजी से विकसित होता ऋण वर्ग बन गया है। अमेरिका में सबप्राइम बाजार के अंतर्गत ऐसे लोगों को बड़े पैमाने पर ऋणों का वितरण कर दिया गया है, जिनका ऋण भुगतान का रिकॉर्ड खराब अथवा भुगतान क्षमता संदिग्ध है।

हालाँकि भारत का सबप्राइम बाजार अमेरिका की तरह नहीं है। भारत में व्यक्तिगत ऋण बाजार के तहत ऐसे ऋणों को, जहाँ भुगतान संबंधी सबसे अधिक असुरक्षा हो, सबप्राइम बाजार के तहत रखा जाता है। इसे बैंकों द्वारा स्मॉल टिकट पर्सनल लोन (एसटीपीएल) नाम से जाना जाता है। इस वर्ग के तहत अधिकांश ऋणधारक ऐसे होते हैं, जो पहली बार संगठित क्षेत्र से ऋण ले रहे होते हैं तथा उनका कोई साख रिकॉर्ड भी नहीं होता।

एसटीपीएल ऋणों के लिए ब्याज दर 30 से 35 प्रश है। सबप्राइम ऋण बाजार में बिग टिकट ऋणों में चूककर्ताओं का प्रश जहाँ 3 से 7 प्रश तक है, वहीं स्मॉल टिकट ऋणों के क्षेत्र में यह 9 से 15 प्रश तक है। व्यक्तिगत ऋण बाजार में बहुराष्ट्रीय बैंकों, निजी बैंकों एवं गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के प्रवेश से इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गई है। ऋण बाँटने के लिए कंपनियों में मची होड़ की वजह से इनका लक्ष्य येन केन प्रकारेण अधिकाधिक ऋण वितरण करना हो गया है।

नए बैंकों एवं कंपनियों को ऋण बाजार प्रवृत्तियों एवं घाटे का अनुमान लगाने का अनुभव नहीं है। ऐसे बैंक एवं कंपनियाँ अपने कारोबार पर जोखिम का अंदाजा लगाए बिना ऋणों का वितरण कर देते हैं। इसका असर भी देखने को मिल रहा है। ऋण वसूली की उचित व्यवस्था न होने के कारण भी बैंकों के ऋण डूबत खाते में जा रहे हैं। परंतु अब बैंक इस दिशा में सावधानी बरतने लगे हैं। कई बैंक ऋणधारक की आय के अनुपात में ही ऋण देने लगे हैं। जोखिम प्रबंधन के लिए भी बैंक निवेश कर रहे हैं।

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