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मंदी के खिलाफ भारत और मजबूत

केंद्र ने जारी किया दूसरा प्रोत्साहन पैकेज

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नई दिल्ली (वार्ता) , शुक्रवार, 2 जनवरी 2009 (21:12 IST)
विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के असर को घरेलू अर्थव्यवस्था पर कम से कम रखने के लिए कुछ और उपायों की घोषणा करते हुए सरकार ने शुक्रवार को कहा कि इस वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत के आसपास रहेगी। हालाँकि इन उपायों के कारण इस साल का वित्तीय घाटा पाँच प्रतिशत से भी ऊपर चला जाएगा।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेकसिंह अहलूवालिया ने आज भारतीय रिजर्व बैंक के नए मौद्रिक उपायों के कुछ ही समय बाद सरकार के दूसरे आर्थिक पैकेज की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार ने एक बार फिर मौद्रिक, वित्तीय और ऋण उपलब्ध कराने के क्षेत्र में कुछ और कदम उठाए हैं, जिनसे विदेशों की मंदी के असर को कम करने में मदद मिलेगी।

पैकेज का तुरंत कोई अनुमान बताने में असमर्थता जताते हुए डॉ. अहलूवालिया ने कहा कि इसके जरिये आवास, मोटर गाड़ियों, लघु एवं मझौली इकाइयों तथा निर्यातकों को प्रोत्साहन देने के उपाय किए गए हैं।

रिजर्व बैंक ने निर्धारित नकदी अनुपात (सीआरआर) में आधा प्रतिशत और रेपो एवं रिवर्स रैपो में एक प्रतिशत की कटौती करने की घोषणा की थी, जिससे बैंक और कंपनियों से कम ब्याज पर कर्ज मिल सकेगा।

वित्त सचिव अरुण रामनाथन ने इस मौके पर कहा कि समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में दी गई शुल्क रियायतों के चलते इस वित्त वर्ष में कुल मिलाकर 40 हजार करोड़ रुपए तक की कम राजस्व वसूली होगी।

एक तरफ राजस्व की कम वसूली और दूसरी तरफ योजनागत बजट में 20 हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त व्यय के चलते इस साल वित्तीय घाटा ढाई प्रतिशत के बजट अनुमान से बढ़कर पाँच प्रतिशत से भी अधिक होने की आशंका है। संसद में पेश मध्यवर्षीय आर्थिक समीक्षा में पहले ही यह संकेत दिया जा चुका है।

प्रोत्साहन पैकेज के मुख्य बिन्दु इस प्रकार हैं-
*रैपो दर एक प्रतिशत घटाकर 5.5 प्रतिशत।
*रिवर्स रैपो दर एक प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत।
*नकद सुरक्षित अनुपात (सीआरआर) आधा प्रतिशत घटाकर पाँच प्रतिशत। इससे बैंकिंग तंत्र में 200 अरब रुपए की नकदी बढ़ेगी।
*विदेशों से कर्ज के नियम उदार।
*कॉरपोरेट बाँड के लिए विदेशी निवेश सीमा छह अरब डॉलर से बढ़ाकर 15 अरब डॉलर।
*जिंक-फैरो एलायस पर सीमा शुल्क छूट वापस।
*बुने हुए कपड़ों, साइकिल, खेती के उपकरणों के लिए ड्यूटी ड्रॉ बैंक दरें बढ़ीं।
*निर्यातकों के लिए डीईपीबी की पुरानी दरें।
*वाहन उद्योग को बैंकों से आसानी से कर्ज मिलने की सुविधा।

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