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मंदी से मुकाबले में चौथे स्थान पर है भारत

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नई दिल्ली (वार्ता) , सोमवार, 5 जनवरी 2009 (18:26 IST)
अमेरिका, यूरोप और जापान जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को अपने आगोश में लेने वाली आर्थिक मंदी का मुकाबला करने में चीन, रूस और दक्षिण कोरिया के बाद चौथे स्थान पर भारतीय अर्थव्यवस्था को भी काफी मजबूत माना जा रहा है।

दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाओं के समूह-20 के देशों में आर्थिक कारकों की मजबूती के मामले में भारत को चौथा स्थान मिला है, जबकि चीन पहले, रूस दूसरे और दक्षिण कोरिया तीसरे स्थान पर रहा है। यह परिणाम देश के अग्रणी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) द्वारा कराए गए एक अध्ययन में सामने आया है।

   भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 7 प्रतिशत की विकास दर हासिल कर सकती है। 2009-10 में इसमें कुछ और गिरावट की आशंका है। सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी की तुलना में बजट अधिशेष के क्षेत्र में भारत मुश्किल में दिखाई देता है       
एसोचैम के भारत और जी-20 समूह 'वैश्विक मंदी के दौर में बुनियादी आर्थिक कारक' शीर्षक से जारी इस अध्ययन में दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाओं को शून्य ब्याज दर में प्रवेश करते बताया गया है। आर्थिक मंदी का सामना करने के उपाय करते-करते अमेरिका और जापान में ब्याज दरें शून्य से लेकर चौथाई प्रतिशत के स्तर तक पहुँच चुकी हैं।

अध्ययन में आर्थिक बुनियाद की मजबूती आँकने के लिए सात क्षेत्रों अर्थव्यवस्था का आकार, खर्च क्षमता, कर ढाँचा, ब्याज दर नीति, बजट अधिशेष, कर्ज बोझ और विदेशी मुद्रा भंडार पर गौर किया गया है। देशवार प्रत्येक क्षेत्र को दस में से अंक दिए गए हैं, जिनके आधार पर सात क्षेत्रों में भारत को 70 में से 51 अंक मिले हैं और वह चौथे स्थान पर रहा है। चीन और रूस प्रत्येक को 68 अंक तथा दक्षिण कोरिया को 61 अंक मिले हैं।

दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार अमेरिका और जापान को इस अध्ययन में 70 में से क्रमशः 46 और 44 अंक प्राप्त हुए हैं और 20 देशों की सूची में उनका स्थान क्रमशः 11वाँ और 14वाँ रहा है। सबसे पीछे 20वें स्थान पर इटली और 19वें स्थान पर फ्रांस रहा है। उन्हें अध्ययन में क्रमशः 34.5 और 37 अंक मिले हैं।

सरकार का भी मानना है कि दुनियाभर में छाई इस आर्थिक मंदी के दौर में भी देश की अर्थव्यवस्था चालू वित्तवर्ष में 7 प्रतिशत की विकास दर हासिल कर सकती है। हालाँकि अगले वित्तवर्ष 2009-10 में इसमें कुछ और गिरावट की आशंका व्यक्त की जा रही है।

   विदेशी मुद्रा भंडार को आर्थिक मंदी के दौर में पूँजी प्रवाह में आने वाले उतार-चढ़ाव के समक्ष बड़ा बचाव माना जा रहा है। इस मामले में 20 खरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार के साथ चीन पहले स्थान पर है, जबकि जापान और रूस के बाद भारत चौथे स्थान पर आया है      
सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी की तुलना में बजट अधिशेष के क्षेत्र में भारत मुश्किल स्थिति में दिखाई देता है। अर्थव्यवस्था का यह वह पहलू है, जो घरेलू माँग को बढ़ाने में वित्तीय उपायों के रूप में मजबूती प्रदान कर सकता है। माँग बढ़ने से उद्योगों में उत्पादन गतिविधियाँ बढ़ेंगी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, लेकिन यहाँ भारत के लिए वित्तीय घाटे को देखते हुए लोक ऋण के लिहाज से भी भारत का 20 देशों में 12 स्थान आता है।

बजट अधिशेष और घरेलू लोक ऋण के बढ़ते बोझ को देखते हुए आर्थिक पहलू के इस क्षेत्र में भारत चीन से पीछे रह जाता है। इन क्षेत्रों में पिछड़ने के कारण आर्थिक उत्थान के लिए बड़ा पैकेज घोषित करने की भारत की क्षमता कम आँकी जाती है। चीन को बजट अधिशेष और लोक ऋण के मामले में क्रमशः सातवाँ और तीसरा स्थान मिला है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि औद्योगिक उत्पादों की माँग घटने से अक्टूबर से ही देश का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक नकारात्मक हो गया और निर्यात कारोबार में अक्टूबर और नवंबर लगातार दो महीने गिरावट दर्ज की गई।

सरकार द्वारा घोषित शुल्क रियायतों और आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज से चालू वित्तवर्ष का वित्तीय घाटा ढाई प्रतिशत के बजट लक्ष्य के मुकाबले दोगुने से भी अधिक होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

विदेशी मुद्रा भंडार को आर्थिक मंदी के दौर में पूँजी प्रवाह में आने वाले उतार-चढ़ाव के समक्ष बड़ा बचाव माना जा रहा है। इस मामले में 20 खरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार के साथ चीन पहले स्थान पर है, जबकि जापान और रूस के बाद भारत चौथे स्थान पर आया है। जहाँ तक कॉरपोरेट टैक्स और आयकर की बात है, इस मामले में 20 देशों के समूह में भारत क्रमशः 15वें और सातवें स्थान पर आया है।

कॉरपोरेट टैक्स कंपनियों के दूसरे देश में निवेश करने के मामले में काफी महत्व रखता है, जबकि व्यक्तिगत आयकर सीधे-सीधे घरेलू आय का पैमाना होता है।

ब्याज दरों का क्षेत्र भी आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत ने हाल ही में ब्याज दरें नीचे लाने के लिए कई कदम उठाए हैं, इसलिए मौद्रिक नीति क्षेत्र में वह दूसरे स्थान पर रहा है। सऊदी अरब भारत के बाद चीन तीसरे स्थान पर रहा।

ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने भी इस क्षेत्र में बड़े कदम उठाए हैं। अमेरिका, दक्षिण कोरिया और यूरो एरिया क्षेत्र इसके बाद हैं। अमेरिका में ब्याज दरें शून्य से लेकर चौथाई प्रतिशत और जापान में 0.1 प्रतिशत पर आ चुकी है।

  अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में भारत का अमेरिका, चीन और जापान के बाद चौथा स्थान है। यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी पाँचवें स्थान पर है। अर्थव्यवस्था का बड़ा आकार आर्थिक मंदी का सामना करने में बेहतर स्थिति में लाता है      
इन देशों में इससे आगे और कटौती की गुंजाइश नहीं बची है। इससे आने वाले समय में विकसित देशों में शून्य ब्याज दर का परिदृश्य बनता दिखाई दे रहा है। समूह-20 के देशों में ढाँचागत परियोजनाओं को बढ़ावा, रोजगार सृजन, कर दरों में कटौती, उपभोक्ता माँग बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए गए हैं, ताकि मंदी के असर को कम से कम रखा जा सके।

एसोचैम अध्ययन के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में दुनियाभर में घटित घटनाक्रम के बाद भी एशिया की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में दो देश समूह के अन्य देशों के मुकाबले अग्रणी स्थिति में हैं। आर्थिक मजबूती के सात मानकों में नीतिगत हस्तक्षेप के लिए बेहतर संभावनाओं की मौजूदगी के साथ भारत और चीन मजबूत बनकर उभरे हैं। वित्तीय और मौद्रिक क्षेत्र में नीतिगत हस्तक्षेप की बेहतर संभावनाएँ इन्हें मजबूती प्रदान करती हैं।

अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में भारत का अमेरिका, चीन और जापान के बाद चौथा स्थान है। यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी पाँचवें स्थान पर है। अर्थव्यवस्था का बड़ा आकार आर्थिक मंदी का सामना करने में बेहतर स्थिति में लाता है। जहाँ तक उपभोक्ता व्यय क्षमता की बात है, इस मामले में चीन और रूस पहले तथा दूसरे और भारत को तीसरा स्थान मिला है।

   वर्ष 2009 में अमेरिका में घरेलू माँग में सबसे ज्यादा उसके बाद ब्रिटेन, इटली और जर्मनी में भी घरेलू माँग में भारी गिरावट आने की आशंका है,जबकि जापान में अगले वर्ष स्थिति अपेक्षाकृत कुछ सुधार के साथ आगे बढ़ेगी, फिर भी वह पाँचवें स्थान पर रहेगा      
मंदी के चलते दुनियाभर के देश घरेलू उपभोक्ता माँग बढ़ाने के लिए वित्तीय पैकेज की घोषणा कर रहे हैं, ताकि राष्ट्रीय उत्पादन में उपभोक्ताओं की भागीदारी बढ़ाई जा सके। इस मामले में वर्ष 2008 में जापान में घरेलू माँग में सबसे ज्यादा गिरावट आने की आशंका व्यक्त की गई है, जबकि इटली ऐसा दूसरा देश होगा।

वर्ष 2009 में अमेरिका में घरेलू माँग में सबसे ज्यादा गिरावट की आशंका व्यक्त की गई है। उसके बाद ब्रिटेन, इटली और जर्मनी में भी घरेलू माँग में भारी गिरावट आने की आशंका है, जबकि जापान में अगले वर्ष स्थिति अपेक्षाकृत कुछ सुधार के साथ आगे बढ़ेगी, फिर भी वह पाँचवें स्थान पर रहेगा।

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आधार पर प्रति व्यक्ति आय में हुई वृद्धि के मामले में चीन, रूस के बाद बेहतर स्थिति वाला भारत तीसरा देश होगा।

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