औद्योगिक ईंधन और विनिर्मित सामग्रियों की कम कीमत ने मुद्रास्फीति की दर को 11 प्रतिशत के स्तर से नीचे 10.68 प्रतिशत पर आने में मदद की है। इस गिरावट ने भारतीय रिजर्व बैंक को आर्थिक विकास की दर को तेज करने के लिए प्रमुख ब्याज दरों में कटौती करने की पर्याप्त जगह दे दी है।
थोकमूल्य आधारित मुद्रास्फीति दर 18 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में इससे पूर्व सप्ताह के मुकाबले 0.39 प्रतिशत घटी। मुद्रास्फीति दर एक साल पहले की समान अवधि में 3.11 प्रतिशत थी।
विश्लेषकों का मानना है कि कीमत वृद्धि की घटती दर के कारण अल्पावधि उधारी दर (रेपो) में कटौती करके अथवा नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को कम करके मौद्रिक नीति को नरम किया जा सकता है। सीआरआर वह अनिवार्य जमा राशि है, जिसे बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक के पास रखना होता है।