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मुद्रास्फीति बढ़कर 3.5 प्रतिशत हुई

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नई दिल्ली (भाषा) , शुक्रवार, 4 जनवरी 2008 (19:44 IST)
कुछ विनिर्मित एवं ईंधन सामग्रियों की अधिक कीमतों ने 22 दिसंबर, 2007 को समाप्त सप्ताह में मुद्रास्फीति की दर को 3.5 प्रतिशत पर पहुँचा दिया जो इससे पिछले सप्ताह 3.45 प्रतिशत थी।

गत वर्ष की सामान अवधि के इसी महीने में थोक मूल्य आधारित सूचकांक 5.78 प्रतिशत था। इंडेक्स में मामूली वृद्धि के बावजूद चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति की दर रिजर्व बैंक के पाँच प्रतिशत के अनुमान के नीचे रही।

सप्ताह के दौरान फर्नेस आइल पाँच प्रतिशत महँगा हुआ जबकि कोलतार और नाफ्था की कीमत में क्रमश: चार प्रतिशत और तीन प्रतिशत की वृद्धि हुई।

खाद्य सामग्री खंड में काफी और सब्जियों की कीमतों में इजाफा हुआ जबकि चना मूँग उड़द और चावल सस्ते हुए।

खाद्य पदार्थों की कीमत को चिंता का विषय बताते हुए वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने बताया अन्य सभी कीमतें नियंत्रण में हैं। समय-असमय कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। प्याज की कीमतें एक दिन बढ़ीं तो दूसरे दिन कम हो गईं। खाद्य तेल की कीमतें भी एक दिन बढ़ी और दूसरे दिन कम हो गई।

उन्होंने कहा था कि मैं मुख्यत: आपूर्ति माँग की खाई को लेकर चिंतित हूँ। हमने संबंधित मंत्रालयों को आपूर्ति और माँग का कठोर और वास्तविक आकलन करने को कहा है।

चिदंबरम ने कहा कि उन्हें इस बात की प्रसन्नता होगी अगर राज्यों के बीच खाद्य सामग्रियों की खुली आवाजाही हो। अगर खरीद और आपूर्ति के लिए बड़ी खुदरा चेन हो तो यह उद्देश्य को और मदद करेगी।

विश्लेषकों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल एवं खाद्य पदार्थों की कीमतों के बढ़ने के कारण सरकार के लिए मुद्रास्फीति की दर को चार प्रतिशत से कम रखना मुश्किल होगा।

क्रिसिल के प्रधान अर्थशास्त्री डीके जोशी ने कहा कि अगले तीन महीनों में मुद्रास्फीति के बढ़ने की उम्मीद है और चालू वित्त वर्ष में हमें यह पाँच प्रतिशत के लगभग रहने की उम्मीद है।

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