भारतीय स्टेट बैंक अतिरिक्त पूँजी जुटाने के लिए सरकारी हिस्सेदारी कम किए जाने की बजाय वर्तमान शेयरधारकों को राइट्स शेयर जारी करने को तरजीह देगा।
बैंक के अध्यक्ष ओपी भट्ट ने यहाँ कहा मैं चाहता हूँ कि सरकार एसबीआई की बड़ी हिस्सेदार बनी रहे। यदि जल्दी और अच्छे तरीके से धन जुटाने का मौका मिलता है हम ऐसा ही करना (राइट्स इश्यू लाना) चाहेंगे। इससे हमें भविष्य में और आसानी रहेगी।
सरकार ने हाल ही में लोकसभा में एसबीआई अधिनियम संशोधन विधेयक पेश किया है, जिसमें बैंक में सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 51 फीसद करना है जो फिलहाल 59 फीसद है।
हालाँकि भट्ट ने संकेत दिया कि बैंक तुरंत राइट्स इश्यू नहीं लाएगा, क्योंकि उसके पास फिलहाल पूँजी पर्याप्त है और नकदी की स्थिति अच्छी है। एसबीआई के पास इस समय 50,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त नकदी है, जो दिसंबर में 75000 करोड़ रुपए थी।
भट्ट ने कहा मैं हमेशा कहता हूँ कि हम आगे के पाँच साल के समय को देख रहे हैं। हमें तुरंत पूँजी की जरूरत नहीं है, क्योंकि हमारा पूँजी पर्याप्तता अनुपात फिलहाल 14 फीसद है।
स्टेट बैंक ऑफ इंदौर के मूल बैंक में विलय के संबंध में भट्ट ने कहा कि इस प्रस्ताव पर सरकार और दोनों बैंकों के निदेशकमंडल की मंजूरी मिलना बाकी है। पूरी प्रक्रिया में महीने भर से ज्यादा का समय लगेगा। (भाषा)