विश्लेषकों का मानना है कि रियलिटी में फिर से बूम लाने के लिए इस कारोबार से जुड़ी कंपनियों को भी त्याग करना होगा और केवल सरकार के भरोसे मौजूदा मंदी से रियलिटी क्षेत्र का बेड़ा पार होना मुश्किल नजर आ रहा है।
विश्लेषकों का कहना है कि रियलिटी क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को कीमतों को नीचे लाने पर विशेष ध्यान देना होगा। उनकी नजर में यदि बाजार कीमत के मुताबिक रियलिटी के दाम आ जाएँ तो यह कारोबार फिर से तेजी से दौड़ने लगेगा।
दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष और ग्लोब कैपिटल मार्केट्स के प्रमुख अशोक अग्रवाल का कहना है रियलिटी क्षेत्र में ग्राहक हैं और इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हाल ही में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की योजना थी।
अग्रवाल के मुताबिक डीडीए की पाँच हजार मकानों की इस योजना के लिए पाँच लाख से अधिक लोगों ने आवेदन दिए। इससे साफ है कि अपना मकान चाहने वालों की कोई कमी नहीं है, किंतु इसके लिए वाजिब दाम की सख्त जरूरत है। उपभोक्ता को अगर यह विश्वास हो कि जो मकान वह खरीद रहा है और उसकी कीमत उचित है तो निश्चित रूप से बाजार को बल मिलेगा।
एक अन्य विश्लेषक का कहना था कि रियलिटी क्षेत्र की कीमतों में कम से कम 25 से 30 प्रतिशत तक की गिरावट आना चाहिए1 विश्लेषक का कहना है कि रियलिटी क्षेत्र में माँग को फिर से बढ़ाना है तो अनाप-शनाप कीमतों के बजाय वाजिब कीमतें जरूरी हैं।
गौरतलब है सरकार ने हाल के दिनों में रियलिटी क्षेत्र की सुस्ती को दूर करने के लिए आवास ऋण की ब्याज दरों में कमी किए जाने की दिशा में कदम उठाए हैं। इनके परिणाम भी सामने आने लगे हैं। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों ने आवास ऋण की ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला शुरू कर दिया है।
पाँच लाख रुपए तक के आवास ऋण पर ब्याज की दर साढ़े आठ प्रतिशत की गई है। इस सुविधा के तहत 20 साल के लिए पाँच लाख रुपए तक के ऋण पर पहले पाँच साल ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
इसके अलावा पाँच लाख से लेकर 20 लाख रुपए तक के आवास ऋण पर ब्याज दर सवा नौ प्रतिशत की गई है। इन ब्याज दरों को देखते हुए छोटे शहरों में ही रियलिटी वर्ग में माँग को कुछ बढ़ावा मिल सकता है, किंतु बड़े शहरों में संपत्तियों के दाम इतने अधिक हैं कि इतनी राशि में मकान मिल पाना मुश्किल है।
सरकार ने दूसरे प्रोत्साहन पैकेज में आवास क्षेत्र में समग्र शहर के विकास के लिए रिजर्व बैंक की मार्फत विदेशों से धन जुटाने की अनुमति दी है। दूसरे प्रोत्साहन पैकेज में की गई घोषणाओं से रियलिटी वर्ग की कई बड़ी कंपनियाँ कुछ संतुष्ट तो दिखी हैं, किंतु कई ऐसी माँगों को लेकर वे निराश भी हैं।
रियलिटी वर्ग की प्रमुख कंपनी पार्श्वनाथ डेवलपर्स के अध्यक्ष प्रदीप जैन का कहना है कि दूसरे प्रोत्साहन पैकेज में 20 लाख रुपए से अधिक कीमत वाले मकानों के संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया है।
उन्होंने कहा कि वित्त सचिव अरुण रामनाथन ने यह कहा है कि वित्तवर्ष 2008 में मकान खरीदने के लिए कुल माँग में से 95 प्रतिशत 20 लाख रुपए से कम के आवासों के लिए रही थी। यह एक ऐसी समस्या है, जिसे गंभीरता से देखने की जरूरत है।
इस कारोबार से जुड़ी कई अन्य कंपनियों के प्रमुखों का कहना है कि दूसरा प्रोत्साहन पैकेज कुल मिलाकर रियलिटी क्षेत्र में खरीदार और डेवलपर्स के लिए फायदेमंद है, किंतु एक-दो और बिन्दुओं पर गौर किया जाए तो माँग बढ़ाने में खासी मदद मिलेगी।