कारखाना, निर्यातोन्मुख क्षेत्र विशेषकर आईटी और कृषि के बेहतर प्रदर्शन के कारण वित्त वर्ष 2009-10 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में आर्थिक वृद्धि दर 8.5 फीसद रहने का अनुमान है।
बंबई चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा कि वित्त वर्ष 2009-10 की तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं रही, लेकिन चौथी तिमाही में स्थिति बदलेगी। इसमें 8.5 फीसद की आर्थिक वृद्धि रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति ऊँची बनी रहेगी, लेकिन खाद्य और ईंधन कीमत को छोड़ दें तो मुख्यत: मुद्रास्फीति केवल 5.5 फीसद है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित सामान्य मुद्रास्फीति के आँकड़े इस सप्ताह जारी किए जाएँगे।
बसु ने कहा कि वित्त वर्ष 2009-10 में केंद्रीय सांख्यिकी संगठन के अनुमान के मुताबिक 7.2 फीसद आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिए चौथी तिमाही में 8 फीसद की आर्थिक वृद्धि जरूरी है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक परिदृश्य में सुधार से चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद लगभग 8.5 फीसद रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा वित्त वर्ष 2010-11 में हमें आर्थिक वृद्धि दर 8.5 फीसद पार कर जाने की उम्मीद है। उसके बाद हम 10 फीसद की सतत आर्थिक वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।
बसु ने यह भी कहा कि पूरे वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 4 फीसद से अधिक रहने की संभावना नहीं है। (भाषा)