भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति में बड़ी तब्दीलियाँ करने से बचते हुए मंगलवार को केवल नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 0.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की। इस कदम से बैंक संभवत: ऋण की ब्याज दरें कम नहीं करेंगे। शीर्ष बैंक ने रेपो और रिवर्स रेपो दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया है।
रेपो दर वह होती है जिस पर रिजर्व बैंक देश के वाणिज्यिक बैंकों को ऋण प्रदान करता है, जबकि रिवर्स रेपो दर वह है जिस पर वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैंक को धन देते हैं।
नई नीति के बारे में आरबीआई के गवर्नर वाईवी रेड्डी ने बताया कि सीआरआर को बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत किया गया है। इससे 16 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त नकदी को सोखने में मदद मिलेगी। ब्याज दरें तय करना बैंकों का काम है।
मुद्रास्फीति के पाँच साल के निम्नतम स्तर पर जाने के आलोक में ऐसी उम्मीद थी कि मौद्रिक एवं ऋण नीति में कुछ ढील मिलेगी ताकि बैंकर ब्याज दरों में कटौती कर सकें, लेकिन विश्लेषक अब ऐसी कोई संभावना नहीं देखते।
पेट्रोल-डीजल के दाम
अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल-डीजल के दामों के मुकाबले घरेलू बाजार में इनके भाव कम रखने की कोशिश की गई तो यह महँगाई की हकीकत से मुँह मोड़ने जैसा है।
ब्याज दरें स्थिर रहेंगी
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन ओपी भट्ट ने कहा कि बैंक ब्याज दरों में कमी नहीं करेगी। आईसीआईसीआई बैंक की संयुक्त प्रबंध निदेशक सुश्री चंदा कोचर ने कहा कि सीआरआर में वृद्धि को बैंक सहन कर लेंगे।
मुख्य बातें
* सीआरआर आधा प्रश बढ़कर 7.5 ।
असर-बैंकों को 16000 हजार करोड़ रु. रिजर्व बैंक में जमा करने होंगे।
* बैंक दर 6, रिवर्स रेपो 6 और रेपो दर 7.75 प्रतिशत पर यथावत।
असर-ब्याज दर नहीं घटेगी लेकिन बढ़ने की संभावना भी नहीं