दिल्ली सराफा बाजार में बीते सप्ताह अंतरराष्ट्रीय कारोबार से कदमताल करते हुए सोना 60 रुपए प्रति दस ग्राम बढ़ गया और चाँदी ने स्थानीय स्तर पर माँग बढ़ने की बदौलत 1050 रुपए प्रति किलो की छलांग लगा दी।
आलोच्य सप्ताह के दौरान सोना अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के लड़खड़ाने और डॉलर के डाँवाडोल रहने से प्रभावित होता रहा। सोमवार को इसके भाव कारोबार के दौरान 889.55 डॉलर प्रति औंस तक पहुँचने के बाद 877..55-880..55 डॉलर प्रति औंस से शुरू हुए और शुक्रवार को 875.10 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुए। इस दौरान कच्चे तेल के दाम घटने और डॉलर की मजबूती से सोने में 2.45 डॉलर प्रति औंस की गिरावट दर्ज की गई।
कारोबारियों का कहना है कि विश्व अर्थव्यवस्था मंदी से गुजर रही है और सभी क्षेत्रों में दबाव बना हुआ है। ऐसे में सोने का बच पाना असंभव है। फिर भी सोने ने अपनी चमक बरकरार रखी है और यह निवेशकों की पसंद बना हुआ है।
एक जनवरी को नववर्ष के उपलक्ष्य में सोने का अंतरराष्ट्रीय कारोबार बंद रहा था। आलोच्य सप्ताह में पश्चिम एशिया की हिंसक घटनाओं का भी सोने के बाजार पर असर पड़ा।
चाँदी का कारोबार सोने के विपरीत रहा। चाँदी का बाजार सोमवार को 11.23 डॉलर प्रति औंस पर शुरू हुआ था, जो सप्ताहांत तक 0.23 डॉलर बढ़कर शुक्रवार को 11.46 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ।
दिल्ली सराफा बाजार में आलोच्य सप्ताह के दौरान दोनों कीमती धातुओं में तेजी देखी गई। बीते सप्ताह में सोना 60 रुपए बढ़कर 13525 रुपए प्रति दस ग्राम हो गया। इसी सप्ताह चाँदी ने 1050 रुपए प्रति किलो की दौड़ लगा दी। सप्ताहांत में चाँदी के भाव 18500 रुपए प्रति किलो रहे, जबकि पिछले सप्ताह में इसके भाव 17450 रुपए प्रति किलो पर बंद हुए थे।
इसी अवधि में सिक्का लिवाली और बिकवाली 100-100 रुपए प्रति किलो बढ़ गया। कारोबारियों का कहना है कि सोने के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार से प्रभावित है।
देश में पूरी खपत का सोना आयात किया जाता है और वैश्विक मंदी के गहराने से इसमें निवेश बढ़ रहा है। इससे स्थानीय बाजार में सोने की कीमतें 13 हजार रुपए प्रति दस ग्राम से ऊँची बनी हुई हैं।
ग्राहक बाजार से दूर बने हुए हैं। थोक उठाव नहीं है, जबकि छिटपुट कारोबार बना हुआ है। सोने के विकल्प के रूप में इस्तेमाल होने वाली चाँदी के भाव ऊँचे हो रहे हैं। लोग जेवरात के लिए चाँदी का इस्तेमाल कर रहे हैं।