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सीबीएसई छात्रों के लिए 'थिंक डॉट कॉम'

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भोपाल , रविवार, 3 जून 2007 (18:19 IST)
दिल्ली, हैदराबाद, बंगलोर स्थित सीबीएसई स्कूलों के छात्र क्या कर रहे हैं। वे वहाँ क्या पढ़ रहे और कैसे पढ़ रहे हैं। वहाँ के शिक्षकों ने कौन-से नए पेपर हाल ही में प्रस्तुत किए हैं। ये सारी जानकारियाँ भोपाल स्थित सीबीएसई छात्रों को आसानी से मिल रही हैं। यहाँ के सीबीएसई छात्र न सिर्फ देशभर के छात्रों के विचार जान रहे हैं, बल्कि उनके नए प्रयोगों से भी रूबरू हो रहे हैं।

दरअसल, देशभर के सीबीएसई छात्रों व शिक्षकों को आपस में जोड़ने का यह काम कर रहा है 'थिंक डॉट कॉम'। इसके माध्यम से भोपाल स्थित सीबीएसई के छात्र मेट्रो सिटी से लेकर ग्रामीण अंचलों तक में फैले सीबीएसई के छात्रों से विचारों का आदान-प्रदान कर रहे हैं। सीबीएसई छात्रों के लिए उपलब्ध इस सुविधा के बारे में केंद्रीय विद्यालय संगठन की सहायक आयुक्त सुश्री वी. विजयलक्ष्मी ने बताया कि ओरेकल कंपनी द्वारा विकसित 'थिंक डॉट कॉम' छात्रों के लिए एक साल पहले शुरू किया गया था। छात्रों के बीच इसकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

हजारों की संख्या में छात्र रोजाना इसके माध्यम से आपस में जुड़ रहे हैं। सिर्फ छात्र ही नहीं, बल्कि शिक्षक और अभिभावक भी अन्य सीबीएसई स्कूलों में हो रही गतिविधियों की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 'थिंक डॉट कॉम' में शिक्षक अपने नए पेपर या विचारों को इसमें फीड कर देते हैं जिन्हें कोई भी छात्र या शिक्षक आसानी से पढ़ सकता है। भोपाल के सीबीएसई स्कूलों में भी इसे अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।

केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-दो के प्राचार्य डॉ. एसएन शर्मा का कहना है कि इस सुविधा ने छात्रों की समस्या हल कर दी है। यहाँ के छात्र अन्य सीबीएसई स्कूलों के छात्रों व शिक्षकों से सीधा संपर्क कर अपनी समस्या को सुलझा रहे हैं। विभिन्न विषयों में आने वाली परेशानी वे अन्य स्कूलों के शिक्षकों से पूछते हैं। यह सुविधा छात्रों को स्कूलों में मुफ्त उपलब्ध कराई जा रही है।

क्या है 'थिंक डॉट कॉम'
यह कम्प्यूटर के क्षेत्र में काम करने वाली दुनिया की जानी-मानी कंपनी ओरेकल द्वारा विकसित किया गया सॉफ्टवेयर है। इस सॉफ्टवेयर में प्रत्येक यूजर के लिए एक स्थान सुनिश्चित होता है, जिसमें वह अपने शोधपत्र या विचारों को सेव कर सकता है। इस सुविधा का लाभ दुनिया के अन्य देशों के स्कूल उठा रहे हैं। भारत में सीबीएसई ने पहली बार इसे अपनाया है।

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