'काम के लिए जीना' (live to work) की अवधारणा अब धीरे धीरे कम होते जा रही है। आज से कुछ सालों पहले तक अपने काम के प्रति मेहनत और प्रतिबद्धता का मतलब - लंबे कार्य घंटे, देर रात तक काम करना या छुट्टियाँ छोड़ कर काम करना माना जाता था। अब व्यक्ति के जीवन मे सिर्फ 9-5 वाली नौकरी और उसके बाद कुछ पार्ट टाइम काम करके पैसे कमाना ही लक्ष्य नही रहा है। आज के बदलते वर्क कल्चर और वर्क लाइफ बैलेंस के अवधारणा (concept) ,Hustle Culture को धीरे धीरे खतम कर रहा है, साथ ही मेंटल हेल्थ और शारीरिक स्वस्थ ने फिरसे अपनी जगह बना ली है। आइये जानते है कैसे बदलती पीढ़िया अपने काम करने के तरीको मे बदलाव ला रही है।
Generation X (जनरेशन X)
इस पीढी मे आने वाले लोग वह होते है जिनका जन्म 1960 के शुरू से लेकर 1980 की शुरुआत मे होता है। इस पीढी ने द्वित्य विष्व युद्ध के बाद वाले सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव को देखा है। जनरेशन X का यह मानना रहा है की काम जरूरी है पर साथ ही निजी जीवन मे संतुलन बना रहना भी जरूरी है।
उन्होंने अपने माता- पीता (baby boomers) की वर्क लाइफ देख कर, वर्क लाइफ बैलेंस को महत्वता दी। यह पीढी Hustle Culture को संदेह की नज़रों से देखा है, इनके अनुसार लगातार काम करते रहने की मंसिकता से जीवन नही चल सकता। नई पीढ़ियों की तरह बार-बार नौकरी बदलना या बहुत जल्दी बदलाव लाना इन्हें ज़्यादा पसंद नहीं होता।
Millennials (Generation Y)
यह वो पीढी है जो जेनेरेशन X के बाद आती है। इनका जन्म लगभग 1981 से 1996 के बीच मे हुआ होता है। मिलेनियल्स ऐसे दौर में बड़े हुए जब तकनीक तेजी से विकसित हो रही थी, लेकिन उनका बचपन पूरी तरह डिजिटल नहीं था।
इनमें से कई लोग 2008 की आर्थिक मंदी के दौरान या उसके बाद कामकाजी जीवन में दाखिल हुए, जिससे उनमें "कड़ी मेहनत करो और ज्यादा हासिल करो" वाली सोच विकसित हुई। ये लोग टीम वर्क में अच्छे होते हैं, लेकिन एक ही जगह बहुत लंबे समय तक टिके रहना इनकी प्राथमिकता नहीं होती।
Generation Z
जेनेरेशन Z मे वह लोग आते है जिनका जन्म 1997 से 2012 के बीच मे हुआ हो। ये स्मार्ट फोन और सोशल मीडिया के युग मे बड़ी होने वाली पीढी है। ये जेनेरेशन Hustle Culture के विरोध मे रहता है। इनका मानना Hard Work से ज्यादा Smart वर्क मे रहता है। इनकी प्राथमिकता मेंटल और फिजिकल हेल्थ रहती है।
आज की पेशेवर दुनिया में काम करने के तरीकों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। खासकर नई पीढ़ी, यानी Gen Z, फुल टाइम इन ऑफिस - 9 से 5 की ऑफिस संस्कृति से दूरी बनाती नजर आ रही है। अब उनकी प्राथमिकता है - वर्क फ्रॉम होम, हाइब्रिड मॉड और फ्रीलांसिंग जैसे लचीले (flexible) विकल्प।
टेक्नोलॉजी और AI
प्रौद्योगिकी प्रगति (Technological Advancements) के कारण काम मे आसानी बन रही है। अब कम समय मे अच्छा परिणाम आसानी से मिल जाता है।
मेंटल और फिजिकल हेल्थ
आज के लोगो के लिए पैसे कमाने का मतलब करोड़पति बनना नहीं है, बल्कि एक स्थिर, सुकून भरी और मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ जिंदगी जीना है। वे पारंपरिक करियर रास्तों से हटकर ऐसे नए रास्तों की तलाश करते हैं जो उन्हें आत्मिक संतुलन, समय की आज़ादी और व्यक्तिगत विकास की सुविधा दें।
Hustle Culture को नकारना
जहां पहले के समय में एक से ज्यादा जॉब करना या लगातार side hustles में लगे रहना सफलता और मेहनती होने का प्रतीक माना जाता था, वहीं Gen Z इस सोच को पूरी तरह से चुनौती दे रही है। उनके लिए लगातार थकते जाना, burnout झेलना, और "हमेशा बिज़ी" रहना अब प्रोग्रेस का पैमाना नहीं है। वो समझ चुके हैं कि productivity के नाम पर health और happiness को कुर्बान करना एक toxic expectation है। Gen Z अब ऐसी वर्क कल्चर को नकारती है जो इंसान को मशीन बना देता है जहां boundaries का कोई मूल्य नहीं और आराम को आलस समझा जाता है। वे साफ कहते हैं कि sustainable growth वही है जिसमें मानसिक शांति, self-worth और काम के बाहर की ज़िंदगी भी शामिल हो।