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डीम्ड विवि की मान्यता खत्म होगी

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को किया सूचित

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नई दिल्ली (ब्यूरो)। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि देश के 126 शिक्षण संस्थाओं में से 44 शिक्षण संस्थाओं का डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा वापस लिया जाएगा, क्योंकि ये शिक्षा प्रदान करने के क्षेत्र में एकदम फिसड्डी रहे हैं।

न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति एके पटनायक की दो सस्यीय खंडपीठ के समक्ष सॉलीसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम द्वारा सोमवार को डीम्ड विश्वविद्यालयों के बारे में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से दाखिल हलफनामे में यह जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस समस्या से निजात पाने के लिए प्रो. पीएन टंडन की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं।

अदालत इस मामले में अब 25 जनवरी को विचार करेगी। इस बीच डीम्ड विश्वविद्यालयों की स्थिति को लेकर लंबित मामले में प्रतिवादी बनने के लिए दायर विभिन्न अर्जियों पर अदालत ने नोटिस जारी किए हैं। इनका जवाब भी 25 जनवरी तक माँगा गया है। देश में बड़े पैमाने पर डीम्ड विश्वविद्यालयों की बढ़ती संख्या को लेकर स्थानीय अधिवक्ता विप्लव शर्मा की जनहित याचिका पर यह खंडपीठ विचार कर रही है।

इन शिक्षण संस्थाओं में पढ़ाई कर रहे हजारों छात्रों के भविष्य से चिंतित इस खंडपीठ ने दस जनवरी को ही डीम्ड विश्वविद्यालयों से संबंधित टंडन समिति की रिपोर्ट और इस पर की गई कार्रवाई का विवरण पेश करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय को एक हफ्ते का समय दिया था। केंद्र ने गत वर्ष 31 जुलाई को अदालत को सूचित किया था कि डीम्ड विश्वविद्यालयों की बढ़ती संख्या को लेकर उठे विवाद पर एक उच्चस्तरीय समिति विचार कर रही है। समिति की रिपोर्ट सरकार को सितंबर में मिल गई थी।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के हलफनामे के अनुसार सरकार ने 126 डीम्ड विश्वविद्यालयों के कामकाज और शिक्षा के क्षेत्र में उनकी भूमिकी जाँच कराई थी। इसमें से केवल 38 शिक्षण संस्थान ही डीम्ड विश्वविद्यालय के लिए निर्धारित मानकों पर खरे पाए गए जबकि 44 शिक्षण संस्थानों में सुधार की गुंजाइश पाई गई।

हलफनामे के अनुसार इनके अलावा 44 अन्य डीम्ड विश्वविद्यालय हर क्षेत्र में फिसड्डी पाए गए। इसी वजह से सरकार ने इनकी मान्यता वापस लेने का फैसला किया है। हलफनामे में कहा गया है कि 13 राज्यों में स्थित इन शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा प्राप्त कर रहे हजारों छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इन्हें खुद को एक बार फिर से विश्वविद्यालयों से संबद्ध करने की छूट दी जाएगी।

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