कटक, प्रधानमंत्री के नवोन्मेषी आधारभूत संरचना और लोक सूचना मामलों के सलाहकार सैम पित्रोदा ने भारत जैसे बड़े देशों में शिक्षा के प्रसार के लिए प्रौद्योगिकी के सभी स्वरूपों के इस्तेमाल की वकालत की है।
पित्रोदा ने तीसरे रेवेनशा यूनिवर्सिटी डेवलपमेंट ट्रस्ट (आरयूडीटी) व्याख्यान में कहा ‘यह सूचना का युग है। यह ऑनलाइन लाइब्रेरियों का समय है।’ राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के अध्यक्ष पित्रोदा ने कहा कि सूचना और शिक्षा के प्रसार के लिए प्रौद्योगिकी के सभी स्वरूपों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
उन्होंने उल्लेख किया ‘सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के बदलने के साथ ही उपलब्ध साधन और सिद्धांत भी बदलते हैं। इसलिए हमें इन साधनों को मजबूत करने तथा सीखने के नए मॉडलों को भी अपनाने की जरूरत है।’ कार्यक्रम में मौजूद लोगों के सवालों का जवाब देते हुए पित्रोदा ने कहा कि उपभोक्तावाद का अमेरिकी मॉडल ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा। यह मॉडल अपनी चमक खो चुका है और हमें इसे बदलने की जरूरत है क्योंकि इसे एक न एक दिन बदलना है।
उन्होंने युवाओं से परिवर्तन लाने में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।
देश के सामने मौजूद विभिन्न चुनौतियों के समाधान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा ‘हमें ऐसे अधिक से अधिक लोगों की जरूरत है जो कम तनख्वाह में गरीबों के लिए स्वैच्छिक रूप से काम करें। लेकिन दुर्भाग्य से अमेरिकी उपभोक्तावाद की वजह से ऐसा नहीं हो रहा।’
बदलाव लाने के लिए छात्रों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा ‘2010 में हमें खुद से पूछने की जरूरत है कि क्या हमें पुरानी और बेकार प्रक्रियाओं को जारी रखना चाहिए।’
उन्होंने कहा ‘हमें इस बात की जरूरत नहीं है कि हम यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के लिए एक प्रमाण पत्र की पाँच प्रतियाँ कराएँ जो किसी राजपत्रित अधिकारी द्वारा प्रमाणित हों। हमें कोई नई व्यवस्था लानी होगी ताकि हमारे विद्यार्थी सिर्फ माउस क्लिक कर विश्वविद्यालयों में दाखिला ले सकें।’
गाँधी जी के सिद्धांतों और प्रौद्योगिकी के बीच विरोधाभास संबंधी सवाल के जवाब में टेक गुरु ने कहा ‘यद्यपि भारत विरोधाभासों का देश है लेकिन उन्हें प्रौद्योगिकी और गांधी के विचारों के जरिए विकास में कोई विरोधाभास दिखाई नहीं देता।’ (भाषा)