शाहिद अफरीदी के बारे में जब यह समझा जा रहा था कि उनका अंतरराष्ट्रीय करियर लगभग समाप्त हो चुका है, तब इस आक्रामक ऑलराउंडर ने यहाँ ट्रेंटब्रिज में दक्षिण अफ्रीका पर सात रन की जीत के साथ पाकिस्तान को ट्वेंटी-20 विश्व कप के फाइनल में पहुँचाकर अपने करियर में नई जान फूँक दी।
अफरीदी को ताबड़तोड़ 51 रन बनाने के अलावा 16 रन पर दो विकेट चटकाने के लिए 'मैन आफ द मैच' चुना गया। अफरीदी का प्रदर्शन इसलिए भी अहम है क्योंकि वह उस समय क्रीज पर उतरे, जब पाकिस्तान तीसरे ओवर में 28 रन पर दो विकेट गँवाकर संकट में था जबकि जब वह गेंदबाजी के लिए आए तो दक्षिण अफ्रीका छठे ओवर में बिना कोई विकेट खोए 40 रन बनाकर लक्ष्य की ओर बढ़ रहा था।
इस आक्रामक बल्लेबाज ने कल चयनकर्ताओं और प्रशंसकों के भरोसे का कर्ज उतार दिया। यह जानकार लोगों को हैरानी होगी कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक समय गेंदबाजों के लिए सिरदर्द बने अफरीदी ने क्रिकेट के किसी भी प्रारूप में 18 माह बाद अर्धशतक जमाया है।
अफरीदी ने अधिकतर बड़ी पारियाँ सलामी बल्लेबाज के रूप में खेली लेकिन फिर भी उन्होंने मध्यक्रम में खेलने को प्राथमिकता दी। हालाँकि उन्होंने बाद में शिकायत भी की उन्हें खेलने के लिए काफी ओवर नहीं मिलते।
हाल के समय में हालाँकि अफरीदी का बल्ला चुप ही रहा लेकिन उन्होंने बेहतरीन गेंदबाजी की। इसके बावजूद पाकिस्तान जल्दबाजी में इस ऑलराउंडर को बाहर करने के मूड में नहीं था।
पाकिस्तान को पता था कि चाहे कुछ भी हो लेकिन अफरीदी आईसीसी विश्व ट्वेंटी-20 चैम्पियनशिप 2007 का मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयर थे, अब भी उनके नाम 37 गेंद में एकदिवसीय क्रिकेट का सबसे तेज शतक दर्ज है। एक बार उन्होंने सिर्फ 18 गेंद में अर्धशतक बनाया था, जो सबसे तेज अर्धशतक से सिर्फ एक गेंद ज्यादा है।
उनके नाम 276 मैचों में 249 छक्के दर्ज है पिछले दो साल से वह एकदिवसीय क्रिकेट के चोटी के गेंदबाजों में शुमार रहे हैं।
अफरीदी ने मैच दर मैच खराब प्रदर्शन किया लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा उनकी उपलब्धियों को याद रखा।
लेकिन कल ट्रेंटब्रिज में संकट के समय में पाकिस्तान ने एक बार फिर अफरीदी के मजबूत कंधों पर भरोसा किया। अगर उस समय एक विकेट और गिरता को पाकिस्तान की टीम धराशायी हो सकती थी, लेकिन अफरीदी ने जब अपना बल्ला चलाया तो विरोधी गेंदबाज पस्त हो गए।
इस आक्रामक बल्लेबाज की पारी की खासियत यह रही कि उन्होंने सिर्फ 34 गेंद में अर्धशतक पूरा किया लेकिन फिर भी यह उनके करियर का शायद पहला अर्धशतक रहा, जिसमें उन्होंने कोई छक्का नहीं जड़ा जो दिखाता है कि उन्होंने कितने संयम के साथ बल्लेबाजी की।