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ओलिम्पिक में जा सकती हैं चीयरलीडर्स

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नई दिल्ली (भाषा) , रविवार, 18 अक्टूबर 2009 (11:33 IST)
भारत में सड़क से संसद तक कड़ी आलोचनाएँ झेलने वालीं चीयरलीडर्स भारतीयों के लिए भले ही नई हों, लेकिन अमेरिका में इनका इतिहास लगभग 120 साल पुराना है। जहाँ अब चीयरलीडिंग को खेल के तौर पर ओलिम्पिक में शामिल करने की माँग भी की जाने लगी है।

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भारत के लोग चीयरलीडिंग से इंडियन प्रीमियर लीग के अस्तित्व में आने के बाद परिचित हुए। जब पहले आईपीएल में चीयरलीडर्स कम वस्त्रों में क्रिकेट मैदान के किसी कोने पर दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए उतरीं तो बवाल मच गया। इसे फूहड़पन और भारतीय संस्कृति के खिलाफ माना गया और यहाँ तक कि मामला संसद तक भी पहुँचा।

लेकिन चीयरलीडिंग अमेरिका या यूरोपीय देशों के लिए नया नहीं है और अब तो यह चीन और जापान जैसे एशियाई देशों में भी अपनी जड़ें जमा चुका है। यही वजह है कि अमेरिका के यूनिवर्सल चीयरलीडिंग एसोसिएशन (यूसीए) ने अंतरराष्ट्रीय ओलिम्पिक समिति (आईओसी) से इसे खेल के तौर पर ओलिम्पिक में शामिल करने की माँग की है।

चैंपियंस लीग ट्वेंटी-20 टूर्नामेंट में भाग ले रहीं अमेरिका की 14 चीयरलीडर्स की कप्तान क्रिस्टीना जेकास भी यूसीए से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा अमेरिका में इसकी एसोसिएशन हैं और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताएँ होती हैं। यूसीए ने चीयरलीडिंग को ओलिम्पिक में शामिल करने के लिए आईओसी को पत्र लिखा है।

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