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कायम रहेगी डीआरएस : आईसीसी

हमें फॉलो करें कायम रहेगी डीआरएस : आईसीसी
चेन्नई , शनिवार, 5 मार्च 2011 (19:24 IST)
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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने कहा कि विवादास्पद निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) कायम रहेगी और एक बार जब खिलाड़ी इससे संबंधित नियमों से अच्छी तरह वाकिफ हो जाएँगे, तब यह अधिक स्वीकार्य हो जाएगी।

विश्वकप में डीआरएस को लेकर काफी चर्चा छिड़ी हुई है तथा भारतीय कप्तान महेंद्रसिंह धोनी इसके धुर आलोचकों में शामिल रहे हैं। कुछ कप्तान इस प्रणाली के पक्ष में भी हैं, जिनमें पाकिस्तानी कप्तान शाहिद अफरीदी और रिकी पोंटिंग प्रमुख हैं।

आईसीसी मुख्य कार्यकारी हारून लोर्गट ने कहा कि यह केवल नियमों को समझने से संबंधित है और एक बार खिलाड़ी जब इसको समझ लेंगे तक यह प्रणाली आसानी से काम करेगी।

लोर्गट ने पत्रकारों से कहा कि यह कहना उचित होगा कि डीआरएस बहुत अच्छी प्रणाली है। यह ऐसी तकनीक है जिसका सही फैसले करने में अंपायरों की मदद के लिये हम जरूर समर्थन करते हैं, लेकिन यह विकास की प्रक्रिया से गुजर रही है। मेरा मानना है कि एक बार जब इससे संबंधित नियमों को अच्छी तरह से समझ लेंगे तो हम इस पर अच्छी तरह से पकड़ बना सकते हैं।

धोनी ने जब प्रणाली की आलोचना की तो आईसीसी महाप्रबंधक डेव रिचर्डसन ने उसका कड़ा विरोध किया था। बीसीसीआई ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए आईसीसी को पत्र लिख दिया था। लोर्गट ने यह बात मानने से भी इनकार कर दिया कि डीआरएस को लेकर मतभेद के कारण आईसीसी और बीसीसीआई के संबंधों पर भी प्रभाव पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि हमारे बीसीसीआई के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं। हमें यह स्वीकार करना होगा कि समय समय पर विचारों में भिन्नता होगी लेकिन हम इन सबके साथ आगे बढ़ने के लिये पर्याप्त परिपक्व हैं। लोर्गट ने डीआरएस पर धोनी की आलोचना के बारे में कहा कि खिलाड़ियों को अंपायरों के फैसले का सम्मान करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अंपायर चाहे आपको डीआरएस की मदद के या उसके बिना आउट दे यह आखिर में अंपायर का ही फैसला होता है। सभी खिलाड़ी हमेशा अंपायर के फैसले को स्वीकार करते हैं। लोर्गट ने कहा द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में डीआरएस के उपयोग पर दोनों देशों की सहमति होना जरूरी है और यह स्थिति अब भी कायम है। डीआरएस को अनिवार्य करने को लेकर हम इसकी प्रगति और तकनीक की उपलब्धता के आधार पर विचार करेंगे।

उन्होंने कहा डीआरएस का मूल उद्देश्य साफ गलती से बचना है। मुझे नहीं लगता कि कोई इसके मूल उद्देश्य से असहमत होगा। (भाषा)

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