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क्या चरमरा गई है 'भारतीय दीवार'

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नई दिल्ली (भाषा) , शनिवार, 13 दिसंबर 2008 (10:47 IST)
शेन वार्न के शब्दों में 'क्रिकेट का किला' यानी राहुल द्रविड़ के करियर का बुरा दौर चेन्नई में भी जारी रहा जहाँ उनके केवल तीन रन बनाकर पैवेलियन लौटने से यह सवाल फिर उठ गया है कि क्या वास्तव में 'भारतीय दीवार' अब बुरी तरह चरमरा गई है।

यदि द्रविड़ के हाल के प्रदर्शन को देखें तो इसका जवाब 'हाँ' में दिया जा सकता है। यही कारण है कि उनका यह प्रदर्शन टीम प्रबंधन के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है।

द्रविड़ ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार मैच में केवल 120 रन बनाए, जबकि पिछले दस टेस्ट मैच में उनके नाम पर 19.80 की औसत से 338 रन दर्ज हैं, जिसमें केवल दो अर्धशतक शामिल हैं। पिछली 18 पारियों में से 13 बार वे 20 रन तक भी नहीं पहुँच पाए और उन्होंने अंतिम शतक (111 रन) दस मैच पहले दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चेन्नई में बनाया था।

आँकड़ों की जुबानी यदि कहानी आगे बढ़ाई जाए तो भी साफ होता है कि द्रविड़ वास्तव में अब पहले जैसे द्रविड़ नहीं रहे। उन्होंने इस साल (2008) 14 मैच में 28.91 की औसत से 665 रन बनाए हैं। पिछले एक साल में उनका औसत 27.44 है। असल में द्रविड़ के प्रदर्शन में पिछले दो साल में लगातार गिरावट आई, जिससे उनका ओवरऑल औसत भी लगभग छह प्रतिशत गिर गया।

द्रविड़ ने पिछले दो साल में 26 मैच में 30 की औसत से 1320 रन बनाए। इस बीच उन्होंने केवल दो शतक लगाए, लेकिन इनमें से एक शतक उन्होंने बांग्लादेश की कमजोर टीम के खिलाफ सपाट पिच पर बनाया, जबकि दूसरा शतक चेन्नई में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बल्लेबाजों के लिए अनुकूल पिच पर लगाया।

इस दौरान बड़े स्कोर बनाने में नाकाम रहने का असर द्रविड़ की औसत पर भी पड़ा। 2006 के दक्षिण अफ्रीकी दौरे से पहले उनका बल्लेबाजी औसत 58.75 था और उनकी गणना डान ब्रैडमैन, ग्रीम पोलाक और एवर्टन वीक्स जैसे उन बल्लेबाजों में होती थी जिनका औसत 58 रन प्रति पारी से ऊपर है, लेकिन अब उनका औसत 52.36 रह गया है।

द्रविड़ इस बीच बांग्लादेश को छोड़कर किसी भी देश के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। उन्होंने इस कमजोर टीम के खिलाफ दो मैच में 64 रन प्रति पारी की औसत से 192 रन बनाए, लेकिन अन्य टीमों के खिलाफ उनका औसत 40 से कम रहा।

वैसे यह पहला मौका नहीं है, जबकि द्रविड़ रूपी दीवार चरमराती रही। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला में केवल 17.14 की औसत रन बनाए, लेकिन यह द्रविड़ के 129 टेस्ट मैचों के करियर में दूसरा मौका है, जबकि तीन या उससे अधिक टेस्ट मैचों की श्रृंखला में उनका औसत 20 से भी कम रहा।

इससे पहले द्रविड़ अपने करियर के शुरुआती दौर में दिसंबर 1999 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसकी सरजमीं पर तीन मैच में 15.50 की औसत से केवल 93 रन बना पाए थे। यह वह दौर था जब द्रविड़ वर्तमान समय की तरह एक-एक रन बनाने के लिए जूझ रहे थे।

द्रविड़ ने 1996 में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की और इंग्लैंड के खिलाफ श्रृंखला से पहले भारत की तरफ से उन्होंने जिन 47 श्रृंखलाओं में भाग लिया है उनमें से 17 में उनका औसत 40 रन से कम रहा, जबकि 11 सिरीज में वे 30 रन की औसत भी हासिल नहीं कर पाए।

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