चकिंग के बढ़ते खतरे से चिंतित आईसीसी
बेंगलुरु , शुक्रवार, 6 जून 2014 (15:07 IST)
बेंगलुरु। चकिंग के बढ़ते खतरे से चिंतित आईसीसी की क्रिकेट समिति का मानना है कि अवैध गेंदबाजी एक्शन का पता लगाने के मौजूदा तरीके काफी नहीं हैं और अंपायरों को अधिक आत्मविश्वास के साथ दोषी खिलाड़ियों की रिपोर्ट करनी होगी।भारत के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले की अगुवाई में समिति की 2 दिवसीय बैठक में यह माना गया कि अवैध गेंदबाजी एक्शन पर काबू पाने के लिए और उपाय करने होंगे।आईसीसी ने एक बयान में कहा कि समिति ने अवैध गेंदबाजी एक्शन के मसले पर बात की और इसका मानना है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इस समय कई गेंदबाजों के एक्शन संदिग्ध हैं। इसके अलावा आईसीसी की रिपोर्टिंग और टेस्टिंग प्रक्रिया भी इनका पता लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है।इसमें कहा गया कि समिति ने अवैध एक्शन वाले गेंदबाजों का पता लगाने के लिए अंपायरों और रैफरियों को प्रोत्साहित करने के लिए बदलावों का सुझाव दिया है। इसके अलावा बायोमैकेनिस्टों की भी सेवाएं लेनी होंगी और एक बार आईसीसी प्रक्रिया के तहत पकड़े जाने पर गेंदबाजों पर लगातार नजर रखनी होगी।आईसीसी क्रिकेट समिति क्रिकेट से जुड़े सुझाव मुख्य कार्यकारियों की समिति के समक्ष मंजूरी के लिए रखेगी। सीईसी और आईसीसी बोर्ड की बैठक मेलबोर्न में 22 से 28 जून तक आईसीसी की सालाना कांफ्रेंस में होगी। आईसीसी क्रिकेट समिति में खिलाड़ी, अंपायर और मीडिया शामिल हैं। अवैध गेंदबाजी एक्शन का मसला हाल ही में सुर्खियों में आया, जब श्रीलंकाई ऑफ स्पिनर सचित्रा सेनानायके के गेंदबाजी एक्शन की शिकायत की गई।मौजूदा प्रक्रिया के तहत संदिग्ध एक्शन वाले गेंदबाजों को आईसीसी मान्यता प्राप्त बायोमैकेनिक्स लैबोरेटरी टेस्ट से गुजरना होगा। 2004 में आईसीसी ने कोहनी के मुड़ने की सीमा 15 डिग्री तय की थी।आईसीसी ने कहा कि समिति को मैच के माहौल में पहनी जा सकने वाली सेंसर तकनीक के जरिए अवैध एक्शन का पता लगाने के प्रोजेक्ट पर अपडेट भी मिला है।प्रोजेक्ट का दूसरा चरण अभी पूरा हुआ है जिसमें 70 खिलाड़ियों को आईसीसी अंडर-10 विश्व कप के दौरान सेंसर पहनाकर जांच की गई। ट्रॉयल के नतीजे अच्छे रहे हैं। प्रोजेक्ट का अंतिम चरण 2016 में पूरा हो जाएगा। (भाषा)