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टेस्ट क्रिकेट के प्रारूप से छेड़छाड़ के खिलाफ हैं हैडली

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 29 जनवरी 2010 (00:51 IST)
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) जहाँ ट्वेंटी-20 क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता के बीच टेस्ट क्रिकेट का अस्तित्व बचाने के लिए इसमें कुछ बदलाव करने पर विचार कर रहा है, वहीं दुनिया के सर्वकालिक महान ऑलराउंडरों में शुमार न्यूजीलैंड के सर रिचर्ड हैडली खेल के इस पारंपरिक प्रारूप से किसी भी तरह की छेड़छाड़ के खिलाफ हैं।

आईसीसी टेस्ट क्रिकेट को अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए दिन-रात्रि टेस्ट, टेस्ट क्रिकेट को पाँच दिन की जगह चार दिन करना, गुलाबी गेंद का इस्तेमाल आदि की संभावनाएँ तलाश रहा है लेकिन कई पूर्व क्रिकेटरों ने खेल की वैश्विक संस्था के इस कदम की आलोचना की है और इस कड़ी में हैडली नया नाम हैं।

हैडली ने एक साक्षात्कार में कहा कि मैं परंपरावादी हूँ और मेरी नजर में टेस्ट क्रिकेट सफेद कपड़ों में लाल गेंद के साथ ही खेला जाता है। मैं दिन-रात्रि टेस्ट के पक्ष में भी नहीं हूँ क्योंकि इसके लिए इस प्रारूप में आमूलचूल बदलाव करने होंगे।

उन्होंने कहा दिन-रात के टेस्ट के लिए आपको संभवत: रंगीन कपड़ों का इस्तेमाल करना पड़ेगा और किसी अन्य रंग की गेंद का उपयोग करना होगा। हम यह नहीं कह सकते कि इसका खेल पर क्या असर पड़ेगा और क्या इन हालातों में उपयोगी होने वाली गेंद बनाना संभव होगा।

न्यूजीलैंड की ओर से 86 टेस्ट में 3124 रन और 431 विकेट चटकाने वाले इस ऑलराउंडर का मानना है कि दिन-रात के टेस्ट में किसी एक टीम को अनुचित फायदा मिल सकता है।

हैडली ने कहा कि दिन और रात्रि के टेस्ट में परिस्थितियों में काफी तेजी से बदलाव आ सकता है, जिससे टीमों का प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है। परिस्थितियों में बदलाव के कारण किसी एक टीम को नुकसान उठाना पड़ सकता है जबकि दूसरी को अनुचित फायदा मिल सकता है।

उन्होंने कहा कि रात को बल्लेबाजी करने वाली टीम को ओस का भी सामना करना होगा जबकि इसका गेंद पर क्या असर पड़ेगा यह कोई नहीं जानता। रात को क्षेत्ररक्षण में भी परेशानी हो सकती है और अगर खिलाड़ी अधिक कैच छोड़ते हैं तो मुझे हैरानी नहीं होगी।

न्यूजीलैंड के इस ऑलराउंडर ने टेस्ट क्रिकेट को पाँच की बजाय चार दिन का करने का भी विरोध किया, उन्होंने कहामैं टेस्ट मैचों को चार दिन का करने के पक्ष में भी नहीं हूँ क्योंकि इससे हमें रचनात्मक और सकारात्मक कप्तानी देखने को नहीं मिलेगी।

हैडली ने कहा कि चार दिन का टेस्ट स्पिनरों को भी खत्म कर देगा और हमें अधिक स्पिनर देखने को नहीं मिलेंगे क्योंकि उनकी भूमिका सीमित हो जाएगी। स्पिनरों की भूमिका आमतौर पर पिच के टूटने के बाद पाँचवें दिन अहम होती है लेकिन चार दिन के टेस्ट में उन्हें यह मौका नहीं मिलेगा।

हैडली अंपायरों के फैसलों की विवादास्पद रैफरल प्रणाली (डीआरएस) के भी आलोचक हैं और उनका मानना है कि फैसला करने का अधिकार मैदान पर खड़े अंपायर को ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी फैसले करने का अधिकार मैदान पर खड़े अंपायर के ही पास होना चाहिए। डीआरएस में तीसरे अंपायर को रीप्ले देखकर फैसला लेना होता है, जिसमें समय बर्बाद होने के साथ बड़ी चूक की आशंका बनी रहती है।

हैडली ने स्वीकार किया कि ट्वेंटी-20 की लोकप्रियता से टेस्ट क्रिकेट ने दर्शक खोए हैं लेकिन उन्होंने साथ ही कहा कि क्रिकेट के इस पारंपरिक प्रारूप को टी-20 से कोई खतरा नहीं है। ट्वेंटी-20 तेजी से बढ़ रहा है और यह खिलाड़ियों के लिए वित्तीय दौर पर फायदेमंद है लेकिन दुनिया भर के अधिकांश क्रिकेटर अब भी टेस्ट क्रिकेट को ही सर्वोच्च मानते हैं। वनडे क्रिकेट भी अहम है और इसकी अपनी जगह है।

न्यूजीलैंड के इस पूर्व ऑलराउंडर ने कहा लेकिन हमें टी-20 को टेस्ट और वनडे पर हावी होने से रोकना होने और इसके लिए जरूरी है कि प्रशासक तीनों प्रारूपों में संतुलन बनाए। (भाषा)

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