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ड्रग और डोपिंग से रिश्ता पुराना

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डोपिंग के खिलाफ साठ के दशक से कमर कसे जाने के बावजूद 'खेलों के इस जहर' के प्रति पिछले कुछ वर्षों से गंभीरता दिखाने वाली आईसीसी और समूची क्रिकेट बिरादरी के लिए मोहम्मद आसिफ का दूसरी बार डोप परीक्षण में असफल होना एक और बुरी खबर है।

आसिफ को इंडियन प्रीमियर लीग के दौरान हुए रैंडप डोप परीक्षण में पॉजिटिपाया गया। वह इससे पहले 2006 में भारत में खेली गई चैंपिंयन्स ट्रॉफी के दौरान भी एक अन्य पाकिस्तानी गेंदबाज शोएब अख्तर के साथ प्रतिबंधित दवा नैंड्रोलोन सेवन के दोषी पाए गए थे और तब उन पर एक साल का प्रतिबंध लगा था।

भद्रजनों के खेल क्रिकेट पर ड्रग और डोपिंग का दाग पिछले 20 साल से यदाकदा लगता रहा है। इयान बॉथम, शेन वॉर्न, स्टीफन फ्लेमिंग जैसे नामी खिलाड़ियों का नाम भी इससे जुड़ा लेकिन आसिफ पहले क्रिकेटर हैं, जो दो बार डोपिंग परीक्षण में असफल रहे।

आसिफ के मामले में यह इसलिए भी बुरी खबर है क्योंकि उन्हें पिछले महीने ही दुबई हवाई अड्डे पर ड्रग रखने के शक में 19 दिन तक हिरासत में रखा गया था और अब पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड इसकी जाँच कर रहा है।

क्रिकेट में ड्रग लेने या नशा करने के कई पुराने किस्से हैं और नब्बे के दशक में क्रिकेट में डोपिंग के कई मामले सामने आए, लेकिन 1999 में विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) के गठन के बाद अन्य खेलों के खिलाड़ियों की तरह क्रिकेटरों को भी इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़े।

क्रिकेट में डोपिंग का सबसे बड़ा मामला 2003 में तब सामने आया था, जब वॉर्न को प्रतिबंधित डायुरेटिक्स लेने का दोषी पाया गया और उन्हें दक्षिण अफ्रीका में खेले गये विश्व कप की ऑस्ट्रेलियाई टीम से बाहर कर दिया गया। इस लेग स्पिनर पर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने एक साल का प्रतिबंध भी लगाया था।

इसी तरह आसिफ और अख्तर भी पीसीबी के डोपिंग परीक्षण में असफल रहे और उन्हें 2006 की चैंपियन्स ट्रॉफी शुरू होने से पहले ही स्वदेश लौटना पड़ा था। जहाँ तक ड्रग लेने या रखने की बात है तो वेस्टइंडीज के खिलाड़ी डेविड मुरे ने स्वीकार किया था कि उन्होंने 1978 से ड्रग लेना शुरू किया था तथा मैच से पहले और बाद में प्रतिबंधित मारिजुआना का उपयोग किया था। मुरे को तो इस अपराध के लिए जेल भी जाना पड़ा था।

इंग्लैंड के ऑलराउंडर इयान बॉथम पर 1986 में गाँजा पीने का आरोप लगा था। बॉथम ने शुरू में इसका खंडन किया था, लेकिन बाद में रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने अपना अपराध माना था और इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें दो महीने के लिए निलंबित कर दिया था। ससेक्स काउंटी के एड गिडिन्स पर कोकीन सेवन का आरोप लगा था जबकि इंग्लैंड के ही एक अन्य क्रिकेटर फिल टफनेल डोप परीक्षण में असफल रहे थे।

पूर्व पाकिस्तानी कप्तान वसीम अकरम पर 1993 में वेस्टइंडीज के दौरे में कथित तौर पर मारिजुआना रखने का आरोप लगा था, जबकि वकार यूनुस, आकिब जावेद और मुश्ताक अहमद को इस आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पीसीबी अपने खिलाड़ियों के बचाव में आगे आ गया और गेनाडा के प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बाद मामला सुलझ पाया। इस वजह से पहला टेस्ट मैच एक दिन देर से शुरू हुआ था।

न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान फ्लेमिंग को 1993-94 में दक्षिण अफ्रीकी दौरे के दौरान गाँजा का उपयोग करते हुए पकड़ा गया था। मैथ्यू हार्ट, डियोन नैश, एडम परोरे और शेन थॉमसन पर भी ऐसे आरोप लगे थे, लेकिन न्यूजीलैंड क्रिकेट ने केवल फ्लेमिंग और हार्ट पर ही जुर्माना लगाया था।

दक्षिण अफ्रीकी टीम के छह सदस्यों पर 2000-01 के वेस्टइंडीज दौरे में जीत का जश्न मनाते समय नारकोटिक्स के उपयोग करने के लिए जुर्माना किया गया था। हर्शल गिब्स, आंद्रे नेल, जस्टिन केंप, रोजर टेलीमाकस, पॉल एडम्स और फिजियो क्रेग स्मिथ पर 13 हजार डॉलर का जुर्माना किया गया था।

जहाँ तक भारत का सवाल है तो भारत का कोई भी क्रिकेटर डोपिंग में नहीं पकड़ा गया लेकिन पूर्व स्पिनर मनिंदरसिंह पर ड्रग लेने के आरोप लगे। मनिंदर को पिछले साल दिल्ली में 1.5 ग्राम कोकीन के साथ पकड़ा गया था। (भाषा)

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