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ढूँढना होगा समस्याओं का समाधान

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नागपुर (भाषा) , सोमवार, 15 अक्टूबर 2007 (17:54 IST)
मौजूदा श्रृंखला में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हर विभाग में मात खाने वाली भारतीय टीम को अपनी एकदिवसीय टीम को मजबूत बनाने के लिए जल्द ही कुछ समस्याओं का समाधान ढूँढना होगा।

भारतीय टीम क्षेत्ररक्षण के मामले में पिछड़ी हुई है और उसकी यह कमी मौजूदा श्रृंखला में खुलकर समाने आई। दोनों टीमों के बीच क्षेत्ररक्षण ही अब तक सबसे बड़ा अंतर साबित हुआ है।

भारत को देखना होगा कि सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ का बेहतर इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है। कल नागपुर में छठे मैच में 18 रन की शिकस्त के साथ ही भारत श्रृंखला गँवा चुका है, लेकिन भारत को अपनी पिछली हारों से सबक सीखना होगा।

ऑस्ट्रेलियाई टीम में भारत के मुकाबले 30 साल से अधिक उम्र के खिलाड़ियों की संख्या ज्यादा है, लेकिन इसके बावजूद फिटनेस के मुकाबले वे भारतीयों से कहीं आगे हैं।

कप्तान महेंद्रसिंह धोनी ने कहा ऑस्ट्रेलियाई अपने क्षेत्ररक्षण से 10 से 15 रन बचा लेते हैं अगर इसे ध्यान में रखें तो हम 318 नहीं बल्कि 330 या 335 रन के लक्ष्य का पीछा कर रहे थे।

बेहतर फिटनेस के बावजूद मेहमान टीम के खिलाड़ियों को भी गर्मी और आर्द्रता के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और तेंडुलकर, गांगुली द्रविड़ और जहीर जैसे सीनियर खिलाड़ियों के होते हुए भारतीयों ही हालत भी कुछ ऐसी ही है।

तेंडुलकर को पिछली दो पारियों में माँसपेशियों में खिंचाव के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा है जबकि गांगुली भी कल थके-थके लग रहे थे। ऐसे में तेंडुलकर के आउट होने पर द्रविड़ को नंबर तीन पर नहीं भेजा गया क्योंकि ऐसे में शायद दोनों धीरे भागने वाले खिलाड़ी क्रीज पर होते।

श्रृंखला में अब जब केवल एक मैच बचा है तो साफ झलक रहा है कि शीर्ष क्रम में तीनों सीनियर बल्लेबाजों को खिलाने से परेशानी हो सकती है।

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