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फाइनल को लेकर राणातुंगा चिंतित

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बारबडोस , सोमवार, 4 जून 2007 (01:59 IST)
विश्व कप 1996 जीतने वाली श्रीलंकाई टीम के कप्तान अर्जुन राणातुंगा ने कहा है कि शनिवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाले फाइनल से पहले मौजूदा टीम में बल्लेबाजी की गहराई का अभाव उन्हें सता रहा है। मौजूदा श्रीलंकाई टीम शीर्ष क्रम पर बुरी तरह निर्भर है और निचले क्रम में उसके पास अच्छे बल्लेबाज नहीं हैं।

उन्होंने कहा मैं गेंदबाजी नहीं बल्लेबाजी को लेकर चिंतित हूँ। पूर्व कप्तान ने अनुभवी सनथ जयसूर्या की तारीफ की जिन्होंने शानदार बल्लेबाजी के साथ उम्र के इस मुकाम पर बेहतरीन फिटनेस का भी प्रदर्शन किया है।

उन्होंने कहा सनथ ने वाकई समर्पण दिखाया है। उसकी बल्लेबाजी में और निखार आया है तथा फिटनेस के मामले में वह युवाओं को चुनौती दे रहा है। लेकिन श्रीलंकाई बल्लेबाजी शीर्ष क्रम पर बुरी तरह निर्भर है।

गेंदबाजी में उन्होंने फिरकी के जादूगर मुथैया मुरलीधरन और तेज गेंदबाज चामिंडा वास को श्रीलंकाई आक्रमण की रीढ़ बताया, लेकिन यह भी कहा कि लासिथ मलिंगा की गैर पारंपरिक शैली ट्रंपकार्ड साबित हुई है। वह शार्प शूटर हैं, जो नई और पुरानी दोनों गेंद से विकेट ले सकते हैं। उन्होंने हमारे गेंदबाजी आक्रमण को और धारदार बना दिया है।

राणातुंगा ने कहा वे बहुत अच्छा खेल रहे हैं और मुझे लगता है कि खिताब जीत जाएँगे। सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ मोर्चे से अगुआई करने वाले शतकवीर कप्तान माहेला जयवर्धने के शानदार फॉर्म की उन्होंने खास तौर पर तारीफ की।

पूर्र्व कप्तान के मुताबिक मैंने माहेला को स्कूली क्रिकेट खेलते देखा है और मैं जानता हूँ कि वह अपार प्रतिभाशाली हैं। जब वह युवा थे, तब उनके भाई की ब्रेन ट्यूमर से मौत हो गई थी और उनकी क्रिकेट खेलने में दिलचस्पी नहीं थी।

हम उन्हें जबरन मैदान पर लाए। उनका अपने भाई से काफी लगाव था और वह उन्हें अपने से बेहतर क्रिकेटर बताते थे। मैंने उनके भाई को खेलते नहीं देखा था। मैंने माहेला को मेरे क्लब के लिए खेलने का न्यौता दिया था।

उन्होंने बताया मैंने उनसे पारी की शुरुआत कराई और बाद में वह मध्यक्रम में खेलने लगे। वह खेल को बहुत अच्छी तरह समझते थे और बाद में हमारी अंडर 23 टीम का कप्तान बने।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जयवर्धने को पहला मौका 1997 में भारत के खिलाफ कोलंबो टेस्ट में राणातुंगा ने ही दिया। उन्होंने निराश नहीं करते हुए अर्र्द्धशतक जमाया था। अब वही जयवर्द्धने 29 बरस की उम्र में टीम को फटाफट क्रिकेट का सिरमौर बनाने से एक कदम की दूरी पर है।

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