भारतीय क्रिकेटर मालामाल
3 लाख के विजेताओं को अब साढ़े तीन करोड़
कपिलदेव की टीम 1983 में जब विश्व चैंपियन बनी थी तो उसे केवल 20 हजार पौंड (लगभग 3 लाख 10 हजार रुपए) की पुरस्कार राशि मिली थी, जबकि आज भारतीय क्रिकेट बोर्ड इस टीम के प्रत्येक सदस्य को 25 लाख रुपए देकर सम्मानित कर रहा है यानी तब की पूरी टीम को कुल मिलाकर करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए मिलेंगे।
अब दुनिया की सबसे अमीर खेल संस्था बीसीसीआई के पास तब खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए पैसा नहीं था। ऐसे में सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने दिल्ली में 'विशेष कन्सर्ट' करके 20 लाख रुपए जुटाए थे, जिससे प्रत्येक खिलाड़ी के खाते में एक-एक लाख रुपए गया और विश्व कप अभियान में किसी मैच में नहीं खेलने वाला सुनील वाल्सन भी लखपति बन गए थे।
यह वह जमाना था जबकि क्रिकेट में पैसा नहीं के बराबर था। भारत ने फाइनल में जब वेस्टइंडीज को 43 रन से हराया तो मोहिंदर अमरनाथ 'मैन ऑफ द मैच' बने थे और उन्हें इसके लिए 600 पौंड (9300 रुपए) की पुरस्कार राशि मिली थी।
अमरनाथ इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में भी 'मैन ऑफ द मैच' बने थे, जिसके लिए उन्हें 400 पौंड मिले थे। इससे पहले लीग चरण में 'मैन ऑफ द मैच' बनने वाले यशपाल शर्मा, मदनलाल कपिलदेव और रॉजर बिन्नी में से प्रत्येक को 200 पौंड की पुरस्कार राशि मिली थी।
भारतीय टीम को जीत पर चमचमाती ट्रॉफी मिली थी। इसके अलावा उसके प्रत्येक खिलाड़ी को चाँदी से जड़े पदक भी दिए गए थे। उप विजेता वेस्टइंडीज को आठ हजार पौंड (लगभग एक लाख 25 हजार रुपए) से ही संतोष करना पड़ा था।
सेमीफाइनल में पराजित होने वाले इंग्लैंड और पाकिस्तान को 4-4 हजार पौंड जबकि लीग चरण के विजेता एक-एक हजार पौंड मिले थे।
क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता के साथ इसमें पैसा भी जुड़ता गया। वेस्टइंडीज में पिछले साल खेले गए विश्व कप में विजेता आस्ट्रेलिया को 22 लाख 24 हजार डॉलर (लगभग नौ करोड़ 62 लाख रुपए) पुरस्कार के तौर पर मिले। यहाँ तक कि भारतीय टीम पहले दौर से भी आगे नहीं बढ़ पाई, लेकिन उसे लीग चरण के तीन मैचों में से एक में जीत और दो में हार से 20 हजार डॉलर (लगभग आठ लाख रुपए) मिल गए थे।
राहुल द्रविड़ की अगुवाई वाली टीम को मिली राशि को यदि जून 1983 (जब भारत विश्व चैंपियन बना था) की दर के आधार पर रुपए में तब्दील किया जाता तो तब भी वह लगभग दो लाख रुपए होती।
कैरेबियाई देशों में हुए विश्व कप में उप विजेता श्रीलंका को दस लाख डॉलर (लगभग चार करोड़ रुपए) सेमीफाइनल में हारने वाली टीमों को चार लाख 50 हजार डॉलर जबकि आठवें स्थान पर रहने वाली टीम को 50 हजार डॉलर मिल गए थे। इन सबके सामने 1983 की पुरस्कार राशि नहीं के बराबर थी।
भारत की टीम 2003 में जब उपविजेता रही थी तो खिलाड़ियों पर इतनी धनवर्षा हुई कि एक मैच भी न खेलने वाले खिलाड़ी की जेब कम से कम 70 लाख रुपए से तो भर ही गई थी। महेंद्रसिंह धोनी की अगुवाई में पिछले साल दक्षिण अफ्रीका में ट्वेंटी-20 विश्व कप जीतने पर ही प्रत्येक खिलाड़ी करोड़पति बन गया था।
यहीं नहीं 1983 की विश्व चैंपियन टीम के खिलाड़ियों का आज कई टीवी चैनलों के साथ अनुबंध है, जिससे उन्हें महीने में लाखों रुपए की कमाई होती है।
कपिल देव की टीम की 25 जून को लॉर्ड्स में ऐतिहासिक जीत से भारत में जश्न का माहौल था, लेकिन दुनिया भर के सट्टेबाजों के चेहरे पर मायूस थे क्योंकि भारतीय टीम पर किसी ने सट्टा नहीं लगाया था। टूर्नामेंट से पहले सट्टेबाजार में कपिल की टीम पर एक के बदले 66 का सट्टा लगा था। (भाषा)