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भारत के पास मैच विनर स्पिनर नहीं-प्रसन्ना

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नई दिल्ली (भाषा) , शुक्रवार, 30 जनवरी 2009 (12:08 IST)
भारतीय क्रिकेट टीम में मैच जिताने वाले स्पिनर के अभाव पर खेद जताते हुए अपने जमाने के मशहूर फिरकी गेंदबाज ईरापल्ली प्रसन्ना ने कहा है कि मौजूदा श्रीलंका दौरे पर हरभजनसिंह की गैर मौजूदगी ने टीम इंडिया की इस कमजोरी को फिर उजागर कर दिया है।

प्रसन्ना ने कहा कि मेरी नजर में भारत के पास इस समय कोई भी मैच विनर स्पिनर नहीं है। हरभजनसिंह अकेला स्तरीय स्पिन गेंदबाज है, लेकिन वह अपेक्षा के अनुरूप विकेट नहीं ले पा रहा है। उसकी गैर मौजूदगी में श्रीलंका दौरे पर भारत का स्पिन आक्रमण मामूली लग रहा है।

साठ और सत्तर के दशक में 49 टेस्ट खेलकर 30.38 की औसत से 189 विकेट लेने वाले इस फिरकी गेंदबाज ने कहा कि अनिल कुंबले के संन्यास लेने के बाद भारतीय टीम में जो निर्वात पैदा हुआ है उसकी भरपाई अभी तक नहीं हो पाई है।

उन्होंने कहा कि अनिल के रिटायर होने के बाद भारतीय टीम में एक निर्वात सा पैदा हो गया है। यह कमी अब साफतौर पर महसूस की जा रही है, जब हमारे पास खासतौर पर टेस्ट क्रिकेट में विकेट लेने वाला स्पिनर ही नहीं है।

इस 69 वर्षीय पूर्व गेंदबाज ने कहा कि टेस्ट क्रिकेट पूरे 20 विकेट लेने से जीते जाते हैं और महेंद्रसिंह धोनी की टीम में ऐसा गेंदबाजी संयोजन फिलहाल नहीं है।

प्रसन्ना ने कहा कि अपने अनुकूल बनाई गई पिचों पर विकेट लेना और बात है लेकिन विदेश दौरे पर अच्छी स्पोर्टिंग पिचों पर 20 विकेट लेने की निरंतरता मौजूदा भारतीय गेंदबाजों में नहीं दिखती।

उन्होंने कहा कि टेस्ट क्रिकेट में 30वें से 80वें ओवर के बीच गेंदबाजी काफी अहम होती है। इनमें एक स्पिनर की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है लेकिन अनिल के बाद हमारे पास वैसा स्पिनर नहीं है जो इन ओवरों में मैच का पाँसा पलट दे। उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड दौरे पर भारत को इसका अहसास होगा।

प्रसन्ना ने स्वीकार किया कि भारतीय टीम और तेज गेंदबाजों ने पिछले कुछ अरसे में बेहतरीन प्रदर्शन करके टीम को नंबर एक की दहलीज तक पहुँचाया है।

उन्होंने कहा कि स्पिन हमारी पारंपरिक ताकत रही है लेकिन पिछले कुछ समय में हमारे तेज गेंदबाजों खासकर जहीर खान और ईशांत शर्मा ने अच्छा प्रदर्शन किया है। यह बदलाव अच्छा है लेकिन टीम में अच्छे स्पिनर होना भी उतना ही जरूरी है।

प्रसन्ना ने कहा कि क्रिकेट की संस्कृति अब बिलकुल ही बदल गई है। इसके अलावा गेंदबाजों का रवैया भी अमूमन नकारात्मक होता जा रहा है। एक दिवसीय क्रिकेट ने स्पिन गेंदबाजों पर असर डाला था और रही सही कसर ट्वेंटी-20 क्रिकेट ने पूरी कर दी है।

उन्होंने कहा कि तमाशाई क्रिकेट पूरी तरह से बल्लेबाजों का हो गया है। इसमें गेंदबाजों खासकर स्पिनरों के लिए कहाँ कुछ बचा है।

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