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मातृभूमि के लिए जीतना चाहते हैं मुरली

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बारबडोस (भाषा) , सोमवार, 4 जून 2007 (02:51 IST)
श्रीलंका के करिश्माई स्पिनर मुथैया मुरलीधरन अपनी उपलब्धियों में एक और तमगा जोड़ने के लिए नहीं बल्कि युद्घ की विभीषिका झेल रही अपनी मातृभूमि के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए विश्व कप जीतना चाहते हैं।

श्रीलंका की 1996 विश्व कप विजेता टीम में रह चुके मुरली को इल्म है कि इस तरह की जीत की क्या अहमियत होती है लिहाजा कल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल से पहले वह अपनी टीम को जीत का एक और मकसद देने की कोशिश में हैं।

मुरली ने कहा कि यह मेरे सारे निजी रिकॉर्ड से बड़ी उपलब्धि होगी। हम टीम की सफलता के लिए खेलते हैं। यह युवाओं के लिए प्रेरणासोत साबित होगा और विविधता से भरी यह टीम देश की समस्याओं से निजात दिलाने में मददगार भी।

उन्होंने कहा कि हमारे देश के हालात इस समय खराब हैं, लेकिन हम इस उपलब्धि से लोगों को मुस्कराने का मौका दे सकते हैं। मुरली को यह भी पता है कि रविवार का मुकाबला आसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हमने जब 1996 में खिताब जीता तो मैं काफी युवा था और मुझे पता नहीं था कि विश्व कप कैसे जीता जाता है। अब मुझे पता चल गया है कि यह कितना कठिन काम है।

उन्हें 1996 की टीम और मौजूदा टीम में ज्यादा समानताएँ भी नजर नहीं आती। उस समय भी श्रीलंका ने ऑस्ट्रेलिया को ही हराकर खिताब जीता था। मुरली ने कहा कि दोनों टीमों में काफी अंतर है। उस विश्व कप में हमें क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल खेलकर फाइनल तक पहुँचना पड़ा था। उस समय सभी मैच नाकआउट की तरह थे।

मुरली ने कहा कि उस समय हमारी टीम लक्ष्य का पीछा करने में माहिर थी, लेकिन मौजूदा टीम की ताकत गेंदबाजी है। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सर्वाधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाने की दहलीज पर खड़े मुरली का मानना है कि व्यक्तिगत तौर पर भी उन्होंने काफी लंबा सफर तय किया है।

उन्होंने कहा कि मैं 1996 में सिर्फ 22 साल का था और फिरकी के बारे में ज्यादा पता नहीं था। मैनें वही किया जो मुझे कहा गया था और छह सात विकेट चटकाए। अब हालात बदल चुके हैं। मुरली ने ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग के इस बयान का भी जवाब दिया कि पहला ओवर खेल लेने के बाद इस श्रीलंकाई स्पिनर को खेलना मुश्किल नहीं होता।

उन्होंने कहा फॉर्म में रहने पर मैं किसी को भी आउट कर सकता हूँ। कई बार मेरा दबदबा होता है तो कई बार उनका क्योंकि वह भी महान बल्लेबाज हैं। उन्होंने इस बात से भी इंकार किया कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वह प्रभाव नहीं छोड़ पाते। उ

मुरली ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ श्रीलंका में तीन टेस्ट में 27 विकेट लिए। तुलनात्मक रूप से न्यूजीलैंड के साथ अधिक समस्या है, लेकिन इसके मायने यह कतई नहीं हैं कि ऑस्ट्रेलिया के लिए मैं आसान चुनौती हूँ।

मुरली ने मौजूदा ऑस्ट्रेलियाई टीम को 1996 की टीम से अधिक मजबूत बताते हुए कहा 1996 से अब तक इस टीम में काफी सुधार हुआ है। यह बेहद मजबूत टीम है, लेकिन यदि हम अपनी शैली में खेले तो जीतने से कोई नहीं रोक सकता।

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