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सचिन, नेल्सन और अफ्रीका का मेल

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हमें फॉलो करें सचिन तेंडुलकर
नई दिल्ली , रविवार, 13 मार्च 2011 (12:28 IST)
सचिन तेंडुलकर, नेल्सन यानी 111 और दक्षिण अफ्रीका में गजब का मेल है। यह भारतीय स्टार बल्लेबाज शनिवार को नागपुर में विश्व कप मैच के दौरान 111 रन पर आउट हुआ। यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में तीसरा अवसर है जबकि वह 111 रन पर आउट हुए या नाबाद रहे और संयोग से हर बार विरोधी टीम दक्षिण अफ्रीका की थी।

क्रिकेट में नेल्सन (111), डबल नेल्सन (222) और ट्रिपल नेल्सन (333) को अशुभ माना जाता है। ऐसा मानना है कि तब कुछ अनहोनी घटती है यही वजह है कि इंग्लैंड के पूर्व अंपायर डेविड शेफर्ड तब अपना एक पाँव उठा देते थे जब स्कोर 111, 222 या 333 होता था।

तेंडुलकर ने एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय में 48 शतक जमा लिए हैं लेकिन वह क्रिकेट के इस प्रारूप में पहली बार 111 रन पर आउट हुए। अब तक वन डे में 36 खिलाड़ी 111 रन पर आउट हुए या नाबाद रहे हैं। जबकि टेस्ट क्रिकेट में अब तक 48 खिलाड़ी 54 अवसरों पर इस मनहूस संख्या से आगे नहीं बढ़ पाए।

तेंडुलकर टेस्ट क्रिकेट में दो अवसरों पर इस संख्या पर लटके रहे। इनमें से आखिरी बार वह पिछले साल दिसंबर में दक्षिण अफ्रीकी दौरे में सेंचुरियन में 111 रन बनाकर नाबाद रहे थे। यह उनका टेस्ट मैचों में 50वाँ शतक भी था लेकिन तब भारतीय टीम पारी और 25 रन से हार गई थी।

इससे पहले वह नवंबर 1992 में जोहानिसबर्ग में 111 रन पर आउट हो गए थे। उन्हें तब हैन्सी क्रोन्ये ने एंड्रयू हडसन के हाथों कैच कराया था। संयोग से क्रोन्ये के सबसे प्रिय शिकार तेंडुलकर ही थे।

तेंडुलकर वन डे में चौथे भारतीय बल्लेबाज हैं जो इस संख्या से आगे नहीं बढ़ पाए। पूर्व कप्तान सौरव गांगुली एक बार 111 रन पर आउट हुए जबकि एक बार इस संख्या पर नाबाद रहे। संयोग से ये दोनों मैच कीनिया के खिलाफ खेले गए थे। गांगुली के अलावा दक्षिण अफ्रीका के हर्शल गिब्स भी वन डे में दो बार 111 के शिकार बने।

मोहम्मद अजहरूद्दीन श्रीलंका के खिलाफ 1997 में कोलंबो में 111 रन बनाकर नाबाद रहे थे। उनका इस संख्या पर लटके रहना भारत के लिए अशुभ साबित हुआ और टीम केवल दो रन से मैच हार गई थी। मोहम्मद कैफ हालाँकि जब 2002 में कोलंबो में ही जिम्बाब्वे के खिलाफ 111 रन बनाकर नाबाद रहे थे तब भारत ने 14 रन से जीत दर्ज की थी।

एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 111 रन पर आउट होने वाले पहले बल्लेबाज ऑस्ट्रेलिया के डेविड बून (भारत के खिलाफ जयपुर में 1986 में) थे। भारत ने तब यह मैच सात विकेट से जीत लिया था। यदि टेस्ट मैचों की बात करें तो यह श्रेय इंग्लैंड के जैक रसेल को जाता है जो 1923 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ डरबन में नेल्सन के शिकार बने थे।

भारत के अन्य खिलाड़ियों में वीनू मांकड़, पंकज राय, सुनील गावस्कर, रवि शास्त्री, नवजोत सिंह सिद्धू और हरभजन सिंह भी नेल्सन के फेर में फंसे हैं। मांकड 111 पर आउट होने वाले पहले भारतीय थे।

उन्होंने 1948 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में यह रनसंख्या बनायी थी और भारत यह मैच हार गया था। हरभजनसिंह पिछले साल न्यूजीलैंड के खिलाफ हैदराबाद में 111 रन बनाकर नाबाद रहे थे। यह मैच ड्रॉ रहा था।

द्रविड़ दुनिया के अकेले ऐसे क्रिकेटर हैं जो नेल्सन और डबल नेल्सन पर आउट हुए हैं। उन्होंने 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अहमदाबाद में ड्रा छूटे मैच में 222 रन बनाए थे।

वैसे डबल नेल्सन पर आउट होने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज भारत के गुंडप्पा विश्वनाथ थे। उनके बाद द्रविड़, न्यूजीलैंड के नाथन एस्टल, श्रीलंका के कुमार संगकारा और दक्षिण अफ्रीका के जाक रूडोल्फ भी डबल नेल्सन क्लब में शामिल हुए। संगकारा और रूडोल्फ 222 रन बनाकर नाबाद रहे थे।

यही नहीं टेस्ट क्रिकेट में दो बल्लेबाज ट्रिपल नेल्सन यानी 333 पर भी आउट हुए हैं। इंग्लैंड के ग्राहम गूच 1990 में भारत के खिलाफ लार्डस में जबकि वेस्टइंडीज के क्रिस गेल नवंबर 2010 में श्रीलंका के खिलाफ गाले में 333 रन बनाकर आउट हुए थे। (भाषा)

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