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सहवाग ने हैमिल्टन में खेली 'रनों की होली'

वीरू का 6 माह का बच्चा भी पिता के नक्शेकदम पर

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हमें फॉलो करें वीरेन्द्र सहवाग

सीमान्त सुवीर

11 मार्च का दिन तीन अहम घटनाओं को अपने दामन में समेटने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। पहली तो यह कि इस दिन पूरे देश ने रंगों की उमंग का त्योहार 'होली' मन भरकर मनाया। आज न छोड़ेंगे...और रंग बरसे... जैसे तराने मंगलवार की रात से ही शुरू हो गए थे।

Girish SrivastavaWD
इसी बीच दूसरी बड़ी खबर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से आई कि वहाँ राजनीतिक उठापटक पूरे शबाब पर पहुँच गई है और किसी भी समय तख्तापलट हो सकता है। तीसरी घटना सनसनी फैलाने के साथ जोश भरने वाली थी। सुदूर हैमिल्टन में बारिश की तेज फुहार भी सहवाग के बल्ले को नहीं रोक सकी, जिसकी बदौलत भारत 33 साल बाद न्यूजीलैंड में वनडे सिरीज को फतह करने में कामयाब रहा।

वाकई हैमिल्टन में सहवाग ने जो 'रनों की होली' खेली, उसने हर भारतीय को इन्द्रधनुषीय रंग से भीतर तक सराबोर कर डाला। क्रिकेट के दीवाने वासंती हवाओं के झोंकों के बीच ढोलक की थाप पर दोगुने उत्साह से नाचने-गाने लगे। होली की मस्ती में भारतीय टीम की जीत ने उत्साह-उमंग के इस माहौल में 'बोनस' का काम किया।

हम भारतीयों को खुशी-जश्न मनाने के बहुत कम मौके मिलते हैं। भारतीय क्रिकेट टीम देश में जीते या विदेश में, कहने की जरूरत नहीं कि शामे-जश्न का आयोजन किया जाए, यह तो बरबस हो ही जाता है। भारतीय सूरमा जब तक न्यूजीलैंड की धरती पर नहीं उतरे थे, तब तक उन्हें भयाक्रांत किया जा रहा था और जब पहले दोनों ट्‍वेंटी-20 मैच वे हार गए तो कीवीलैंड (न्यूजीलैंड) में खेलने का खौफ और बढ़ गया।

वनडे की ‍शुरुआत होते ही सहवाग, सचिन, गंभीर, धोनी और युवराज न्यूजीलैंड के गेंदबाजों पर पिल पड़े और चौथे वनडे में उन्होंने सिरीज जीतकर ही दम लिया। भारत 1976 से न्यूजीलैंड का दौरा कर रहा है, लेकिन इन 33 सालों में एक प्रसंग भी ऐसा नहीं आया, जब भारतीय टीम होटल पहुँचकर सिरीज जीतने का जश्न मना सके, लेकिन 11 मार्च को भारत ने इस मिथक को तोड़ा और सिरीज की जीत का 'श्रीगणेश' किया। यह जीत बुधवार यानी गणेशजी के वार के दिन ही मिली।

सहवाग ने बहुत ही संतुलित पारी खेली। अपने कदमों का सही इस्तेमाल किया और न्यूजीलैंड के गेंदबाजों को इस बात का इल्म तो करवा ही दिया कि एक बल्लेबाज गेंद का 'कचूमर' कैसे बनाता है। न्यूजीलैंड टीम के पेशे से डॉक्टर कप्तान डेनियल विटोरी भी थे और उन्हीं की गेंद पर छक्का उड़ाकर सहवाग ने अपना और भारत का सबसे तेज शतक जमाया, सिर्फ 60 गेंदों में।

इस मैच में पाँच मर्तबा इन्द्रदेवता ने विघ्न डाला, लेकिन सहवाग का कद्दावर शरीर बारिश की बूँदों से डिगने वाला नहीं था। वे 74 गेंदों पर 14 चौकों और 6 छक्कों की मदद से 125 रन पर अजेय योद्धा की मानिंद तब तक डटे रहे, जब तक कि मैच रैफरी रंजन मदुगले ने यह घोषणा नहीं कर दी कि भारत 84 रन से मैच जीत चुका है।

सहवाग ने कीवीलैंड में कदम रखते ही अपने बल्ले से जलवा दिखाना शुरू कर दिया था। पहले ट्‍वेंटी-20 में उन्होंने 11 गेंदों पर 26 और दूसरे में भी 11 गेंदों में 25 रन ठोंके। पहले वनडे में उन्होंने 56 गेंदों पर 77 और दूसरे वनडे में 36 गेंदों में 54 रन बनाए, लेकिन तीसरे वनडे में वे केवल 3 रन ही बना सके। इसकी भरपाई उन्होंने चौथे वनडे में की और नाबाद 125 रन बनाने में कामयाब रहे।

मार्च का महीना सहवाग के लिए हमेशा 'विशेष' रहा है। पॉकेट डायनामाइट ने 309 रन मार्च में ठोंके थे और 319 रन की पारी भी साल के तीसरे महीने में ही आई थी। नजफगढ़ का यह नवाब फागुन में अपने शबाब पर आ जाता है। सहवाग की माँ की बातों पर विश्वास करें तो वे कहती हैं वीरू की शादी आरती के साथ हुई और मेरी बहू उसके लिए सौभाग्यशाली रही है।

मेरा छह महीने का पोता भी उसी तरह क्रिकेट का बल्ला थामता है, जैसा वीरू इस उम्र में थामता था। मंगलवार की रात में ही वे फ्लाइट से पोते को छोड़ने गई थीं और अब दे‍खिए कि उसके न्यूजीलैंड पहुँचने से पहले ही वीरू ने यादगार पारी खेलकर भारत को ऐतिहासिक जीत दिला दी। मैं तो यही कहती हूँ कि ऐसे ही खेलते रहियो और टेस्ट में भी जीत दिलाकर भारत लौटो।

  रिचर्ड्‍स के बाद किसी बल्लेबाज ने दुनिया की टीमों के बीच भय उत्पन्न किया है, तो वे वीरेन्द्र सहवाग ही हैं। उनका जोश और जज्बा देखते ही बनता है। चौथे वनडे में कीवी गेंदबाज तय ही नहीं कर पा रहे थे कि भारत के इस विस्फोटक बल्लेबाज के लिए कहाँ गेंद डालें      
वीरेन्द्र सहवाग के बल्ले से निकली रनों की फुलझड़ियों ने 'होली' में 'दीवाली' मनाने का अहसास करवा दिया। 20 साल पहले वडोदरा में अजहरुद्दीन ने न्यूजीलैंड के खिलाफ ही सबसे तेज वनडे शतक (62 गेंद) जमाया था और आज वीरू ने 60 गेंदों पर सैकड़ा जमा डाला।

सर विवियन रिचर्ड्‍स के बाद किसी बल्लेबाज ने दुनिया की टीमों के बीच भय उत्पन्न किया है, तो वे वीरेन्द्र सहवाग ही हैं। उनका जोश और जज्बा देखते ही बनता है। चौथे वनडे में कीवी गेंदबाज तय ही नहीं कर पा रहे थे कि भारत के इस विस्फोटक बल्लेबाज के लिए कहाँ गेंद डाली जाए। इस मैच में सहवाग का 'टाइमिंग' गजब का रहा। सहवाग का अगला लक्ष्य न्यूजीलैंड के छोटे मैदान पर दोहरा शतक जमाने का है। हो सकता है कि मार्च का महीना उनकी यह मुराद भी पूरी कर दे।

बुधवार के दिन चौथे वनडे को देखने के लिए 10 हजार 400 दर्शक हैमिल्टन के सेडन पार्क में जमा थे और लगातार बारिश के बावजूद वे सहवाग की तूफानी बल्लेबाजी को देखने के लिए डटे रहे। वे जानते थे कि बारिश से वे थोड़ा तो जरूर भीगेंगे, लेकिन सहवाग की पारी को 'मिस' कर दिया तो पता नहीं, यह भीतर तक भीग जाने का मौका उन्हें मिले या न मिले।

धोनी की इस टीम की तारीफ इसलिए भी की जाना चाहिए कि उन्होंने देश-विदेश दोनों जगह लगातार तीसरी सिरीज अपने नाम की है। इस टीम में यदि वीरू तीसरे वनडे में नहीं चलते हैं तो वहाँ सचिन का बल्ला अपने पूरे यौवन पर आकर नाबाद 163 रन ठोंक देता है। युवराज 87 और खुद धोनी 68 रन बनाते हैं।

पेट पर लगी चोट की वजह से भारत ने एहतियातन सचिन को चौथे वनडे में आराम दिया और उनकी गैरमौजूदगी में भी टीम जीत दर्ज करने में सफल रही। यानी आज भारतीय टीम किसी एक खिलाड़ी की मोहताज नहीं है। टीम प्रबंधन और कोच गैरी कर्स्टन का ही यह कमाल है कि 'टीम इंडिया' पूरी तरह से संतुलित है और विदेशी जमीन पर भी सिरीज जीतने का माद्दा रखती है।

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