मेलबोर्न। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया के हरफनमौला खिलाड़ी एंड्रयू साइमंड्स अपनी दुर्दशा के खुद जिम्मेदार हैं और इसका भारतीय ऑफ स्पिनर हरभजनसिंह से कुछ लेना-देना नहीं है।
गावस्कर के हवाले से फॉक्स स्पोर्ट्स ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया मीडिया का एक तबका क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) के खिलाफ साइमंड्स की शिकायतों के लिए सिडनी टेस्ट में उपजे विवाद को जिम्मेदार ठहरा रहा है। उसकी दलील है कि हरभजन के खिलाफ सीए के नरम रुख के कारण साइमंड्स की यह हालत हुई है।
गावस्कर पिछले वर्ष के अंत में भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलिया दौरे में सिडनी टेस्ट के दौरान हुई घटना के संदर्भ में बोल रहे थे। इस मैच के दौरान साइमंड्स ने हरभजन पर नस्लभेदी टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए मैच रैफरी के पास शिकायत दर्ज कराई थी। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के मैच रैफरी ने हरभजन को तीन मैचों के लिए निलंबित कर दिया था।
इस पर काफी हंगामा हुआ और भारतीय टीम का दौरा रद्द कर स्वदेश लौटने की नौबत आ गई थी। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के हस्तक्षेप के बाद आईसीसी ने इस मामले की जाँच के लिए जस्टिस हेनसन को नियुक्त किया। हेनसन ने हरभजन को नस्लभेदी टिप्पणी करने के आरोप से क्लीन चिट देते हुए उन्हें मैदान पर दुर्व्यवहार का दोषी पाया और एक मैच के लिए निलंबित कर दिया।
हालाँकि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने कुछ दिन पहले दावा किया था कि सीए ने इस मामले में साइमंड्स का साथ नहीं दिया, जबकि बीसीसीआई हरभजन के समर्थन में खड़ा था।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि आठ महीने पहले एडिलेड की फेडरल अदालत में जो कुछ हुआ, उसके लिए साइमंड्स ने आज तक सीए को माफ नहीं किया है। हरभजन को नस्लभेदी टिप्पणी करने के आरोप से बरी करार दिए जाने से साइमंड्स काफी गुस्सा थे। उन्हें लग रहा था कि सीए की दिलचस्पी अपने खिलाड़ी को बचाने से ज्यादा भारतीय बोर्ड से पींगें बढ़ाने में है। गावस्कर ने कहा कि साइमंड्स के साथ हाल में जो कुछ हुआ उनके लिए वे खुद जिम्मेदार हैं। इसके लिए हरभजन को दोष देना उनके साथ अन्याय है।
उल्लेखनीय है कि साइमंड्स को हाल में टीम की एक महत्वपूर्ण बैठक से नदारद रहने के कारण बांग्लादेश के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सिरीज के लिए टीम से निकाल दिया गया था।
पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया सिडनी टेस्ट विवाद में सीए पर भारतीय बोर्ड के आगे झुकने का आरोप लगा रहा है, जबकि सचाई यह है कि इस घटना के ऑडियो-वीडियो रिकार्डिंग में कहीं भी साइमंड्स के नस्लभेदी टिप्पणी का कोई सबूत नहीं है।
उन्होंने कहा कि सीए अच्छी तरह जानता था कि एक कानूनविद् के सामने उसके आरोप ठहर नहीं पाएँगे, इसलिए सीए ने अपनी खाल बचाने के लिए हरभजन पर अभद्र भाषा के इस्तेमाल का आरोप लगाया गया जबकि इसकी शुरुआत साइमंड्स ने की थी।
उन्होंने कहा कि अंततः सजा हरभजन को मिली जबकि साइमंड्स साफ-साफ बच गए। मुझे लगता है कि दोनों खिलाड़ियों को मैदान के बाहर होने वाले विवादों से दूर रखा जाना चाहिए। (वार्ता)