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हमने विरोधी टीम को साधारण बना दिया : पोंटिंग

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ब्रिजटाउन (भाषा) , सोमवार, 4 जून 2007 (05:49 IST)
लगातार तीसरी बार खिताब जीतने के बाद ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग का मानना है कि विश्व कप में जिस तरह उनकी टीम खेली, उसने अच्छी टीमों के प्रदर्शन को भी 'साधाण' बना दिया।

यूँ तो इस विश्व कप को अभी तक का सबसे खुला टूर्नामेंट कहा गया, लेकिन ऑस्ट्रेलिया इस बार भी 11 मैच में अजेय बना रहा और इससे ज्यादा क्या कहा जा सकता है कि टीम किसी भी मैच में हारती नहीं दिखाई दी।

पोंटिंग ने कहा जिस तरीके से हम घरेलू श्रृंखला और न्यूजीलैंड में चैपल हैडली श्रृंखला में खेले हम चितिंत नहीं थे, क्योंकि विश्व कप के लिए तैयारी करने का उतना समय नहीं मिल सका, जितना हम चाहते थे। मैं खुश हूँ कि कड़ी मेहनत का हमें फल मिला।

मैंने पढ़ा कि हम भी इस विश्व कप के लिए पिछले ढाई साल से तैयारी कर रहे थे। मुझे लगता है कि 2005 एशेज श्रृंखला में इंग्लैंड के हाथों मिली शिकस्त ने हमारी टीम में नया जोश भर दिया था। एशेज के बाद हमने फैसला किया कि हम किसी बात को हल्के में नहीं लेंगे और इसके बाद हम लंबे समय तक के लिए सुधार जारी करने में सफल रहे।

यह भले ही बेतुका लगे लेकिन सच बताऊँ तो हमने आपस में कभी भी लगातार तीसरी बार विश्व कप खिताब जीतने के बारे में बात नहीं की। हम सिर्फ एक बार में एक ही मैच पर ध्यान लगाना चाहते थे।

पोंटिंग ने श्रीलंका के फाइनल में प्रदर्शन की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने चुनौती पेश करने की कोशिश की। सनथ जयसूर्या और कुमार संगकारा बेहतरीन खिलाड़ी हैं और इन दोनों ने श्रीलंका को जीत की दौड़ में बनाए रखा था। एक समय उनका रन रेट काफी ज्यादा था, लेकिन संगकारा के जाने के बाद मैच का रूख हमारी ओर मुड़ गया। उन्होंने काफी अच्छा मुकाबला खेला।

भविष्य के बारे में पोंटिंग का मानना है कि युवा खिलाड़ियों को ऑस्ट्रेलियाई अजेय अभियान में शामिल कर उनको इसके मुताबिक ढालना रोमाचंक होगा। व्यक्तिगत रूप से यह बहुत जोशीला समय होगा। मैं किसी भी मैच में जीतने की ख्वाहिश के बिना नहीं जाता और आगे भी ऐसा ही होगा। मैं चिंतित नहीं हूँ। हमारे पास जस्टिन लैंगर, शेन वॉर्न, ग्लेन मैग्राथ और डेमियन मार्टिन जैसे खिलाड़ी रहे। गर्मियों के बाद कुछ खिलाड़ी टेस्ट टीम छोड़ देंगे और यह मेरे कॅरियर का सबसे रोमाचंक समय होगा।

उन्होंने कहा सीनियर खिलाड़ियों के अपने प्रदर्शन को ऊँचा करना और साथ ही जूनियर को भी साथ लेकर चलना एक चुनौतीभरा काम होगा। जब मैं 1995 में आया तो मैं कुछ सीनियर खिलाड़ियों की दी गई सलाह की प्रशंसा करता था। फिलहाल तो मेरे लिए तीसरी बार विश्व कप जीतने का जश्न मनाने का वक्त है।

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