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1983 के कन्सर्ट को कभी भूल नही सकती-लता

सचिन तो क्रिकेट के भगवान हैं

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दिल्‍ली (भाषा) , शुक्रवार, 20 जून 2008 (19:38 IST)
25 वर्ष पहले कपिल देव की विश्व कप विजेता टीम के लिए अपनी आवाज का जादू बिखेरने वाली सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का कहना है कि उस खास कन्सर्ट और फाइनल मैच को वह ताउम्र नहीं भूल सकती।

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लतभले ही इस बार बीसीसीआई के न्यौते के बावजूद तबीयत नासाज होने के कारण कपिल की टीम के सम्मान समारोह में भाग लेने नहीं आ पा रही हैं, लेकिन उसी टीम के लिए 1983 में की गई कन्सर्ट को वह आज तक नहीं भूली हैं।

अपने क्रिकेट प्रेम के लिए मशहूर लता ने कहा कि मैने लॉर्ड्स पर खेला गया वह फाइनल दर्शक दीर्घा में बैठकर देखा था। मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि हमने दो बार की चैम्पियन वेस्टइंडीज को हराकर खिताब जीत लिया है।

निश्चित तौर पर हर भारतीय की तरह मुझे भी बहुत खुशी हुई। उन्होंने बताया मैने मैच से पहले कपिल देव की टीम को लंदन में होटल में डिनर पर बुलाया था। मैंने उन्हें अपनी शुभकामनाएँ दी थी और फाइनल में तो भारतीयों ने कमाल ही कर दिया।

उन दिनों एक कन्सर्ट के सिलसिले में लंदन में मौजूद लता फाइनल मैच देखने का मोह नहीं छोड़ सकीं और स्टेडियम में बैठकर उन्होंने कपिल के रणबांकुरों की हौसला अफजाई की।

टीम के स्वदेश लौटने के बाद भारतीय क्रिकेट बोर्ड के पास खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए पर्याप्त धन नहीं था तो सुरों की इस मलिका से दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ स्टेडियम में एक विशेष कन्सर्ट करने का अनुरोध किया गया।

क्रिकेटप्रेमी लता ने इसे सहर्ष स्वीकार किया और इससे जुटे 20 लाख रुपए से बोर्ड ने टीम के हर सदस्य को एक-एक लाख रुपए दिए।

लता ने बताया कि साढे़ तीन घंटे के उस कन्सर्ट में सभी खिलाड़ियों ने मेरे साथ एक गाना भी गाया था जो मेरे भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर ने कंपोज किया था।

सुनील गावस्कर और कपिल देव मेरे आजू-बाजू खड़े होकर गा रहे थे। सबसे ज्यादा गीतों को अपना स्वर देने के लिए गिनीज बुक में नाम दर्ज करा चुकी लता ने बताया कि मुझे याद है जब लंदन में टीम के खिताब जीतने के बाद कपिल देव ने मुझे डिनर पर बुलाया था।

मैं कुछ देर के लिए गई थी और सभी खिलाड़ियों को बधाई दी थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली में गाने के बाद उन्हें तुरंत कन्सर्ट के लिए लंदन रवाना होना पड़ा था लिहाजा वे किसी से नहीं मिल पाई।

उस टीम के अपने पसंदीदा खिलाड़ी के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि सुनील गावस्कर मेरे नंबर वन फेवरिट थे। कपिल का हरफनमौला प्रदर्शन भी काबिले तारीफ था।

उम्र के सात दशक पार करने के बावजूद भी क्रिकेट मैचों के प्रति लता की दिलचस्पी कम नहीं हुई है और टीम के हारने पर अभी भी वह काफी समय तक दु:खी रहती हैं।

लता ने कहा कि पिछले साल विश्व कप में टीम पहले दौर में बाहर हो गई तो मुझे बहुत दुख हुआ, लेकिन खेल में तो यह चलता ही रहता है। सचिन तेंडुलकर की मुरीद इस महान गायिका ने इस मास्टर बल्लेबाज के बारे में कहा कि सचिन तो क्रिकेट का भगवान है।

वह हर क्रिकेटप्रेमी का पसंदीदा खिलाड़ी है और हमें उस पर गर्व है। मैं आईपीएल में मुंबई इंडियन्‍स के साथ थी, लेकिन बदकिस्मती से टीम हार गई।

25 बरस में क्रिकेट में आए बदलावों को सकारात्मक मानने वाली लता ने कहा कि क्रिकेट की क्यों संगीत समेत हर चीज में बदलाव आया है और यह स्वाभाविक है। मैं इसे बुरा नहीं मानती। कपिल की 1983 टीम के लिए अपना कौन सा गाना समर्पित करेंगी यह पूछने पर उन्होंने कहा एक ही गाना मेरे जेहन में आ रहा है वंदे मातरम्।

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