5 secrets behind James Anderson success : इंग्लैंड के जेम्स एंडरसन टेस्ट क्रिकेट में 700 विकेट लेने वाले पहले तेज गेंदबाज और कुल तीसरे गेंदबाज बन गए हैं। श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन (Muttiah Muralitharan) और ऑस्ट्रेलिया के शेन वार्न (Shane Warne) एकमात्र अन्य गेंदबाज हैं जिन्होंने यह आंकड़ा पार किया है। एंडरसन 187 टेस्ट में 26.52 की औसत से इस मुकाम तक पहुंचे हैं।
अंग्रेजी में एक कहावत है 'Aging like fine wine' वे अपनी उम्र के साथ साथ और बेहतर होते जा रहे हैं। आइए जानते हैं जेम्स एंडरसन की सफलता के पीछे क्या कारण रहे हैं।
1. फिटनेस (Fitness) : क्रिकेट के बारे में कोई जानकारी न रखने वाले एक शख्स से जेम्स एंडरसन की तस्वीर दिखाकर जब आप उनकी उम्र पूछेंगे तो वह जो भी उत्तर देंगे उनका अनुमान 41 के करीब नहीं होगा जो कि जेम्स की असली उम्र है। इस उम्र में भी वे एक 25 साल के लड़के की तरह फिट हैं।
स्पोर्ट्स मेल के एक लेख से पता चलता है कि जेम्स एंडरसन ने नेट अभ्यास के बाहर, एंडरसन ने ट्रेनिंग के दौरान दौड़ने की तकनीक पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है, सिद्धांत यह है कि यह जितना अधिक कुशल होगा, मांसपेशियों और जोड़ों पर उतना ही कम तनाव पड़ेगा और थकान होने पर चोट लगने की संभावना उतनी ही कम होगी।
इसके अलावा वे Gym में पसीना बहाकर weight लिफ्टिंग कर अपने आप को फिट रखते हैं और इतना सब करने के बाद कुछ नहीं होता अगर आपकी डाइट आपकी ट्रेनिंग को कॉम्प्लीमेंट न करें, जेम्स एंडरसन एक कड़ी डाइट फॉलो करते हैं जो उनके वर्कआउट को कॉम्पलिमेंट करती हो।
एंडरसन ने अपने शरीर का ख्याल रखा है और अपने करियर के दौरान अपने फिटनेस स्तर को बनाए रखने में कामयाब रहे हैं, जिससे उन्हें इस उम्र में भी अच्छा प्रदर्शन जारी रखने में मदद मिली है।
2. निरंतरता (Consistency) : इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपने क्षेत्र में कितने अच्छे हैं, निरंतरता ही वह चीज है जो आपके कौशल और प्रतिभा को चमकाती है। एंडरसन ने दो दशकों से अधिक समय से लगातार उच्च गुणवत्ता वाला प्रदर्शन किया है, जो खेल के प्रति उनके कौशल और समर्पण का प्रमाण है। उन्होंने टी-20 और वनडे प्रारूपों से संन्यास ले लिया है और केवल टेस्ट मैच फोकस करते हैं।
उन्होंने सभी ध्यान भटकाने वाली चीजों को एक तरफ रखा है और केवल एक चीज पर ध्यान केंद्रित किया है, वह यह है कि इतने दिग्गज और महान गेंदबाज होने के बावजूद वह अपने खेल को कैसे हर दिन बेहतर बना सकते हैं। उनके पास गेंद को दोनों तरफ स्विंग करने की अद्भुत क्षमता है, जिससे बल्लेबाजों के लिए क्रीज पर सहज होना मुश्किल हो जाता है।
3. अनुशासन (Discipline) : चाहे आप कितने भी टैलेंटेड और पैशनेट क्यों न हों, अगर आप अपने काम, अपनी जीवनशैली के प्रति अनुशासित नहीं हैं तो आप खोया हुआ महसूस करेंगे, हर सफल व्यक्ति के पीछे अनुशासन एक कुंजी रही है। अगर आप जेम्स एंडरसन को देखें तो उनका ध्यान ज्यादातर अपने खेल को बेहतर बनाने पर रहता है, वह या उनका बोर्ड उनके लिए जो भी नियम बनाता है वह पूरी लगन के साथ उनका सख्ती से पालन करते हैं।
4. परिस्थितियों का ज्ञान (Knowledge of Conditions) : एंडरसन के पास दुनिया भर में क्रिकेट खेलने का अनुभव है और उनके पास विभिन्न परिस्थितियों और पिचों की गहरी समझ है। उन्हें पता होता है कि वे बल्लेबाजों को किस तरह से अपना शिकार बना सकते हैं। किस तरह से वे अलग अलग पिचों का फायदा उठा सकते हैं।
उन्हें बल्लेबाजों की कमजोरियां पता होती है। उन्होंने तीन जनरेशन के खिलाफ खेला है जिसमे सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली और शुभमन गिल शामिल हैं, यह तीनों उनके द्वारा सबसे ज्यादा बार आउट करने वाली सूचि में भी शामिल हैं। एंडरसन ने अपने 700 विकेटों में से 434 विकेट घरेलू मैदान पर लिए हैं, जबकि 266 विकेट विदेश में लिए हैं
5. खेल के प्रति प्यार और समर्पण (Love and Dedication for the game) : अपने देश के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाला गेंदबाज बनने और 700 विकेट लेने वाले पहले तेज गेंदबाज बनने के लिए इच्छाशक्ति, जुनून और बहुत सी अन्य चीजों की जरूरत होती है, अपने देश, अपने खेल और प्रारूप के प्रति प्यार और समर्पण की जरूरत होती है।
जहां आजकल ज्यादातर खिलाड़ी छोटे प्रारूप खेलना पसंद करते हैं, वहीं जेम्स एंडरसन ने काफी पहले ही इन प्रारूपों से संन्यास ले लिया था, उन्होंने अपना आखिरी टी20 मैच 2009 में और आखिरी वनडे मैच 2015 में खेला था। तब से उन्होंने केवल एक ही प्रारूप पर ध्यान केंद्रित किया और अभी भी वे इस प्रारूप से रिटायरमेंट लेने के बारे में नहीं सोचते हैं।