नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेटर अभिनव मुकुंद ने सोशल मीडिया पर नस्लवादी टिप्पणियों पर करारा जवाब देते हुए कहा है कि अपनी त्वचा के रंग के कारण वे खुद बरसों से यह अपमान झेलते आए हैं। उन्होंने कहा कि बचपन से ही मेरी चमड़ी के रंग को लेकर लोगों का रवैया मेरे लिए हैरानी का सबब रहा।
अपने ट्विटर पेज पर एक बयान में मुकुंद ने त्वचा के रंग को लेकर भेजे गए कुछ संदेशों पर निराशा जताई है। मुकुंद ने श्रीलंका के खिलाफ मौजूदा श्रृंखला में पहला टेस्ट खेलकर दूसरी पारी में 81 रन बनाए थे। तमिलनाडु के इस बल्लेबाज ने स्पष्ट किया कि उनके बयान में भारतीय क्रिकेट टीम के किसी सदस्य से कोई सरोकार नहीं है।
उन्होंने कहा कि मैं कोई हमदर्दी या तवज्जो लेने के लिए यह नहीं लिख रहा। मैं लोगों की मानसिकता बदलना चाहता हूं। मैं 15 बरस की उम्र से देश के भीतर और बाहर घूमता आया हूं। बचपन से मेरी चमड़ी के रंग को लेकर लोगों का रवैया मेरे लिए हैरानी का सबब रहा।
उन्होंने कहा कि जो क्रिकेट देखता है, वह समझता होगा। मैंने चिलचिलाती धूप में खेला है और मुझे इसका कोई मलाल नहीं कि मेरा रंग काला हो गया है। मैं वह कर रहा हूं जिससे मुझे प्यार है और इसके लिए मैं घंटों नेट पर बिताता हूं। मैं चेन्नई का रहने वाला हूं, जो देश के सबसे गर्म इलाकों में से है। मुकुंद ने कहा कि गोरा रंग ही 'लवली' या 'हैंडसम' नहीं होता। जो भी आपका रंग है, उसमें सहज रहकर अपने काम पर फोकस करें।
उन्होंने यह भी कहा कि उनके बयान का भारतीय टीम के किसी सदस्य से सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि इसका कुछ और मतलब न निकाला जाए। इसका टीम में किसी से कोई सरोकार नहीं है। यह उन लोगों के लिए है, जो चमड़ी के रंग को लेकर लोगों को निशाना बनाते हैं। कृपया इसे राजनीतिक रंग न दें। मैं सिर्फ सकारात्मक बयान देना चाहता था जिससे कि कोई बदलाव आए। (भाषा)