नई दिल्ली। बीसीसीआई में शीर्ष दो पदों के लिए भले ही उनका नाम दावेदारों में चल रहा हो, लेकिन महाराष्ट्र क्रिकेट संघ के अध्यक्ष अजय शिर्के ने कहा कि वे दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड में किसी पद के लिए ‘कतार में खड़े होने’में विश्वास नहीं रखते।
शिर्के ने कहा कि मैं पहले ही शुरू में आपको स्पष्ट कर दूं कि मैंने बीसीसीआई के अंदर किसी भी शीर्ष पद के लिए खुद को दौड़ में नहीं रखा है और न ही मेरा लक्ष्य कोई पद हासिल करने का है, जैसा आप कह रहे हो, मेरा नाम चल रहा है और कईयों को ऐसा लग भी रहा होगा कि मैं अपना नाम मीडिया में दे रहा हूं जो मैंने नहीं किया है।
महाराष्ट्र क्रिकेट संघ का यह शीर्ष अधिकारी बोर्ड का पूर्व कोषाध्यक्ष भी रह चुका है। उन्होंने कहा कि वे 22 मई को मुंबई में होने वाली विशेष आम बैठक की तारीख के बारे में वाकिफ नहीं हैं। शिर्के ने कहा कि मैं लंदन में हूं, मुझे विशेष आम बैठक के बारे में जानकारी नहीं है।
अगर बीसीसीआई से नोटिस आया है तो यह एमसीए के कार्यालय में ही होगा। उन्होंने हालांकि कहा कि यह भविष्यवाणी करना उचित नहीं होगा कि बीसीसीआई में इस समय क्या होगा, विशेषकर तब जब उच्चतम न्यायालय को अपना फैसला सुनाना है।
शिर्के ने कहा कि मैं 7000 किमी दूर बैठकर कैसे भविष्यवाणी कर सकता हूं। और जब तक उच्चतम न्यायालय का फैसला नहीं आ जाता, आदेश के बोर्ड के काम करने के तरीकों पर पड़ने वाले प्रभावों को समझना मुश्किल होगा। अगर सभी सिफारिशें माननी होंगी तो कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद बोर्ड के पदों का गठन किस तरह से होगा।
बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर की तरह पूर्व कोषाध्यक्ष और आईपीएल के संचालन परिषद के सदस्य ने भी यही चिंता व्यक्त की कि अगर लोढ़ा समिति की विज्ञापनों को कम करने की सिफारिशों को लागू किया जाता है तो बोर्ड के राजस्व में काफी नुकसान होगा। शिर्के ने कहा कि मैं कोषाध्यक्ष था, मुझे बोर्ड की वित्तीय स्थिति के बारे में पता है। मैं बता सकता हूं कि अगर उसके राजस्व में कुछ कटौती की गयी तो दो साल बाद बीसीसीआई नुकसान में होगा। (भाषा)