विशाखापत्तनम। अनुभवी लेग स्पिनर अमित मिश्रा अपनी तमाम काबिलियत के बावजूद टीम प्रबंधन के लिए हमेशा आसान शिकार रहे हैं। 33 वर्षीय मिश्रा को इंग्लैंड के खिलाफ यहां दूसरे टेस्ट में अंतिम एकादश से बाहर रखा गया और उनकी जगह आफ स्पिनर जयंत यादव को टेस्ट पदार्पण करने का मौका दिया गया।
मिश्रा को विशाखापत्तनम के उस मैदान से बाहर बैठाया गया जहां उन्होंने गत 29 अक्टूबर को न्यूजीलैंड के खिलाफ निर्णायक वनडे में 18 रन पर पांच विकेट लेकर भारत को एकदिवसीय सीरीज में 3-2 की जीत दिलाई थी।
अक्टूबर 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में अपना टेस्ट करियर शुरू करने वाले मिश्रा पिछले आठ साल के दौरान सिर्फ 21 टेस्ट और 36 वनडे ही खेल पाए हैं। चयनकर्ता और टीम प्रबंधन ने मिश्रा की क्षमता पर कभी भरोसा नहीं किया। यही कारण है कि वह हमेशा टीम से अंदर बाहर होते रहे हैं। बात चाहे महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी की हो या मौजूदा कप्तान विराट कोहली की, मिश्रा पर किसी ने भरोसा नहीं किया।
मिश्रा ने न्यूजीलैंड के खिलाफ वन-डे सीरीज में 15 विकेट लिए थे और मैन ऑफ द सीरीज बने थे। मिश्रा अपने करियर में जिम्बाब्वे के खिलाफ एकदिवसीय सीरीज में 18 विकेट भी ले चुके हैं। इसके बावजूद उन्हें टीम में कभी स्थाई तौर पर जगह नहीं मिल पाई। पिछले कुछ वर्षों में जब भी टीम में अंतिम एकादश में किसी स्पिनर को बाहर करने की बारी आई तो वह मिश्रा ही थे।
भारतीय टीम के दूसरे स्पिन गेंदबाज लेफ्ट आर्म स्पिनर रवींद्र जडेजा को देखा जाए तो उन्होंने अपना करियर 2012 में शुरू किया था और वह अपना 22वां टेस्ट खेल रहे हैं जबकि आफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने अपना करियर नवंबर 2011 में शुरू किया था और वह अपना 41वां टेस्ट खेल रहे हैं।
मिश्रा ने अपने करियर में मात्र 36 वनडे खेले हैं जबकि जडेजा 126 वनडे और अश्विन 102 वनडे खेल चुके हैं। विकेट के लिहाज से देखें तो इस मैच से पहले तक अश्विन ने 223 टेस्ट विकेट , जडेजा ने 88 विकेट और मिश्रा ने 74 विकेट हासिल किए हैं।
टीम प्रबंधन और चयनकर्ताओं ने अश्विन और जडेजा पर बराबर भरोसा दिखाया है लेकिन मिश्रा पर हमेशा तलवार लटकती रही है। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने भी टेस्ट की पूर्व संध्या पर अपने कॉलम में लिखा था कि मिश्रा को बाहर करना सही नहीं होगा और यदि उन्हें लंबा स्पैल दिया जाए तो वह ज्यादा प्रभावशाली साबित हो सकते हैं।
राजकोट में पहले टेस्ट में इंग्लैंड की दूसरी पारी में जो तीन विकेट गिरे थे उनमें से दो मिश्रा ने ही लिए थे। राजकोट के गेंदबाजी स्पैल को देखा जाए तो अश्विन ने 46, जडेजा ने 30 और मिश्रा ने 23.3 ओवर फेंके जबकि दूसरी पारी में अश्विन ने 23.3, जडेजा ने 15 और मिश्रा ने 13 ओवर फेंके।
इसे लेग स्पिनर मिश्रा के लिए विडंबना ही कहा जाएगा कि भारतीय टीम के कोच अनिल कुंबले एक लेग स्पिनर हैं लेकिन वे इतने अनुभवी लेग स्पिनर की क्षमताओं पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। आठ साल में मात्र 21 टेस्ट किसी भी गेंदबाज के साथ न्यायोचित नहीं कहा जा सकता है। (भाषा)