नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने उच्चतम न्यायालय से बिना शर्त माफी मांगी है।
ठाकुर ने हलफनामा दायर करके कहा है कि अगर शीर्ष अदालत को लगता है कि उन्होंने न्यायालय के आदेशों में बाधा पहुंचाने की कोशिश की है तो वे बिना शर्त और साफ तौर पर माफी मांगते हैं। शीर्ष न्यायालय के आदेशों को निष्प्रभावी करने का उनका कभी उद्देश्य नहीं रहा।
अनुराग ठाकुर ने हलफनामे में कहा है कि वे कम उम्र में ही सार्वजनिक जीवन में आ गए थे और तीन बार से लोकसभा के सदस्य रहे हैं। उनके मन में शीर्ष न्यायालय के प्रति उच्च सम्मान है। उन्होंने न तो कोई झूठा हलफनामा दाखिल किया और न ही वे किसी तरह से न्यायालय के आदेशों में दखल देना चाहते थे।
ठाकुर के अनुसार, उन्होंने सिर्फ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के अध्यक्ष शशांक मनोहर से दुबई में इस मुद्दे पर सिर्फ उनका पक्ष पूछा था, क्योंकि बीसीसीआई का अध्यक्ष रहते वक्त उनकी यही राय थी। न्यायालय में हलफनामा दाखिल करने से पहले 2015 में केपटाउन में शशांक मनोहर ने खुद जवाब का मसौदा तैयार कराया था और कहा था कि इस जवाब में कोई दिक्कत नहीं है।
दरअसल गत दो जनवरी को लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने को लेकर अड़ियल रुख अपनाए बीसीसीआई के खिलाफ तीखे तेवर अपनाते हुए न्यायालय ने ठाकुर को पद से हटाने के साथ ही 'कारण बताओ नोटिस' भी जारी किया था। उनसे पूछा गया था कि क्यों न उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाया जाए? न्यायालय ने कहा था कि अगर आरोप साबित हुए तो ठाकुर को जेल भी जाना पड़ सकता है।
अनुराग ठाकुर पर आरोप था कि उन्होंने आईसीसी के अध्यक्ष शशांक मनोहर को कहा था कि वह (आईसीसी) ऐसा पत्र जारी करे जिसमें यह लिखा हो कि अगर लोढा पैनल को इजाजत दी जाती है तो इसे बोर्ड के काम में सरकारी दखलंदाजी माना जाएगा और बीसीसीआई की सदस्यता रद्द भी हो सकती है। हालांकि ठाकुर ने इस आरोप से इनकार किया था। (वार्ता)