टीम इंडिया ने आशीष नेहरा को न्यूजीलैंड के खिलाफ टी-20 जीतकर विदाई दी। विराट कोहली ने मैच का आखिरी ओवर भी आशीष नेहरा से करवाया। टीम के सभी साथियों ने उनके नाम भावुक संदेश लिखे। युवराज सिंह ने भी अपने साथी नेहरा के लिए भावुक खत लिखा। पेश हैं पत्र के मुख्य बिंदु-
आशीष नेहरा, अपने दोस्त के बारे में जो पहली बात में कहना चाहता हूं वह है उनकी ईमानदारी। वह दिल का बहुत साफ है। शायद कोई धार्मिक किताब ही उनसे ज्यादा ईमानदार होगी। मैं जानता हूं कि कई लोग यह पढ़कर हैरान हो जाएंगे। कई बार ऐसा होता है कि हम किसी इंसान और उनकी जिंदगी को लेकर आलोचनात्मक हो जाते हैं और ऐसा अक्सर मशहूर हस्तियों के साथ होता है, इसलिए आशू कई लोगों के साथ बहुत ईमानदार थे और उन्हें इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा। लेकिन मेरे लिए वो हमेशा से आशू या नेहराजी रहे, वो साफ दिल का इंसान, जो खूब मजेदार है और जो हमेशा अपनी टीम की उम्मीदों पर खरा उतरा।
मैं पहली बार नेहरा से कब मिला, जब हम अंडर-19 के लिए खेला करते थे और उनका चयन टीम इंडिया के लिए हो गया था। वे हरभजन सिंह के साथ अपना रूम शेयर कर रहे थे। मैं भज्जी से मिलने उनके कमरे में गया और एक लंबे, पतले लड़के को देखा, जो बिना हिले नहीं खड़ा नहीं रह पा रहा था। वो एक ऐसी बिल्ली की तरह थे जिसे बेहद गर्म छत के नीचे छोड़ दिया हो। वो थोड़ी देर चुपचाप बैठेगा लेकिन दूसरे ही पल स्ट्रेचिंग या फिर अपना मुंह मरोड़ने लगेगा या आंखे घुमाने लगेगा। मुझे नेहरा को पहली बार देखकर बहुत हंसी आई और लगा जैसे किसी ने उनकी पैंट में चीटियां छोड़ दी हैं। बाद में जब हमने भारत के लिए खेला जब मैंने जाना कि आशू ऐसे ही हैं। जहां तक चीटियों की बात है, वो उनकी कड़ी मेहनत का हिस्सा हैं जिसके बारे में मैं बाद में बताऊंगा।
सौरव गांगुली, आशू को प्यार से 'पोपट' बुलाते थे क्योंकि वह बहुत बोलता था। इतना कि आशू पानी के अंदर भी बातें कर सकता है और वो बहुत मजाकिया भी हैं। मेरे सामने तो उन्हें कुछ बोलने की भी ज़रूरत नहीं, उनकी बॉडी लैंग्वेज ही इतनी फनी है। अगर आप आशीष नेहरा के साथ हों तो आपका दिन खराब नहीं जा सकता. वो बंदा आपको हंसा-हंसाकर गिरा देगा. मैंने यह बात आशू से कभी नहीं कही कि मुझे उनसे ही प्रेरणा मिली। मैंने देखा कि अगर आशू 38 की उम्र में कई इंजरी और सर्जरी के बाद भी गेंदबाजी कर सकता है तो मैं भी 36 की उम्र में यह सब कर सकता हूं। सचाई यही है कि यह बात मुझे आज भी कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है।
आशू की 11 सर्जरी हुई- कोहनी, हिप, एडी, उंगली, दोनों घुटनों की सर्जरी हो चुकी है, लेकिन इन सबके बावजूद उनकी कड़ी मेहनत और कुछ कर दिखाने की चाह ने उन्हें खेल में बनाए रखा। मुझे याद है 2003 वर्ल्ड कप के दौरान उनकी एडी बुरी तरह चोटिल हो गई थी। उनके लिए इंग्लैंड के खिलाफ अगला मैच खेलना नामुमकिन था, लेकिन नेहराजी की जिद थी कि अगला मैच वे खेलेंगे। अंत में डर्बन के होटल स्टाफ को भी पता चल गया था कि आशू खेलने कि लिए कितने उत्सुक हैं। अगले 72 घंटे उसने अपनी एड़ी में 30-40 बार बर्फ लगाई। टेपिंग की, पेन किलर्स खाईं और अगले दिन किसी जादू की तरह खेलने को तैयार थे। लोगों को लगा कि आशू को कोई चिंता नहीं लेकिन सिर्फ हम जानते थे कि उसे कितनी फिक्र थी। आशू ने 23 रन देकर 6 विकेट चटकाए और भारत ने इंग्लैंड को 82 रनों से मात दी।
आशू पूरी तरह से टीममैन हैं। 2011 वर्ल्ड कप के दौरान सेमीफाइनल में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ शानदार स्पेल डाला लेकिन दुर्भाग्य से चेटिल हो गए और फाइनल में नहीं खेल पाए। इसके बावजूद वह हंसता रहता था और सबकी मदद के लिए तैयार रहता था।
नेहरा के पास अच्छा परिवार है। उनके दो बच्चे हैं- बेटा आरुष और बेटी अराएना। आरुष भी बॉलिंग करता है, लेकिन उसका एक्शन अपने पिता से बेहतर है (भगवान का शुक्र है)। आशू अपनी बैटिंग के बारे में कभी विन्रम नहीं था। मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाता जब वह बेशर्मी से अपनी बैटिंग को लिजेंड्री कहता है। सिर्फ यही नहीं यह यह भी कहता है कि अगर वो एक बल्लेबाज़ होता तो 45 की उम्र तक खेलता, लेकिन कौन जानता है, ये उसका आखिरी मैच है।