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बीसीसीआई पर छाया बड़ा संकट

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, गुरुवार, 5 जनवरी 2017 (21:47 IST)
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को उच्चतम न्यायालय द्वारा बर्खास्त किए जाने के बाद क्रिकेट बोर्ड के सामने अब अपने सभी पदाधिकारी गंवाने का खतरा मंडराने लगा है।
यदि उच्चतम न्यायालय के 2 जनवरी के आदेश में संशोधन की लोढ़ा समिति की व्याख्या सही पाई जाती है तो बीसीसीआई के सामने खतरा कहीं ज्यादा बड़ा है। इसका परिणाम यह हो सकता है कि बीसीसीआई के सभी मौजूदा पदाधिकारियों और राज्य संघों में अधिकतर सीनियर प्रशासकों को हटना पड़ सकता है।
 
उच्चतम न्यायालय ने 2 जनवरी के अपने आदेश में पदाधिकारियों की योग्यता के संबंध में एक उपनियम में मंगलवार को संशोधन किया है। पहले के आदेश में कहा गया था कि कोई व्यक्ति पदाधिकारी बनने से तब अयोग्य हो सकता है यदि वह कुल नौ वर्षों की अवधि के लिए बीसीसीआई का पदाधिकारी रहा हो लेकिन अदालत ने मंगलवार को इसमें संशोधन किया कि कोई व्यक्ति पदाधिकारी बनने से तब अयोग्य हो सकता है यदि वह बीसीसीआई या राज्य संघ में कुल नौ वर्षों की अवधि के लिए पदाधिकारी रहा हो।
 
इस संशोधन में लोढा समिति की व्याख्या के अनुसार यदि कोई व्यक्ति बीसीसीआई या राज्य स्तर पर अथवा दोनों को मिलाकर कुल नौ वर्षों के लिएपदाधिकारी रहा हो तो वह तत्काल प्रभाव से बीसीसीआई या राज्य स्तर का पदाधिकारी नहीं बन सकता है। समझा जाता है कि लोढ़ा समिति ने इस मामले में बीसीसीआई के वकील सहित अन्य वकीलों से विचार-विमर्श करने के बाद यह व्याख्या निकाली है।
 
पहले के आदेश को देखा जाए तो कोई व्यक्ति बीसीसीआई या उसके राज्य संघों में कुल 18 साल गुजार सकता था, लेकिन इस स्थिति पर चर्चा हुई और 18 साल की इस अवधि को सीधे घटाकर कुल नौ वर्ष कर दिया चाहे वह बीसीसीआई या राज्य स्तर पर हो या दोनों मिलाकर हो।
 
नई व्याख्या का अर्थ है कि मौजूदा प्रशासकों में बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष सौरभ गांगुली और हैदराबाद क्रिकेट संघ के अध्यक्ष अरशद अयूब ही अपने पदों पर बने रह सकते हैं जबकि अधिकतर पदाधिकारी राज्य स्तर पर नौ साल से ज्यादा गुजार चुके हैं।
 
इसका यह भी मतलब है कि बीसीसीआई का कोई अंतरिम अध्यक्ष नहीं हो सकता है जैसा पहले अदालत ने ठाकुर को हटाने के बाद निर्देश दिया था। अदालत ने पहले कहा था कि बीसीसीआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बोर्ड का अध्यक्ष पद संभाल सकते हैं।
 
मौजूदा पदाधिकारियों में एक उपाध्यक्ष एमएल नेहरू 78 वर्ष के हैं और लोढ़ा समिति की 70 साल की आयु सीमा से ज्यादा हैं जबकि चार अन्य सीके खन्ना, जीके गंगराजू, टीसी मैथ्यू और गौतम राय सभी अपने राज्य संघों में नौ साल से ज्यादा समय से पदाघिकारी हैं। 
 
इस व्याख्या के अनुसार इनमें से कोई अब किसी भी स्तर पर पदाधिकारी नहीं रह सकता है1 पदाधिकारी के लिए योग्य होने को लेकर अस्पष्टता के कारण बीसीसीआई ने बुधवार को अपनी वेबसाइट से सभी पदाधिकारियों के नाम हटा दिए हैं। 
 
सोमवार को अदालत ने कहा था कि वरिष्ठ उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव क्रमश: अंतरिम अध्यक्ष और सचिव का पद संभाल सकते हैं लेकिन नए आदेश के बाद असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गयी है कि कौन पदाधिकारी बने रह सकते हैं।
 
बीसीसीआई के पदाधिकारी राज्य और बोर्ड स्तर पर कुल नौ साल की अवधि को लेकर उलझन में पड़े हुए हैं। फिलहाल बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार बोर्ड का 19 जनवरी तक नेतृत्व करेंगे जब तक प्रशासकों का पैनल नियुक्त नहीं हो जाता।
 
जौहरी ने ही कल एक बयान जारी कर बताया था कि शुक्रवार को मुंबई में चयन समिति की बैठक होगी जो इंग्लैंड के खिलाफ सीमित ओवरों की सीरीज के लिए भारतीय टीमों का चयन करेगी। जौहरी ने इससे पहले इस बैठक को बुलाने से पहले लोढ़ा समिति से भी विचार विमर्श किया था और समिति ने उनसे खुद यह बैठक बुलाने को कहा था। (वार्ता)

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