मुंबई। सौरव गांगुली की अगुवाई वाले बीसीसीआई (BCCI) ने रविवार को उसके पदाधिकारियों के कार्यकाल को सीमित करने वाले उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वीकृत प्रशासनिक सुधारों में ढिलाई देने का फैसला किया। सौरव गांगुली ने 23 अक्टूबर को बीसीसीआई अध्यक्ष का पद संभाला था और उन्हें अगले साल पद छोड़ना होगा लेकिन छूट दिए जाने के बाद वे 2024 तक पद पर बने रह सकते हैं।
बीसीसीआई ने इस तरह पूर्व भारतीय कप्तान गांगुली के 9 महीने के कार्यकाल को आगे बढ़ाने का रास्ता साफ करने का प्रयास किया।
बीसीसीआई की 88वीं वार्षिक आम बैठक में यह फैसला किया गया और इसे लागू करने के लिए उच्चतम न्यायालय की स्वीकृति की जरूरत पड़ेगी।
एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, सभी प्रस्तावित संशोधनों को स्वीकृति मिल गई है और अब इन्हें उच्चतम न्यायालय के पास भेजा जाएगा।
मौजूदा संविधान के अनुसार अगर किसी पदाधिकारी ने बीसीसीआई या राज्य संघ में मिलाकर तीन साल के दो कार्यकाल पूरे कर लिए हैं जो उसे तीन साल का अनिवार्य ब्रेक लेना होगा।
गांगुली ने 23 अक्टूबर को बीसीसीआई अध्यक्ष का पद संभाला था और उन्हें अगले साल पद छोड़ना होगा लेकिन छूट दिए जाने के बाद वे 2024 तक पद पर बने रह सकते हैं। मौजूदा पदाधिकारी चाहते हैं कि अनिवार्य ब्रेक किसी व्यक्ति के बोर्ड और राज्य संघ में छह साल के दो कार्यकाल अलग-अलग पूरा करने पर शुरू हो।
इस कदम को अगर स्वीकृति मिलती है तो सचिव जय शाह के कार्यकाल को बढ़ाने का रास्ता भी साफ हो जाएगा। शाह के मौजूदा कार्यकाल में भी एक साल से कम समय बचा है।
बोर्ड साथ ही चाहता है कि भविष्य में संवैधानिक संशोधनों से जुड़े फैसलों से अदालत को दूर रखा जाए और प्रस्ताव दिया है कि अंतिम फैसला करने के लिए एजीएम में तीन-चौथाई बहुमत पर्याप्त होगा।
अधिकारियों का मानना है कि प्रत्येक संशोधन के लिए उच्चतम न्यायालय की स्वीकृति लेना व्यावहारिक नहीं है लेकिन मौजूदा संविधान के तहत ऐसा करना जरूरी है।