नई दिल्ली। भारतीय स्टार ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन का 24 घंटे के अंदर डी बी देवधर ट्रॉफी से हट जाना इस बात की तरफ संकेत करता है कि खिलाड़ी और बीसीसीआई के बीच संवाद की कमी है। अश्विन हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में चार से आठ मार्च तक होने वाली डीबी देवधर ट्रॉफी में इंडिया ए का कप्तान बनाए जाने के 24 घंटे बाद ही चोट के कारण इस टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने बताया है कि अश्विन को हल्की चोट है और बोर्ड की मेडिकल टीम ने उन्हें एक सप्ताह के आराम की सलाह दी है। सीनियर चयन समिति ने अश्विन की जगह लेफ्ट आर्म स्पिनर शाहबाज नदीम को टीम में शामिल किया गया है और अंकित बावने को इंडिया ए का कप्तान बनाया गया है।
अंकित पहले इंडिया बी टीम में थे और इंडिया बी टीम में उनकी जगह अक्षदीप नाथ लेंगे। अश्विन को इससे पहले आईपीएल टीम किंग्स इलेवन पंजाब का भी कप्तान बनाया गया था। यह दिलचस्प है कि बीसीसीआई ने जब अश्विन को इंडिया ए टीम का कप्तान नियुक्त किया था तो क्या उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि उन्हें चोट है और वह देवधर ट्रॉफी में नहीं खेल पाएंगे।
ऑफ स्पिनर को इंडिया ए का कप्तान नियुक्त किए जाने के 24 घंटे के अंदर बीसीसीआई को पता चलता है कि अश्विन को चोट है और वह नहीं खेल पाएंगे। इससे पता चलता है कि बीसीसीआई ने अश्विन से कुछ पूछे बिना ही उन्हें कप्तान बनाए जाने की घोषणा कर दी। इस घटना ने साफ़ कर दिया है कि खिलाड़ी और बीसीसीआई के बीच संवाद की कमी है वर्ना ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
अश्विन लम्बे समय से भारत की सीमित ओवरों की टीम से बाहर चल रहे हैं और टीम इंडिया की सीमित ओवरों की योजना में फिलहाल उनकी कोई भूमिका नहीं दिखाई दे रही है। अश्विन ने अपना आखिरी वनडे 30 जून 2017 को और अपना आखिरी ट्वंटी 20 मैच नौ जुलाई को खेला था।
उसके बाद से भारत ने ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वनडे और ट्वंटी 20 सीरीज खेली लेकिन अश्विन को एक भी सीरीज में मौका नहीं दिया गया। अश्विन ने 111 वनडे में 150 और 46 ट्वंटी 20 में 52 विकेट लिए हैं। (वार्ता)