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मंत्री नहीं बन सकेंगे बीसीसीआई में पदाधिकारी

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, सोमवार, 18 जुलाई 2016 (15:54 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) में व्यापक और ढांचागत बदलावों के लिए दी गई जस्टिस आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली समिति की सुझाई गईं सिफारिशों में अधिकतर पर अपनी सहमति जता दी है।
उम्र सीमा 70 वर्ष : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को यहां लोढा समिति की सिफारिशों की रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए कई अहम सिफारिशों को हरी झंडी दिखा दी। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में ढांचागत बदलावों के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय ने कई बड़े सुझावों में बोर्ड में मंत्रियों को पदाधिकार नहीं दिये जाने और किसी भी अधिकारी की उम्र 70 वर्ष तक तय करने की अहम सिफारिश को भी हरी झंडी दे दी है।
 
प्रत्येक संघ को वोट देने की अनुमति : बीसीसीआई के लिए सिर दर्द बनी हुई एक राज्य एक वोट अधिकार की लोढा समिति की सिफारिश को भी उच्चतम न्यायालय ने मंजूर कर लिया है। इसके तहत एक राज्य में केवल एक क्रिकेट संघ को ही बीसीसीआई में वोट का अधिकार दिया जाएगा। महाराष्ट्र राज्य में तीन क्रिकेट संघों के मामले में खास ध्यान देते हुये अदालत ने 'रोटेशन' आधार (बारी-बारी) से प्रत्येक संघ को वोट देने की अनुमति दी है।
 
महाराष्ट्र की ही तरह गुजरात के भी एक से अधिक क्रिकेट संघ होने की स्थिति में उसे भी रोटेशन आधार पर ही वोट का अधिकार दिया गया है। बीसीसीआई ने लोढा समिति की सिफारिशों के खिलाफ एक संघ एक वोट के अधिकार के मामले पर सबसे अधिक विरोध जताया था, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इस सिफारिश को स्वीकार किया है, वहीं अन्य सिफारिशों में देश में सट्टेबाजी को कानूनी रूप से वैध करने के मामले को सर्वोच्च न्यायालय ने संसद पर छोड़ दिया है। 
 
लोढा समिति ने देश में लगातार बढ़ती सट्टेबाजी को देखते हुए कई अन्य देशों की तरह इसे कानूनी रूप से वैध बनाने का प्रस्ताव दिया था। इसी तरह बीसीसीआई को सूचना के अधिकार के तहत लाने के प्रस्ताव पर भी कोई निर्णय संसद पर छोड़ा गया है।   
 
उच्चतम न्यायालय ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के सदस्य को बीसीसीआई की संचालन परिषद में शामिल किए जाने की सिफारिश को भी मान लिया है। इसके अलावा अदालत ने बीसीसीआई में आए इन बदलावों पर निगरानी रखने और सिफारिशों को लागू करने का काम भी लोढा समिति को सौंपर है। 
 
इस बीच बीसीसीआई ने अदालत को भरोसा जताया है कि वह सर्वोच्च अदालत के इस निर्णय का सम्मान करता है और सिफारिशों को लागू करने का पूर प्रयास करेगा। उधर मुख्य न्यायाधीश ने भी अपना फैसला सुनाते हुये कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड इस फैसले का सम्मान करते हुये बोर्ड में बदलावों को स्वीकार करेगा।  
 
छ: माह की समय-सीमा : अदालत ने बीसीसीआई को लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए छह महीने की समय सीमा दी है। उच्चतम न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला ने इस मामले पर अपना निर्णय गत 30 जून को सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में कई दौर की सुनवाई के बाद अदालत ने सोमवार को अपना निर्णय सुनाया है। 
 
लोढा समिति की सिफारिशों को बीसीसीआई में लागू करने को लेकर इस वर्ष मार्च में सुनवाई शुरू हुई थी। बीसीसीआई ने समिति की कुछ सिफारिशों को अव्यवहारिक बताते हुये अदालत में अपील की थी। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने ही लोढा समिति का गठन किया था जिसने 4 जनवरी को दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड में सुधारों के लिये सिफारिशें सुझाई थीं, वहीं कुछ राज्य क्रिकेट संघों के अलावा पूर्व क्रिकेटरों कीर्ति आजाद, बिशन सिंह बेदी ने भी उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए लोढा समिति की सिफारिशों को लागू किए जाने की मांग की थी। 
 
अदालत के इस निर्णय पर खुशी जताते हुये जस्टिस लोढा ने कहा है कि यह भारतीय क्रिकेट और भारतीय खेलों के लिये बड़ा दिन है और उन्हें उम्मीद है कि भारतीय क्रिकेट प्रशंसक सर्वोच्च अदालत के इस निर्णय पर खुश होंगे। 
 
गौरतलब है कि जनवरी 2015 में उच्चतम न्यायालय ने जस्टिर लोढा की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था जिसे बीसीसीआई की गतिविधियों की समीक्षा करने और बोर्ड में आवश्यक ढांचागत सुधार किए जाने पर अपनी रिपोर्ट देने के लिये कहा गया था ताकि बोर्ड में पारदर्शिता लाई जा सके। 
 
इसके बाद इसी वर्ष 4 जनवरी को शीर्ष अदालत ने समिति की सिफारिशों को जारी किया था। इसके बाद अदालत ने बोर्ड के सामने इन सिफारिशों को लागू करने के लिए तीन मार्च की समय सीमा तय की थी। हालांकि बीसीसीआई ने अधिकतर सिफारिशों को अव्यवहारिक बताया था और अदालत में अपील की थी। वैसे बोर्ड कई सिफारिशों को पहले ही लागू कर चुका है जिसके तहत मुख्य कार्यकारी अधिकारी और लोकपाल नियुक्त किया गया है। (वार्ता)

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