'मैन ऑफ द मैच' हसन अली को साथी खिलाड़ी बधाई देते हुए
सीमान्त सुवीर
कोई 24 घंटे पहले जब मैंने पाकिस्तान को चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचाया था, तब यह बात कोई तुक्के में नहीं लिखी थी, बल्कि क्रिकेट के बाजार में जिस तरह टीमों की मार्केटिंग का फंडा चल रहा है और मैदान पर खिलाड़ी जो गुल खिला रहे हैं, उसी के बूते पर पाकिस्तान टीम को फाइनल का टिकट दिलवाया था। पाकिस्तान के फाइनल में पहुंचने की एक भविष्यवाणी तो पूरी तरह सही हो गई और अब दूसरे की बारी 15 जून को है जब भारत के सामने दूसरे सेमीफाइनल में बांग्लादेश की टीम होगी।
कार्डिफ के सोफिया गार्डन में बुधवार को इंग्लैंड ने चैम्पियंस ट्रॉफी के पहले सेमीफाइनल में पाकिस्तान से 8 विकेट से हारने की जो रस्म अदायगी की है, उस पर किसी को भी आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि मैदान के बाहर से क्रिकेट चलाने वाले पहले से यह तय कर चुके हैं कि चैम्पियंस ट्रॉफी में 'फाइनल की जंग' भारत और पाकिस्तान के बीच हो और यही 'महा-मुकाबला' उन्हें मोटी कमाई भी दिलवाएगा। दोनों ही मुल्कों में इस फाइनल को लेकर क्रिकेट का उन्माद आसमान को छूएगा, उसे बयान कर पाना कठिन है। मैदान से लेकर टीवी के छोटे से स्क्रीन तक 'सुपर संडे' (18 जून को फाइनल) मनाने की तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं।
पहले सेमीफाइनल मैच में इंग्लैंड ने टॉस हारने के बाद बल्लेबाजी की चुनौती स्वीकार की। बल्लेबाजों के लिए स्वर्ग जैसे विकेट पर कयास यह लगाए जा रहे थे कि इंग्लैंड यहां 280 से 300 के बीच रन बनाएगा लेकिन बनाए उसने 49.5 ओवर में 211 रन। वो भी उस हालत में जब पाकिस्तान के 'तुरुप के इक्के' माने जाने वाले मोहम्मद आमिर फिटनेस समस्या के कारण मैदान से बाहर थे।
आमिर के बाहर बैठने से 25 साल के रूमन सईद को 'डेब्यू' का मौका मिला और वे 44 रन की कीमत पर 2 विकेट लेने में कामयाब हुए जबकि इंग्लैंड के बल्लेबाजी ताबूत में आखिरी कील ठोंकी हसन अली ने। 'मैन ऑफ द मैच' हसन अली 10 ओवर में 35 रन देकर तीन विकेट ले उड़े। जुनेद खान के हिस्से में भी 2 विकेट आए 42 रन खर्च करने के बाद। इसी साल वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू करने वाले 18 साल के शादाब ने कमाल दिखाकर इंग्लैंड का एक विकेट भी झटका।
बेशक इस मैच में पाकिस्तान की गेंदबाजी का स्तर काफी ऊंचा था और वे जान लगाकर गेंदबाजी कर रहे थे। यदि कप्तान सरफराज समेत दो पाक क्षेत्ररक्षक कैच नहीं टपकाते तो संभव था कि इंग्लैंड 200 के पार भी नहीं जा पाता। मैदान में जो कुछ हो रहा था, वह तयशुदा कार्यक्रम के ही तहत था...इंग्लैंड के बल्लेबाजों को रन बनाने में पसीने छूट रहे थे तो दूसरी तरफ पाकिस्तानी गेंदबाज हावी होते हुए मैच पर अपना शिकंजा कसते जा रहे थे।
जेरमी ब्रियस्टो और जो रूट के कीमती 43-43 के अलावा मोर्गन के 33 रनों के बूते पर इंग्लैंड लड़खड़ाते हुए 49.5 ओवर में 211 रन बनाने में सफल रहा। इंग्लैड के चीफ कोच ट्रेवर बेलिस बल्लेबाजों से इसलिए भी निराश थे क्योंकि एक समय इंग्लैड का स्कोर 2 विकेट खोकर 128 रन था और इसके बाद 83 रनों के भीतर 8 विकेट गिर गए..क्या मैदान पर यह सब सोची- समझी रणनीति के तहत हो रहा था? हां, शायद यही बात रही होगी...
इंग्लैड के धराशायी होने के बाद अब परीक्षा थी पाकिस्तानी बल्लेबाजी की...लेकिन सलामी बल्लेबाज फखर अली ने वीरेन्द्र सहवाग की स्टाइल में धुंआधार बल्लेबाजी करके अंग्रेज गोलंदाजों के आक्रमण को बैकफुट पर धकेल दिया। दूसरे छोर से उन्हें अजहर अली का भी अच्छा साथ मिला और दोनों ने पहले विकेट के लिए 118 रन की मजबूत नींव बना डाली।
सही मायने में इन दोनों ने ही मैच खत्म कर डाला...अजहर ने 76 और फखर ने 57 रन बनाए जबकि बाबर आजम 38 और मोहम्मद हफीज 31 पर नाबाद रहे। इंग्लैंड की तरफ से पूरे मैच में एक भी छक्का नहीं लगा, जबकि पाक की तरफ से अजहर, फखर ने 1-1 और हफीज ने 2 छक्के जड़े। इंग्लैंड के गेंदबाजी आक्रमण में कोई धार नहीं थी और 12 ओवर के भीतर ही खिलाड़ियों की बॉडी लैंग्वेज बता रही थी कि वे मुकाबले को छोड़ बैठे हैं जबकि परिणाम आया 37वें ओवर की पहली गेंद पर...
पाकिस्तान की जीत से पहली बार उसके तमाम प्रशंसकों के चेहरे खिले और सबसे ज्यादा खुश तो उसके गेंदबाजी कोच एलन डोनाल्ड और कोच मिकी ऑर्थर थे, जिनकी मेहनत रंग लाई और पाकिस्तान चैम्पियंस ट्रॉफी के इतिहास में पहली बार फाइनल में प्रवेश करने में कामयाब हुआ।
अब दूसरा सेमीफाइनल होना बाकी है और 99 फीसदी फैसला इंडिया की 'ब्ल्यू ब्रिगेड' के पक्ष में जाएगा क्योंकि पूरी क्रिकेट बिरादरी भारत और पाकिस्तान को ओवल के मैदान पर 18 जून को आमने-सामने देखना चाहती है। आईसीसी, भारत-पाकिस्तान के करोड़ों प्रशंसक, टीवी प्रसारणकर्ता और आखिरी में सटोरिए...सभी की मंशा के मुताबिक ये दोनों ही देश फाइनल खेलने जा रहे हैं, बशर्ते कोई आसमानी-सुल्तानी अनहोनी न हो...