लंदन। क्रिकेट को भद्रजनों के खेल के रूप में जाना जाता है लेकिन ब्रिटेन के आधे से अधिक अंपायरों ने कहा है कि उन्हें अपशब्दों और आक्रामक विरोध का सामना करना पड़ता है। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है।
पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय ने सैकड़ों अंपायरों द्वारा झेले गए अपनाम के आंकड़े जुटाए हैं। इनमें से लगभग 50 प्रतिशत का मानना है कि हाल के समय में अपशब्द और आक्रामक विरोध जैसे दुर्व्यवहार में इजाफा हुआ है।
क्रिकेट प्रमुखों का कहना है कि अंपायर खेल के लिए महत्वपूर्ण हैं और ए नतीजे निराशाजनक हैं लेकिन हैरानी भरे नहीं। नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर 6 साल से डर्बीशर में अंपायरिंग कर रहे एक अंपायर ने कहा कि कि उसे नियमित तौर पर इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है।
बीबीसी ने अंपायर के हवाले से कहा कि एक व्यक्ति ने मेरे उपर थूका। आप कैसा महसूस करोगे अगर कोई आपके उपर थूकेगा। मुझे लगता है कि यह सबसे निंदनीय और धिनौनी चीज है। उन्होंने कहा कि मुझे अपमानजनक शब्द कहे जाते हैं, यह नियमित तौर पर होता है, प्रत्येक मैच में।
इस सर्वे में इंग्लैंड के कुल 763 अंपायरों को शामिल किया गया है। इनमें से आधों का कहना है कि उन्हें सत्र में कई बार अपशब्दों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान 40 प्रतिशत से अधिक ने कहा कि इन अपशब्दों के बाद वे स्वयं से सवाल पूछते हैं कि वे अंपायरिंग जारी रखें या नहीं।
पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय के वरिष्ठ लेक्चरर और अनुसंधान में शामिल लोगों में से एक डॉ. टाम वेब ने कहा कि यह हमारे ध्यान में आ रहा है कि यहां यह आदत बनती जा रही है और विशेषकर क्रिकेट में, क्रिकेट की भावना को देखते हुए इस ऐसा मुद्दा है जिसका हल निकालने की जरूरत है। (भाषा)