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धर्मशाला की खूबसूरती में उठेगा गति का तूफान

हमें फॉलो करें धर्मशाला की खूबसूरती में उठेगा गति का तूफान
, गुरुवार, 23 मार्च 2017 (19:24 IST)
धर्मशाला। पुणे, बेंगलुरु और रांची में स्पिन का बोलबाला रहने के बाद अब धर्मशाला के खूबसूरत मैदान में गति का तूफान उठेगा, जो भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चौथे टेस्ट तथा सीरीज का निर्णायक फैसला करेगा। 
 
धर्मशाला की पिच देखकर तेज गेंदबाजों की बांछें खिली हुई हैं और दोनों ही टीमें 1 अतिरिक्त तेज गेंदबाज रखने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रही हैं। हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ (एचपीसीए) की पिच के लिए कहा जा रहा है कि इसमें गति और उछाल होगी जिससे तेज गेंदबाजों को ज्यादा मदद मिलेगी। 
 
पुणे और बेंगलुरु में पिचों में इतना टर्न था कि इन्हें खराब करार दे दिया गया, हालांकि रांची में ज्यादा टर्न नहीं मिला लेकिन तेज गेंदबाजों को भी कोई बहुत मदद नहीं मिली। मैच पूरे 5 दिन तक चलने के बाद ड्रॉ समाप्त हो गया। धर्मशाला के लिए माना जा रहा है कि यहां बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का फैसला होगा। 
 
एचपीसीए के पिच क्यूरेटर सुनील चौहान ने हालांकि संकेत दिया है कि उनकी पिच 4 क्षेत्रों- तेज गेंदबाजी, बल्लेबाजी, स्पिन गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण को मदद करेगी। यहां सवाल यह है कि कोई पिच क्षेत्ररक्षक को कैसे मदद कर सकती है? इसके लिए यही कहा जा रहा है कि गेंद में इतनी उछाल होगी कि वह बल्ले का किनारा लेकर आसानी से स्लिप फील्डरों के हाथों में चली जाए।
 
चौहान ने जोर देकर कहा कि गेंद को पिच से अच्छी मदद मिलेगी और वह गति के साथ निकलेगी। बीसीसीआई की पिच समिति के अध्यक्ष दलजीत सिंह इस समय धर्मशाला में हैं और पिच की तैयारियों को देख रहे हैं। 
 
हिमालय की वादियों में स्थित धर्मशाला में मध्य मार्च के दौरान अधिकतम तापमान 20 डिग्री के आसपास रहता है और हल्की वर्षा हो सकती है। तेज गेंदबाजों को इससे हवा में शुरुआती मदद मिल सकती है और वे गेंद को स्विंग भी करा सकते हैं।
 
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज मिशेल जॉनसन का कहना है कि उन्होंने धर्मशाला की पिच को घास के बिना नहीं देखा है और उनका कहना है कि इस पिच के कारण ऑस्ट्रेलिया 1 स्पिनर को बाहर कर 1 अतिरिक्त तेज गेंदबाज खेला सकता है।
 
धर्मशाला की पिच में घास दिखाई दे रही है और भारतीय खेमा भी फिट हो चुके तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी पर नजरें गड़ाए है। शमी धर्मशाला में भारतीय टीम के साथ जुड़ चुके हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कप्तान विराट कोहली शमी पर कोई दांव खेलते हैं?
 
मीडिया में भी धर्मशाला की पिच की गति और उछाल को लेकर काफी कुछ कहा जा रहा है और इस पिच की तुलना इंग्लैंड की स्विंग लेने वाली पिचों से कुछ हद तक की जा रही है। भारत इन परिस्थितियों में स्विंग विशेषज्ञ भुवनेश्वर कुमार को भी खेलाने पर विचार कर सकता है।
 
भुवनेश्वर स्विंग की परिस्थितियों का फायदा उठाने में माहिर माने जाते हैं, हालांकि भुवनेश्वर ने 2016 के वेस्टइंडीज दौरे की शुरुआत के बाद से भारत के 16 टेस्टों में सिर्फ 5 मैच खेले हैं और 18.71 के औसत से 14 विकेट लिए हैं, लेकिन भुवनेश्वर के लिए यह माना जाता है कि यदि उन्हें पिच से थोड़ी भी मदद मिले तो वे काफी मारक साबित हो सकते हैं।
 
शमी अपने दाएं पैर की चोट से उबरकर टीम में लौटे हैं और धीरे-धीरे अपनी मैच फिटनेस साबित कर रहे हैं। शमी ने बेंगलुरु और रांची टेस्टों से पहले नेट पर गेंदबाजी भी की थी। वे विजय हजारे ट्रॉफी में बंगाल के लिए 2 मैच खेले थे। शमी गुजरात के खिलाफ 7 ओवरों में कोई विकेट नहीं ले पाए थे जबकि तमिलनाडु के खिलाफ फाइनल में उन्होंने 8.2 ओवरों में 4 विकेट हासिल किए थे।
 
समझा जाता है कि चयनकर्ता शमी की फॉर्म और फिटनेस से काफी खुश हैं लेकिन टीम प्रबंधन नेट पर उनकी फिटनेस का आकलन करने के बाद मैच के लिए उन पर कोई फैसला लेगा। मौजूदा सीरीज के 3 मैचों में जो 2 भारतीय तेज गेंदबाज खेले हैं, उनमें ईशांत शर्मा 69.66 के औसत से सिर्फ 3 ही विकेट ले पाए हैं जबकि उमेश यादव ने 25.00 के औसत से 12 विकेट लिए हैं।
 
शमी ईशांत या उमेश के मुकाबले नई गेंद का ज्यादा बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं। शमी के पास गति भी है और वे गेंद को रिवर्स स्विंग भी करा सकते हैं। टीम इंडिया के सामने एक यक्षप्रश्न है कि ईशांत और उमेश दोनों को बरकरार रखा जाए या फिर इनके साथ शमी और भुवनेश्वर में से किसी एक को जोड़ा जाए। भारत इस मैच में 3 तेज गेंदबाजों और 2 स्पिनर के साथ उतर सकता है। (वार्ता)

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