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क्या है इंदौर के होलकर स्टेडियम के 'हरे गलीचे' का राज?

हमें फॉलो करें क्या है इंदौर के होलकर स्टेडियम के 'हरे गलीचे' का राज?

सीमान्त सुवीर

, बुधवार, 12 अक्टूबर 2016 (19:34 IST)
इंदौर। मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के होलकर स्टेडियम में 8 अक्टूबर से जब भारत और न्यूजीलैंड के बीच तीसरा टेस्ट मैच शुरू हुआ, तब दर्शकों ने पाया यहां का मैदान ऐसा है मानो कुदरत ने यहां कोई हरा गलीचा बिछा दिया हो। उस पर जब चहलकदमी की तो लगा कि वाकई यह मैदान नहीं गलीचा है। इस 'हरे गलीचे' का भी अपना राज है...
याद कीजिए 1997 को और नेहरू स्टेडियम को, जहां भारत और श्रीलंका के बीच एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच केवल 18 गेंदों के फेंके जाने के बाद खराब पिच की वजह से रद्द कर दिया गया था। तब मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के मुखिया तत्कालीन केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया हुआ करते थे। इस रद्द मैच के बाद इंदौर ही नहीं, मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सीने पर भी काला दाग लग गया। नेहरू स्टेडियम में जब क्रिकेट और फुटबॉल में टकराव शुरू हुआ, तब सिंधिया ने एमपीसीए का क्रिकेट स्टेडियम बनाने का फैसला लिया। 
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रद्द मैच के पैसे, बीसीसीआई का योगदान और माधवराव सिंधिया के निजी प्रयासों से होलकर स्टेडियम बनना शुरू हुआ। ये सारा काम तत्कालीन सचिव संजय जगदाले की देखरेख में हुआ। जब 2005 में शरद पवार बीसीसआई के अध्यक्ष बने तब उन्होंने स्टेडियम बनाने के लिए बीसीसीआई की तरफ से भरपूर मदद की। आखिरकार स्टेडियम तैयार हुआ और 2006 में यहां भारत और इंग्लैड के बीच पहला एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेला गया। तब तो किसी तरह मैदान को मैच लायक बना लिया गया था लेकिन उस वन-डे मैच के बाद इसका पुनर्उद्धार किए जाने की शुरुआत हुई।   
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मैदान को 'हरा गलीचा' बनाने में एमपीसीए की टीम ने काफी मेहनत की। 45 साल से एमपीसीए से जुड़े सुभाष बायस ने बताया कि स्टेडियम के भीतर एसोसिएशन के प्रशासनिक भवन को बनाने वाले आर्किटेक्ट शशि प्रभु ने मुंबई से गोरेस नाम के शख्स को इंदौर भेजा। गोरेस ने कहा कि मैदान के लिए पहाड़ के नीचे तलहटी की मिट्‍टी चाहिए क्योंकि वह थोड़ी लाल और कड़क रहती है, जिससे मैदान फटने का डर नहीं रहता। हम मिट्‍टी की खोज करने निकले। रालामंडल और उसके आसपास की पहाड़ियों के नीचे खेत के मालिकों से बात की और वहां से मिट्‍टी समेटनी शुरू की।
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होलकर स्टेडियम के मैदान पर बोल्डर, मोहरम, मोटी रेती के बाद हमने 500 ट्रक मिट्‍टी डाली और उस पर ऑस्ट्र‍ेलिया से लाई गई विशेष किस्म की घास लगाई गई। मैदान को तैयार करने में समंदर सिंह और उनकी पूरी टीम लगी रहती है। यही कारण है कि टेस्ट मैच के लिए जब लोगों ने स्टेडियम में प्रवेश किया, तब उन्हें यह मैदान हरा कच्च गलीचे जैसा दिखाई दिया...

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