मुंबई। खिताब की प्रबल दावेदार और मेजबान भारतीय क्रिकेट टीम पूरे जोश और आत्मविश्वास के साथ आईसीसी ट्वेंटी-20 विश्वकप के सेमीफाइनल में पहुंची है और अब उसका लक्ष्य गुरुवार को वानखेड़े मैदान पर कैरेबियाई तूफान का रुख मोड़ टूर्नामेंट के खिताबी मुकाबले में जगह बनाना है।
टीम इंडिया और उसके सभी खिलाड़ी वेस्टइंडीज के खिलाफ मुकाबले से पहले मानसिक रूप से काफी मजबूत दिखाई दे रहे हैं और कप्तान महेंद्रसिंह धोनी के नेतृत्व में वर्ष 2007 की चैंपियन टीम एक बार फिर इतिहास रचने के लिए सही दिशा में बढ़ रही है। हालांकि इससे पहले उसके सामने वर्ष 2010 की चैंपियन वेस्टइंडीज की कड़ी चुनौती है जिसने बहुत ही सहज तरीके से अपने अभियान को आगे बढ़ाते हुए अंतिम चार में जगह बनाई है।
विश्वकप की शुरुआत से पहले अपने बोर्ड के साथ वेतन विवाद के कारण जहां टीम के दिग्गज खिलाड़ी टूर्नामेंट में ही खेलने से ना-नूकूर कर रहे थे तो विश्वकप में आने के बाद उन्हीं खिलाड़ियों ने ऐसा प्रदर्शन किया कि सभी के छक्के छुड़ा दिए। आईपीएल में सबसे पसंदीदा माने जाने वाले कैरेबियाई खिलाड़ी और अपनी तूफानी पारियों के लिए मशहूर क्रिस गेल ने एक बार फिर अपने प्रदर्शन से भारतीयों का दिल छू लिया और भारत जैसी मजबूत टीम के खिलाफ वे अभी से बड़ी चुनौती माने जा रहे हैं।
हालांकि गेल चौके-छक्कों के कितने ही बड़े बादशाह हों भारत अपने स्टार खिलाड़ी और अभूतपूर्व फार्म में चल रहे विराट कोहली की मौजूदगी से इतरा सकती है। विराट ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी नाबाद 55 और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ करो या मरो के मुकाबले में नाबाद 82 रन की पारी खेली और टीम इंडिया को अकेले दम पर सेमीफाइनल तक ले गए।
ग्रुप चरण के चार मैचों में दो बार मैन ऑफ द मैच चुने गए विराट सेमीफाइनल में दुनिया के नंबर एक ट्वेंटी-20 बल्लेबाज के रूप में उतर रहे हैं। वे टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन से इस बात को साबित कर चुके हैं कि फिलहाल दुनिया का कोई अन्य खिलाड़ी उनके आसपास नहीं टिकता है। विराट की मौजूदगी टीम इंडिया के लिए सबसे बड़ी ताकत है।
26 वर्षीय बल्लेबाज ने अब तक 23, नाबाद 55, 24 और नाबाद 82 रन की पारियां खेली हैं और वे टीम के सर्वश्रेष्ठ स्कोरर हैं। भारत के सबसे सफल कप्तान धोनी भी विराट को मैच विजेता मानते हैं। वैसे मौजूदा फार्म और बाकी बल्लेबाजों के उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाने से इस समय टीम के सबसे बड़े मैच विजेता विराट ही लग रहे हैं।
उन्होंने विषम परिस्थतियों में टीम को जीत दिलाई है और लक्ष्य का पीछा करने के मामले में वे वर्तमान में दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ी भी माने जा रहे हैं। विराट ने 92 के बढ़िया औसत से 184 रन बनाए हैं जिसमें दो नाबाद अर्द्धशतक शामिल हैं।
चाहे पाकिस्तान हो या दुनिया के दिग्गज बल्लेबाजों में एक ऑस्ट्रेलिया के स्टीवन स्मिथ, सभी मान रहे हैं कि विराट का तोड़ निकालना मुश्किल है। भारत की ही तरह टूर्नामेंट में अपने ग्रुप चरण में तीन मुकाबले जीतकर अंतिम चार में पहुंची वेस्टइंडीज के पास सैम्युअल बद्री, ड्वेन ब्रावो, आंद्रे रसेल और सुलेमान बेन जैसे कमाल के गेंदबाज हैं जिनके निशाने पर निश्चित ही विराट प्रमुखता से रहेंगे।
मुश्किल परिस्थितियों में रन बनाने और अपना विकेट आसानी से न देना विराट की खूबी है, लेकिन कैरेबियाई गेंदबाजों को कमतर नहीं आंका जा सकता है। दाएं हाथ के मध्यम तेज गेंदबाज रसेल विपक्षी टीम के सबसे सफल गेंदबाज हैं जिन्होंने 7.56 के औसत से सात विकेट लिए हैं और सबसे सफल रहे हैं। बाकी गेंदबाजों ने भी पिछले मैचों में विपक्षी बल्लेबाजों के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया है।
एबी डी' विलियर्स , हाशिम अमला, फाफ डू प्लेसिस और क्विंटन डी कॉक जैसे धाकड़ बल्लेबाजों से सजी दक्षिण अफ्रीका को अहम मुकाबले में इन गेंदबाजों ने 122 के मामूली स्कोर पर रोक दिया था। इस मैच में रसेल और ब्रावो के साथ गेल ने भी दो विकेट निकाले थे और इसलिए मजबूत बल्लेबाजी क्रम वाली भारतीय टीम के लिए अतिआत्मविश्वास से बचना भी एक चुनौती रहेगी।
अहम मैच से पहले भारत और वेस्टइंडीज दोनों को ही अपने अहम खिलाड़ियों युवराजसिंह और आंद्रे फ्लेचर के चोटिल होने से परेशानी झेलनी पड़ी है जिसका कुछ नुकसान उन्हें जरूर हो सकता है। भारत के अनुभवी ऑलराउंडर युवराजसिंह पिछले मैच में चोटिल हो गए थे और उनके खेलने पर संदेह है जिससे अजिंक्य रहाणे और मनीष पांडे में से कोई एक खेल सकता है।
दोनों ही खिलाड़ियों ने नेट पर काफी अभ्यास भी किया है। रहाणे को वैसे युवी की जगह पहली पसंद माना जा रहा है जो विश्वकप में अभी तक केवल पानी पिलाते और खिलाड़ियों को बल्ला पकड़ाते ही नजर आए हैं।
भारत के बल्लेबाजी क्रम को भले ही मजबूत माना जाता हो और भले ही भारत ने अपने ग्रुप चरण के तीन अहम मैच तीन मजबूत टीमों के खिलाफ जीते हों, यह बात भूली नहीं जा सकती है कि विराट और कप्तान धोनी (चार मैचों में 74 रन) के अलावा अन्य बल्लेबाजों ने निराश ही किया है और सबसे बड़ी चिंता की बात ओपनिंग जोड़ी रोहित शर्मा और शिखर धवन की है। प्रशंसकों ने कहना शुरू कर दिया है कि ये दोनों केवल 'भूमि पूजन' के लिए ही आते हैं।
रोहित ने पिछले चार मैचों में 11.25 के निराशाजनक औसत से 45 रन बनाए हैं जिसमें उनकी सर्वाधिक पारी 18 रन है जबकि धवन ने 10.75 के औसत से 43 रन बनाए हैं और 23 रन उनकी बड़ी पारी है। ऐसे ही मध्यक्रम में सुरेश रैना और रवींद्र जडेजा ने भी प्रभावित नहीं किया है। रैना ने अब तक 41 रन और जडेजा ने इतने मैचों में मात्र 12 रन ही बनाए हैं और इनका यह प्रदर्शन टीम की जीत के पीछे फिलहाल छुपा हुआ है।
धोनी भी मानते हैं कि सभी खिलाड़ियों को अपनी भूमिका निभानी होगी, क्योंकि अकेले विराट पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। खुद विराट भी मानते हैं कि ट्वेंटी-20 प्रारूप में निरंतरता बनाए रखना मुश्किल है। ऐसे में यदि विराट फेल हुए तो टीम इंडिया निश्चित ही मुश्किल में आ सकती है।
दूसरी ओर डैरेने सैमी को टीम के सर्वश्रेष्ठ स्कोरर आंद्रे फ्लेचर के बाहर हो जाने से झटका लगा है। फ्लेचर ने वेस्टइंडीज के लिए पिछले तीन मैचों में 106 के औसत से 106 रन बनाए हैं जिसमें 84 रन उनकी सर्वश्रेष्ठ पारी रही है। उनके चोटिल होने के बाद लेंडल सिमंस को टीम में लिया गया है।
इसके अलावा गेल, आंद्रे रसेल, कप्तान सैमी, मार्लोन सैम्युअल्स, जॉनसन चार्ल्स के रूप में वेस्टइंडीज के पास बढ़िया बल्लेबाजी लाइनअप है। कैरेबियाई टीम को अपने आखिरी ग्रुप मैच में अफगानिस्तान से हार झेलनी पड़ी थी और विपक्षी टीम को हल्के में लेने का परिणाम भुगत चुकी वेस्टइंडीज अब संभल चुकी होगी कि भारत के खिलाफ उसे कितनी सतर्कता बरतनी है।
टीम के धाकड़ बल्लेबाज गेल भले ही भारत के लिए चुनौती माने जा रहे हों, लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ 48 गेंदों में पांच चौके और 11 छक्कों में उनके नाबाद 100 रन की पारी के अलावा गेल ने बहुत प्रभावित नहीं किया है।
गेल श्रीलंका और बांग्लादेश के खिलाफ मैच में नहीं खेले जबकि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मात्र चार रन बनाकर आउट हुए। उनके प्रदर्शन में निरंतरता की कमी है, लेकिन यह भी सच है कि यदि वे टिक जाएं तो मैच को जल्दी निपटा भी देते हैं और भारतीय गेंदबाजों के लिए उन्हें टारगेट करना सबसे अहम होगा।
टीम इंडिया के बल्लेबाजों का प्रदर्शन भले ही मिलाजुला हो, लेकिन गेंदबाजों ने लगातार प्रभावित किया है। तेज गेंदबाज और अनुभवी आशीष नेहरा, मध्यम तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह, हार्दिक पांड्या और स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने अपने योगदान से टीम को जीत दिलाई है और कैरेबियाई टीम के बल्लेबाजों को काबू में करना ही भारत की जीत को सुनिश्चित करेगा।
अपने अनुभव और रणनीतियों से युवाओं को मदद कर रहे 36 साल के नेहरा पर पावर प्ले के दौरान विकेट दिलाने की जिम्मेदारी रहती है। उन्होंने निरंतर विकेट लिए हैं और मुख्य गेंदबाज हैं। नेहरा ने अब तक 5.93 के इकॉनोमी रेट से चार विकेट लिए हैं और कप्तान धोनी का भी उन पर काफी भरोसा है, वहीं बंगलादेश के खिलाफ एक रन की रोमांचक जीत में आखिरी ओवर डालकर हीरो बने हार्दिक पांड्या अब तक पांच विकेट लेकर सफल रहे हैं। हालांकि उनका इकॉनोमी रेट सबसे अधिक 10 का रहा है जिसमें कुछ सुधार की जरूरत है।
बांग्लादेश के खिलाफ मैन ऑफ द मैच रहे अनुभवी आफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन (चार विकेट), जडेजा (चार) और मध्यम तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह की मौजूदा फार्म कमाल की है और धोनी के इसी अंतिम एकादश पर एक बार फिर जीत की जिम्मेदारी रहेगी। (वार्ता)