बर्मिंघम में बुधवार से शुरु हुई पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले टेस्ट मैच में जब विराट कोहली ने अंतिम 11 खिलाड़ियों का ऐलान किया तो क्रिकेट के जानकारों को इस बात की हैरत हुई कि उन्होंने केवल अनुभवी ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को मौका दिया जबकि उनके पास दो स्पिनर कुलदीप यादव और रवींद्र जड़ेजा मौजूद थे।
एजबेस्टन के सपाट पिच को देखकर शायद विराट के दिमाग में यह फितूर चल रहा होगा कि वे यहां पर तीन तेज गेंदबाजों ईशांत शर्मा, मोहम्मद शमी, उमेश यादव के बूते पर दबाव बनाने में सफल होंगे। इस दबाव में मदद करने के लिए ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या तो हैं लेकिन स्पिनरों के रूप में अकेले अश्विन की मौजूदगी से वे इंग्लिश बल्लेबाजों पर काबू पा लेंगे।
इंग्लैंड के कप्तान जो रूट ने सिक्के की उछाल में बाजी मारकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। रूट अपनी घरेलु परिस्थितियों से वाकिफ हैं जबकि विराट प्रयोगधर्मी हैं। उनके दिमाग में शायद यही चल रहा होगा कि हार्दिक पांड्या को एक ऑलराउंडर के रूप में स्थापित करना है। यदि उनकी ये सोच है तो ये भूलना भी बेमानी होगा कि अश्विन भी टेस्ट मैचों में कई दफा ऑलराउंडर के रूप में खुद को साबित कर चुके हैं।
गौर करने वाली बात यहां ये है कि विराट यदि मुरली विजय की जगह कुलदीप या रवींद्र जडेजा को अंतिम एकादश में शामिल कर लेते तो भारत की स्पिन गेंदबाजी का अस्त्र और ताकतवर साबित हो जाता, जैसा कि इंग्लैंड ने मोईन अली की जगह आदिल रशीद को लेकर किया है। यूं भी अंग्रेज बल्लेबाजों के लिए भारतीय स्पिन आक्रमण हमेशा से सिरदर्द साबित होता आया है।
तेज गेंदबाज के रूप में भुवनेश्वर और बुमराह की गैर मौजूदगी में उमेश यादव का चयन सही है जबकि दूसरे छोर पर मोहम्मद शमी अपनी गेंदबाजी में विविधता की वजह से अंतिम 11 में जगह बनाने के हकदार है। यहां पर ईशान्त शर्मा को ड्रॉप किया जा सकता था। यह भूलना भी नहीं चाहिए कि चौथी पारी भारत को खेलनी पड़ेगी और जो सपाट विकेट दिख रहा है, वो संभवत: तीसरे दिन टूट जाए। यूं भी यहां गर्मी का पारा सातवें आसमान पर है।