भारत लगातार दो टेस्ट सीरीज में 0-1 से पीछे होकर वापसी कर चुका है। पहले ऑस्ट्रेलिया और अब इंग्लैंड, भारत ने बताया है कि वह किसी भी विषम परिस्थिती में बेहतरीन प्रदर्शन कर खेल को अपने मन मुताबिक चला सकता है। यह दूसरी बार टेस्ट सीरीज में भारत ने बताया है।
इंग्लैंड ने पहले टेस्ट में भारत को 217 रनों से चौंका दिया था। यह इंग्लैंड की भारतीय पिच पर रनों कि लिहाज से सबसे बड़ी जीत थी। 0-1 से पीछे हुए भारत की तस्वीर अचानक से पलटी अक्षर पटेल के चयन से जो भारत के लिए खेलने वाले 302वें खिलाड़ी बने। चेन्नई में खेले गए दूसरे टेस्ट में भारत ने रनों के लिहाज से इंग्लैंड पर सबसे बड़ी जीत दर्ज कर हिसाब बराबर किया।
फिर कारवां बढा अहमदाबाद जहां गुलाबी गेंद से खेला जाने वाला दिन रात्रि के टेस्ट ने सबका ध्यान खींचा क्योंकि यह नवनिर्मित विश्व के सबसे बड़े स्टेडियम - नरेंद्र मोदी स्टेडियम पर खेला गया था। हालांकि यह टेस्ट सिर्फ 140 ओवर तक ही चला जिसे भारत ने आसानी से 10 विकेट से जीत लिया।
अब बारी है चौथे टेस्ट की, यहां से सीरीज पर कब्जा सिर्फ एक ही टीम कर सकती है वह है भारत-
भारत की बल्लेबाजी इस सीरीज में अगर बहुत अच्छी नहीं रही तो बहुत खराब भी नहीं रही। घरेलू पिच पर औसत बल्लेबाजी भी टीम के लिए काफी रही है। रोहित शर्मा इस सीरीज के शतकवीर रहे हैं। शुभमन गिल ने प्रतिभा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं किया है। पुजारा और कोहली ने ही भारत के लिए लगातार रन बनाए हैं। रहाणे बुरे फॉर्म से गुजर रहे हैं और वह चौथे टेस्ट में कम से कम अर्धशतक बनाना चाहेंगे। पंत ने पहले टेस्ट के बाद कोई खास कमाल नहीं किया है लेकिन विकेटकीपिंग में काफी सुधार देखने को मिला है।
वहीं गेंदबाजी की बात करें तो 4 पारियों में 18 विकेट निकालने वाले अक्षर पटेल और 400 टेस्ट विकेट लेने वाले अश्विन ने अब तक इंग्लैंड को भयभीत करके रखा हुआ है। पहली टेस्ट की पहली पारी के बाद इंग्लैंड 200 के स्कोर तक को नहीं छू पायी है।
तेज गेंदबाजी के लिए इस सीरीज में कुछ खास नहीं है इस कारण बुमराह ने भी चौथे टेस्ट से बाहर बैठना उचित समझा है। उनकी अनुपस्थिती में सिराज को मौका मिलने की संभावना है।
इंग्लैंड की बात करें तो प्रदर्शन से ज्यादा रोटेशन पॉलिसी ने उनसे सीरीज छीनती नजर आयी। पहले टेस्ट में जीत के बाद उन्होंने 4 बदलाव किए। शायद ही ऐसा वाक्या टेस्ट क्रिकेट में देखा गया हो।
इंग्लैंड के लिए परेशानियां शुरु से शुरु होती है। सिबली और क्राउली की एक-एक पारी छोड़ दे तो सलामी बल्लेबाजी एकदम फ्लॉप रही है। कप्तान जो रूट भी दोहरा शतक बनाने के बाद संघर्ष करते नजर आए हैं। विश्व के बेहतरीन ऑलराउंडरो में शुमार बेन स्टोक्स गेंदबाजी तो छोड़िए, बल्लेबाजी ही ढंग से नहीं कर पाए।
इंग्लैंड के लिए सुखद बात सिर्फ उनके स्पिनरों का प्रदर्शन रहा है। जैक लीच हो , डॉम बेस हो मोइन अली हो या फिर खुद पार्ट टाइम स्पिनर जो रूट। सबने अहम मौकों पर विकेट लिए हैं।
तेज गेंदबाजी के विभाग में इंग्लैंड को कुछ हासिल नहीं हुआ है। दूसरा टेस्ट खेलने वाले ऑली स्टोन ने जरूर प्रभावित किया था।
भारत के लिए चौथे टेस्ट में जीत और हार आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल का अंतिम निर्णय लेगी। इंग्लैंड आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप में तो नहीं पहुंच सकता लेकिन सीरीज अगर बराबर कर लेता है तो भारत को फाइनल में जाने से रोक सकता है।
पिच और खासकर टॉस पर काफी कुछ निर्भर करता है। पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम के लिए फायदा ही फायदा है क्योंकि पहले दिन पिच बल्लेबाजी के लिए अनूकूल रहेगी। आईसीसी के दबाव में बीसीसीआई शायद ही तीसरे टेस्ट जैसी पिच पर इंग्लैंड को खिलाना चाहे। (वेबदुनिया डेस्क)