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बुमराह के बिना भारत की जीत महज संयोग? तेंदुलकर का इंडिया की जीत को लेकर बड़ा बयान

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WD Sports Desk

, बुधवार, 6 अगस्त 2025 (19:16 IST)
महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का मानना है कि जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति में भारत का इंग्लैंड के खिलाफ दो टेस्ट जीतना महज ‘संयोग’ था और यह करिश्माई तेज गेंदबाज अब भी ‘असाधारण और अविश्वसनीय’ है। बुमराह हाल में इंग्लैंड में खत्म हुई पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला में से तीन मैच में ही खेले थे। श्रृंखला में कम अनुभव वाली भारतीय टीम इसके बावजूद इंग्लैंड से 2-2 से ड्रॉ खेलने में कामयाब रही। भारतीय टीम ने जो दो मैच जीते उनमें कार्यभार प्रबंधन योजना के कारण बुमराह का नहीं खेलना पहले से ही तय था।
 
तेंदुलकर ने कहा कि बुमराह की अनुपस्थिति में बर्मिंघम और द ओवल में भारत की जीत महज संयोग थी। उन्होंने बुमराह के तीन टेस्ट मैच में प्रदर्शन के बारे में बात की। इस तेज गेंदबाज ने श्रृंखला में कुल 14 विकेट लिए।
 
तेंदुलकर ने ‘रेडिट’ पर श्रृंखला के अपने वीडियो विश्लेषण में कहा, ‘‘बुमराह ने सही में अच्छी शुरुआत की, पहले टेस्ट (पहली पारी में) में पांच विकेट लिए। वह दूसरा टेस्ट नहीं खेले लेकिन तीसरे और चौथे टेस्ट में खेले। फिर इन दो टेस्ट में से एक में उन्होंने पांच विकेट झटके। ’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘बुमराह ने जो तीन टेस्ट खेले, उनमें से दो में उन्होंने पांच विकेट लिए। मुझे पता है कि लोग कई बातों पर चर्चा कर रहे हैं कि हम उन टेस्ट मैच में जीते जिनमें वह नहीं खेले। मुझे लगता है कि यह महज एक संयोग है। ’’
 
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘बुमराह की गेंदबाजी असाधारण है। वह अब तक जो कर पाए हैं, वह अविश्वसनीय है। इसमें कोई शक नहीं है कि वह लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और मैं उन्हें किसी भी अन्य गेंदबाज से बेहतर मानता हूं। ’’

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बुमराह की अनुपस्थिति में मोहम्मद सिराज ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और सभी पांच मैच में खेले जिसमें उन्होंने 185.3 ओवर गेंदबाजी करते हुए 23 विकेट झटके।
 
बुमराह आंकड़ों के हिसाब से सिराज से कहीं आगे हैं। उन्होंने 48 टेस्ट मैच में 219 विकेट लिए हैं जबकि सिराज के 41 मैच में 123 विकेट हैं।
 
योजना के अनुसार बुमराह की पांचवें और अंतिम टेस्ट में अनुपस्थिति उनके कार्यभार प्रबंधन को लेकर कुछ सवाल जरूर खड़े करती है लेकिन टीम प्रबंधन ने स्पष्ट कर दिया था कि इस शीर्ष तेज गेंदबाज के संबंध में जोखिम नहीं लिया जा सकता था।
 
तेंदुलकर ने ऑलराउंडर वाशिंगटन सुंदर की जमकर तारीफ की जिन्होंने पूरे मैच में टीम की जीत में अहम योगदान दिया।
 
उन्होंने कहा, ‘‘वह जब भी खेला है, उसने योगदान दिया है। अगर आप दूसरे टेस्ट मैच में देखें तो चौथी पारी में उसने पांचवें दिन लंच से ठीक पहले बेन स्टोक्स को शानदार गेंद पर आउट कर दिया। मुझे लगता है कि यह ‘टर्निंग प्वाइंट’ था। ’’
 
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘आखिरी टेस्ट में जब बल्लेबाजी का समय आया तो उन्होंने शानदार शॉट्स लगाते हुए 53 रन बना दिए। उन्होंने बेहतरीन रन गति बनाए रखी। ’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘जब क्रीज पर डटे रहने की जरूरत थी तो वह चौथे टेस्ट में ऐसा करने में सफल रहे। जब तेजी से रन जुटाने की जरूरत थी तो उन्होंने पांचवें टेस्ट में ऐसा किया। ‘वैल डन, वाशी’। मुझे सच में बहुत मजा आया। ’’
 
मुंबई के इस दिग्गज खिलाड़ी ने मैनचेस्टर टेस्ट के दौरान इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स की ड्रॉ की पेशकश पर भारत के इनकार पर भी बात की। उनका मानना था कि रविंद्र जडेजा और वाशिंगटन को अपने शतक बनाने का पूरा अधिकार था और यह मालूम होने के बाद कि ड्रॉ ही संभावित परिणाम है तो खेल जारी रखने का फैसला पूरी तरह से सही भावना में लिया गया था।
 
उन्होंने कहा, ‘‘लोग चौथे टेस्ट मैच के बारे में बात कर रहे हैं कि क्या वाशिंगटन और जडेजा के शतक सही भावना से लगाए गए थे? ऐसा क्यों नहीं होना चाहिए? वे ड्रॉ के लिए खेल रहे थे। ’’
 
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘इससे पहले इंग्लैंड ने दबाव बनाया हुआ था। इसके बावजूद अगर कोई बल्लेबाज बल्लेबाजी कर रहा है। अगर वह दिन के खेल के अंत तक भी बल्लेबाजी कर रहा है। इसके बाद दोनों ने शतक बनाए और तब सीरीज जीवंत थी। ’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें ड्रेसिंग रूम जाकर इंग्लैंड के क्षेत्ररक्षकों और गेंदबाजों को आराम क्यों देना चाहिए? अगर वे हैरी ब्रुक या किसी और को गेंदबाजी कराना चाहते हैं तो यह बेन स्टोक्स की पसंद है, यह भारत की समस्या नहीं है। ’’
 
तेंदुलकर ने स्टोक्स के इस स्पष्टीकरण को भी खारिज कर दिया कि उन्होंने अपने गेंदबाज़ों को आराम देने के लिए मैच जल्दी खत्म करने की मांग की थी।
 
उन्होंने पूछा, ‘‘पांचवें टेस्ट मैच में इंग्लैंड के गेंदबाजों को तरोताजा क्यों होना चाहिए? ’’
 
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘इंग्लैंड के क्षेत्ररक्षकों को तरोताजा क्यों होना चाहिए? क्या आपके पास कोई जवाब है? इसका कोई जवाब नहीं है। ’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूरी तरह से भारतीय टीम के साथ हूं। चाहे वह (गौतम) गंभीर हो या शुभमन (गिल) या जडेजा और वाशिंगटन, उन्होंने फैसला किया और मैं शत प्रतिशत उनके साथ हूं। ’’  (भाषा)


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