नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट पूरे साल भ्रष्टाचार के प्रेत को विक्रम वेताल की तरह अपनी पीठ पर ढोता रहा लेकिन उसे इससे अंत तक मुक्ति नहीं मिल पाई।
भारतीय क्रिकेट ने मैदान में प्रदर्शन के लिहाज से काफी उतार-चढ़ाव देखे लेकिन 2015 में भारतीय क्रिकेट की चर्चा सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार के कारण रही। इसके अलावा भारत और पाकिस्तान के बीच दिसंबर में द्विपक्षीय सीरीज को लेकर पूरे साल वार्ताएं चलती रहीं लेकिन यह सीरीज संभव नहीं हो पाई।
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 6ठे संस्करण में भ्रष्टाचार की जांच के बाद इस साल आईपीएल की 2 बड़ी टीमों चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स को निलंबित किया गया है। इन फैसलों के बाद लग रहा था कि भ्रष्टाचार के प्रेत से कुछ हद तक मुक्ति मिल पाएगी।
साल के आखिर में जाते-जाते दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में भ्रष्टाचार के आरोपों और इसके निशाने पर आए केंद्रीय वित्तमंत्री तथा डीडीसीए के पूर्व अध्यक्ष अरुण जेटली को लेकर भारतीय राजनीति में ही नए सिरे से घमासान छिड़ गया।
आईपीएल में भ्रष्टाचार और डीडीसीए में भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मानवीय मदद और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सहयोग ने भी भारतीय राजनीति में जमकर तहलका मचाया। हालांकि कई दिनों तक यह मुद्दा गर्म रहने के बाद खुद ही दम तोड़ गया।
साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया दौरे में भारतीय टेस्ट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अचानक अपने संन्यास की घोषणा की और उनकी जगह विराट कोहली ने संभाली। विराट की आक्रामकता भी सालभर चर्चा का विषय रही जिसके नक्शे कदम पर चलते हुए तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा को श्रीलंका दौरे के बाद एक टेस्ट मैच का निलंबन झेलना पड़ा।
विराट ने अपनी कप्तानी में घरेलू सीरीज में भारत को विश्व की नंबर एक टीम दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 3-0 से ऐतिहासिक जीत दिलाई लेकिन इस जीत पर भी स्पिन पिचों के विवाद की छाया लगातार मंडराती रही।
नागपुर टेस्ट के बाद अंपायरों ने नागपुर पिच की खराब होने की रिपोर्ट की जिस पर आईसीसी ने इस पिच को खराब करार दिया था। इन तमाम आलोचनाओं के बावजूद कप्तान विराट और टीम के निदेशक विराट कोहली ने स्पिन पिचों का बचाव करते हुए कहा कि घरेलू टीम को अपने हिसाब से पिच बनाने का हक है। ऐसा करने में कोई बुराई नहीं है।
उन्होंने कहा कि बाहरी टीमें अपने मैदानों पर हमारे हिसाब से तो पिचें बनाती नहीं हैं। यदि ऑस्ट्रेलिया में ढाई दिन में मैच समाप्त होता है तो कोई विवाद नहीं होता लेकिन यदि भारत में कोई मैच ढाई दिन में खत्म होता है तो फिर सवाल क्यों उठाए जाते हैं?
धोनी की कप्तानी वाली भारतीय टीम साल के शुरू में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में हुए विश्व कप में क्वार्टर फाइनल तक शानदार प्रदर्शन करने के बाद सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के सामने घुटने टेक गई। हालांकि धोनी को साल के अंत में 2016 के ट्वंटी-20 विश्व कप के लिए फिर से भारतीय टीम का कप्तान नियुक्त किया गया है।
टीम इंडिया के मैदानी प्रदर्शन से ज्यादा इस साल प्रशासकों का प्रदर्शन रहा। भारतीय क्रिकेट के दबंग प्रशासक कहे जाने वाले एन. श्रीनिवासन को आखिर बोर्ड अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा और उनकी जगह कोलकाता के दिग्गज प्रशासक जगमोहन डालमिया ने यह पद संभाला, लेकिन उनके निधन के बाद नागपुर के दिग्गज प्रशासक शशांक मनोहर को यह जिम्मेदारी दी गई।
श्रीनिवासन का बोर्ड अध्यक्ष पद छिना और साथ ही उनकी चेन्नई सुपरकिंग्स की टीम आईपीएल से निलंबित हो गई। श्रीनिवासन को बाद में आईसीसी के चेयरमैन पद से भी हटाया गया। चेन्नई के साथ-साथ राजस्थान रॉयल्स को भी निलंबन झेलना पड़ा।
जस्टिस आरएम लोढा समिति ने इस मामले की जांच करने के बाद चेन्नई के अधिकारी गुरुनाथ मयप्पन और राजस्थान के अधिकारी राज कुंद्रा को क्रिकेट गतिविधियों से आजीवन प्रतिबंधित कर दिया।
आईपीएल भ्रष्टाचार का मुद्दा थमे हुए कुछ ही दिन हुए थे कि स्पॉट फिक्सिंग के आरोपी शांताकुमारन श्रीसंथ और अंकित चव्हाण को दिल्ली की एक अदालत ने तमाम आरोपों से बरी कर दिया।
साल के अंतिम महीने में डीडीसीए में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा और यह मुद्दा उठाने वाले पूर्व क्रिकेटर तथा सत्तारूढ़ भाजपा के सांसद कीर्ति आजाद को पार्टी से ही निलंबित कर दिया गया। इस मामले को लेकर दिल्ली की आप सरकार ने केंद्रीय वित्तमंत्री जेटली को घेर रखा है।
मैदान पर लौटा जाए तो भारत को पहली बार बांग्लादेश में वनडे सीरीज की हार झेलनी पड़ी लेकिन उसने 22 साल के अंतराल के बाद श्रीलंका में टेस्ट सीरीज जीत हासिल की। बांग्लादेश दौरे में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह की वापसी हुई जबकि साल के आखिर में युवराज सिंह और आशीष नेहरा को अगले साल के ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए भारतीय ट्वंटी-20 टीम में चुन लिया गया।
युवराज और नेहरा की वापसी के अलावा धुरंधर बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग और तेज गेंदबाज जहीर खान का संन्यास भी साल की 2 बड़ी खबरें रहीं। आईसीसी पुरस्कारों में किसी भारतीय का न होना काफी आश्चर्यजनक रहा। 'आईसीसी टेस्ट टीम ऑफ द ईयर' में ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को 12वें खिलाड़ी और वनडे टीम में मोहम्मद शमी को अंतिम एकादश में जगह मिली।
प्रदर्शन के लिहाज से देखा जाए तो बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे साल के सर्वश्रेष्ठ भारतीय बल्लेबाज कहे जा सकते हैं जबकि अश्विन को साल का सर्वश्रेष्ठ भारतीय गेंदबाज चुना जा सकता है। रवीन्द्र जडेजा को 'कमबैक मैन' कहा जा सकता है और विराट की कप्तानी को भारतीय क्रिकेट के नए युग की शुरुआत माना जा सकता है। (वार्ता)